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Sunday, May 5, 2024
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एमनेस्टी इंटरेशनल ने भारत में अपना काम बंद किया, सरकार पर लगाया ‘प्रतिशोध’ का आरोप

संस्था ने अपने बयान में कहा है, “ये मानवाधिकार संगठनों के ख़िलाफ़ भारत सरकार की ओर से बेबुनियाद और ख़ास मक़सद से लगाए गए आरोपों के आधार पर चलाए जा रहे अभियान की एक ताज़ा कड़ी है.”

मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 29 सितंबर | अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरेशनल इंडिया ने सरकार द्वारा प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए भारत में अपना कामकाज रोक दिया है. इस मानवाधिकार संस्था ने अपने ट्विटर पर काम को बंद करने की सूचना साझा की है. संस्था ने ये फैसला सरकार द्वारा खातों को फ़्रीज़ करने के बाद किया है.

संस्था ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार ने इस साल की शुरुआत में एक कार्रवाई के तहत उसके अकाउंट फ्रीज़ कर दिए थे, जिसके बाद उसे अपने अधिकतर स्टाफ को निकालना पड़ा. संस्था ने भारत सरकार पर पीछे पड़ जाने का और प्रतिशोध का आरोप लगाया है.

एमनेस्टी ने जारी किए अपने बयान में कहा है, “10 सितंबर को एमनेस्टी इंटरनेशल इंडिया को पता चला कि ईडी ने उसके सारे बैंक खातों को फ़्रीज़ कर दिया है, जिससे मानवाधिकार संस्था के अधिकतर काम ठप हो गए हैं.”

एमनेस्टी पर विदेशी चंदा लेने के बारे में बने क़ानून एफ़सीआरए के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. सरकार का कहना है कि इस संस्था ने फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के तहत कभी रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया है, जो विदेशी फंडिंग के लिए आवश्यक है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया का कहना है कि उसने सभी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन किया है.

एमनेस्टी इंडिया ने ट्विटर पर लिखा है कि उसे अपने स्टाफ को निकालने पर मजबूर होना पड़ा है और भारत में चलाए जा रहे कैंपेन और रिसर्च के कामों को बंद करना पड़ा है.

एमनेस्टी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि “यह निराधार और प्रेरित आरोपों के बल पर भारतीय सरकार द्वारा मानवाधिकार संस्थाओं के खिलाफ लगातार चलाए जा रहे अभियान की कड़ी में अगला कदम है.”

संस्था के एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर अविनाश कुमार ने कहा कि, “पिछले दो सालों में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया पर सरकार की लगातार हो रही कार्रवाई को अचानक नहीं है. प्रवर्तन निदेशालय सहित दूसरी सरकारी एजेंसियों की ओर से शोषण हमारी सरकार में पारदर्शिता की मांग, दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस और भारत सरकार की भूमिका की जवाबदेही तय करने की मांग और दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों को उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से हो रहा है. ऐसे अभियान के लिए, जिसने हमेशा अन्याय के लिए आवाज उठाई है, उसपर नया हमला उसकी प्रतिरोध में उठ रही आवाज को उठाकर लिया गया है.”

संस्था ने अपने बयान में कहा है, “ये मानवाधिकार संगठनों के ख़िलाफ़ भारत सरकार की ओर से बेबुनियाद और ख़ास मक़सद से लगाए गए आरोपों के आधार पर चलाए जा रहे अभियान की एक ताज़ा कड़ी है.”

ज्ञात हो कि भारत सरकार के कई फैसले पर एमनेस्टी सवाल उठाता रहा हा. मानवाधिकार के कई मामलों में एमनेस्टी ने सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है. एमनेस्टी ने एक रिपोर्ट में कहा था कि फ़रवरी में दिल्ली में हुए दंगों में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ था.

एमनेस्टी इंडिया, भारत में प्रतिरोध की आवाज़ को दबाए जाने के विरोध में लगातार सरकार की आलोचना करता रहा है. संस्था ने ये भी कहा था कि भारत में असंतोष का दमन किया जा रहा है.

बयान में कहा गया है कि, एमनेस्टी ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म किए जाने के एक साल पूरा होने पर एमनेस्टी ने हिरासत में रखे गए सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को रिहा किए जाने और सामान्य इंटरनेट सेवा बहाल करने की माँग की थी.

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