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Saturday, May 4, 2024
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लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखकर भाजपा ने उत्तर प्रदेश में उतारे राज्यसभा उम्मीदवार


अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर यूपी में अपने राज्यसभा उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं। भाजपा ने योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी राधा मोहन दास अग्रवाल को भी उम्मीदवार बनाकर असंतुष्टों को साधने का काम किया है। भाजपा को अब 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की सत्ता में वापसी की बड़ी चिंता सता रही है। भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता में वापसी के लिए बड़ी बेचैन है और वह इसके लिए कोई भी मौका हाथ से जाने दे नहीं चाहती है।

यूपी में विधानसभा चुनाव के बाद और राज्य में सरकार बनने के बावजूद भाजपा को केंद्र की सत्ता बचाए रखने के लिए चिंता खाए जा रही है। भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की सत्ता में वापसी के लिए इस कदर परेशान है कि वह अभी से इसके लिए अपने कील-कांटे दुरुस्त करने में जुटी हुई है। यूपी में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम उसके अनुकूल नहीं रहे हैं। भाजपा की सरकार तो बन गई है, लेकिन विधानसभा चुनाव में उसके विधायकों की संख्या घट गई है। उसके विधायकों की संख्या का घटना जनता में भाजपा का जनाधार घटना है यानी जनता की निगाह में भाजपा की स्वीकार्यता का खत्म हो जाना है।

भाजपा के जनाधार के सिकुड़ने से विधानसभा चुनाव में उसके उम्मीदवार काफी संख्या में पराजित हुए हैं, जिससे विधानसभा में उसके विधायकों की संख्या कम हो गई है। अगर यही स्थिति रही, तो लोकसभा चुनाव में 80 सीट में से भाजपा 50 सीट भी नहीं जीत पाएगी और वह केंद्र की सत्ता से दूर हो जाएगी। केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी होकर जाता है। यूपी से पैर उखड़ जाने से भाजपा केंद्र की सत्ता से दूर हो जाएगी।

केंद्र की सत्ता को बचाने के लिए भाजपा ने अभी से अपने कील-कांटे दुरुस्त करने शुरू कर दिया है। इसी के तहत भाजपा ने पार्टी के पक्ष में राजनीतिक समीकरण साधने के लिए राज्यसभा चुनाव में जातिगत आधार पर उम्मीदवार चुनाव में उतारा है। यूपी में 11 राज्यसभा सदस्य चुने जाने हैं। इनमें संख्या बल के हिसाब से भाजपा के 7 और सपा के 3 सदस्य आसानी से चुन लिए जाएंगे। 1 सीट का चुनाव होगा। लेकिन अब राजनीतिक समीकरण को देखते हुए सभी 11 सदस्य निर्विरोध चुन लिए जाएंगे। क्योंकि सपा ने अपने 3 उम्मीदवार कपिल सिब्बल, जावेद अली और जयंत चौधरी को ही चुनाव में उतारा है और चौथा उम्मीदवार नहीं उतारने का निर्णय किया है। इस तरह भाजपा के 8 और सपा के 3 सभी निर्विरोध चुन लिए जायेंगे।

भाजपा ने अपने 6 उम्मीदवार घोषित कर दिया है और 2 उम्मीदवार जल्द ही घोषित कर देगी। भाजपा ने जो 6 उम्मीदवार राज्यसभा के लिए घोषित किया है, उसमें सबसे बड़ा नाम भाजपा के पूर्व यूपी अध्यक्ष लक्ष्मी कांत बाजपेई का है। लक्ष्मी कांत बाजपेई के यूपी भाजपा अध्यक्ष रहते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 80 में से 73 लोकसभा सीट जीती थी। लेकिन इसके बाद लक्ष्मी कांत बाजपेई को राजनीति में हाशिए पर डाल दिया गया।

2019 में भाजपा को 80 में से 65 सीट ही मिली। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में जब भाजपा की नाव मंझधार में फंसने लगी, तो भाजपा को फिर लक्ष्मीकांत बाजपेई की याद आई। भाजपा ने उनको यूपी ज्वाइनिंग कमेटी का चेयरमैन बनाया। लक्ष्मी कांत बाजपेई ने दूसरे दलों के तमाम राजनेताओं को भाजपा में ज्वाइनिंग कराई। यही वजह रही कि भाजपा को इतनी अधिक सीटें विधानसभा चुनाव में मिलीं, वरना भाजपा 200 सीट में सिमट कर रह जाती।

लक्ष्मी कांत बाजपेई भाजपा में बड़े ब्राम्हण नेता हैं। भाजपा में ब्राह्मण विरोधी लोगों के हावी होने के कारण लक्ष्मी कांत बाजपेई को हाशिए पर डाल दिया गया था। लेकिन जब भाजपा की हवा निकलने लगी, तो लक्ष्मी कांत बाजपेई को पुनः भाजपा की राजनीति में सक्रिय किया गया। अब भाजपा को लक्ष्मी कांत बाजपेयी के कद और महत्व का पता चला है, इसीलिए भाजपा ने उनको राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। इसके साथ ही भाजपा ने यूपी समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को अपने साथ लाने का बड़ा दांव खेला है।

यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ा झटका पूर्वांचल में लगा था। यहां पर आज़मगढ़ और गाजीपुर में भाजपा का खाता तक नहीं खुला था। मऊ में भाजपा बड़ी मुश्किल से 1 सीट जीत पाई थी। बलिया, देवरिया, सिद्धार्थनगर, बस्ती, जौनपुर और चंदौली जिले में भाजपा बुरी तरह से पराजित हुई थी। इसी सबको देखते हुए भाजपा ने संगीता यादव को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है।

संगीता यादव गोरखपुर में चौरीचौरा से विधायक रह चुकी हैं। इनका टिकट इस बार विधानसभा चुनाव में काट दिया गया था। पूर्वांचल में पिछड़ी जातियों में यादव जाति के वोटरों की संख्या काफी है। इसलिए इनको राज्यसभा उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा इनके ज़रिए यादव वोटरों को अपने साथ लाना चाहती है।

बाबूराम निषाद को भी भाजपा ने अपना राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया है। यह योगी आदित्यनाथ की पिछली सरकार के समय पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के अध्यक्ष थे और इनको राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। यह यूपी भाजपा में उपाध्यक्ष रह चुके हैं। पूर्वांचल में गोरखपुर से लेकर बनारस तक निषाद वोटरों की तादात काफी है, निषाद वोटरों की ओर डोरा डालने के लिए भाजपा ने इनको उम्मीदवार बनाया है।

चंदौली जिले की रहने वाली दर्शना सिंह को भी राज्यसभा उम्मीदवार बनाया गया है। दर्शना सिंह यूपी भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी हैं और इस समय भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। इनको उम्मीदवार घोषित कर भाजपा ने पूर्वांचल में महिलाओं को अपने पाले में लाने की चाल चली है।

भाजपा ने वैश्य समाज की नाराज़गी को दूर करने के लिए सुरेंद्र नागर को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। सुरेंद्र नागर गौतमबुद्धनगर सीट से बसपा के टिकट पर सांसद रहे हैं। 2019 तक राज्यसभा सांसद रहे हैं। इसके बाद इन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर लिया था। यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इनको स्टार प्रचारक भी बनाया था। अब भाजपा ने इनको उम्मीदवार घोषित कर बनियों को खुश करने के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बनियों को भाजपा के साथ लाने का जाल बिछाया है।

भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में असंतुष्टों को साधने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी राधा मोहन दास अग्रवाल को भी उम्मीदवार बनाया है। राधा मोहन दास अग्रवाल गोरखपुर सदर से लगातार 4 बार से विधायक रहे हैं। इनका टिकट काटकर योगी आदित्यनाथ को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था। यह योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी हैं। इन्होंने विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ के लिए मतदाताओं से वोट देने के लिए नहीं कहा था।

विधानसभा चुनाव के दौरान लग रहा था कि योगी आदित्यनाथ चुनाव हार जाएंगे। लेकिन योगी आदित्यनाथ किसी तरह चुनाव जीत गए। योगी आदित्यनाथ दोबारा यूपी के मुख्यमंत्री बन गए। राधा मोहन दास अग्रवाल अपने पेशे डाक्टरी में जुट गए। राधा मोहन दास अग्रवाल बच्चों के बहुत बड़े डॉक्टर हैं और इनकी जनता के बीच गहरी पकड़ है। राधा मोहन दास अग्रवाल कहीं विपक्षी पार्टी के साथ न चले जाएं, जिससे लोकसभा चुनाव में भाजपा को तगड़ा नुकसान उठाना पड़ जाए, इसको देखते हुए भाजपा आलाकमान ने राधा मोहन दास अग्रवाल को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है।

नरेंद्र मोदी ने इससे एक तीर से दो शिकार किया है। इससे नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी को आगे खड़ाकर योगी आदित्यनाथ को काबू में रखने का काम किया है और इसके साथ ही साथ योगी आदित्यनाथ के विरोधियों को यह संदेश भी दिया है कि यूपी में भाजपा में योगी आदित्यनाथ ही सब कुछ नहीं हैं बल्कि सुप्रीम पावर नरेंद्र मोदी हैं।

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