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Friday, May 3, 2024
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बजरंगदल द्वारा इफ्तार पार्टी के विरोध के बाद बैंक से हटाए गए सरकारी खाते

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार का मुस्लिम विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ है। योगी सरकार ने बैंक द्वारा इफ्तार पार्टी आयोजित करने पर बजरंगदल के विरोध के बाद बैंक से सरकारी खातों को हटा लिया है। जबकि बैंक हर साल इफ्तार पार्टी के साथ-साथ हनुमान जयंती, होली, दिवाली और हर हिंदू-मुस्लिम त्यौहारों कस्टमर के साथ सेलिब्रेट करता है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक यूपी के बाराबंकी में जिला मुख्यालय पर पैसार नामक स्थान पर स्थित एच डी एफ सी बैंक ने 22 अप्रैल को इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। यह कार्यक्रम बैंक का काम खत्म होने के बाद बैंक के प्रबंधक ज़हीर अब्बास के साथ मिलकर बैंक के कर्मचारियों ने आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में बाराबंकी नगर के विभिन्न वर्गों के लोग भी शामिल हुए थे और कार्यक्रम सकुशल सम्पन्न हुआ था। लेकिन कार्यक्रम खत्म होने के बाद इस कार्यक्रम का किसी ने वीडियो वायरल कर दिया। बस फिर क्या था, वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले को लेकर बाराबंकी में राजनीतिक हल्के में तूफान आ गया।इस मामले को लेकर बजरंग दल ने शोर मचाना शुरू कर दिया।

बजरंग दल ने इस मामले को लेकर बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की और इस पर कार्यवाही करने के लिए कहा। बजरंग दल के यूपी के प्रांत संयोजक सुनील सिंह ने पुलिस अधीक्षक से कहा कि बैंक के खिलाफ आप कार्यवाही कीजिए, नहीं तो हम बजरंग दल के लोग बैंक में जाकर अखण्ड रामायण का पाठ और हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे।

पुलिस अधीक्षक से मिलने के बाद बजरंग दल के यह लोग जिलाधिकारी से मिले और उनको एक ज्ञापन सौंपा तथा उनसे इस मामले में कार्यवाही करने की मांग की। जिलाधिकारी ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को इस संबंध में उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया और उनको समझा-बुझाकर रवाना किया।

हालांकि, इस पूरे मामले बाकी हकीकत कुछ और ही है। बताया जाता है कि इस बैंक में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के त्यौहारों के मौके पर कार्यक्रम सेलिब्रेट किया जाता है। यह पहली बार नहीं हो रहा है। लेकिन लोग इसको बेवजह तूल पकड़ा कर शांत माहौल को खराब करना और सौहार्द को बिगाड़ना चाहते हैं।

इस संबंध में एच डी एफ सी बैंक के बैंक क्लस्टर्ड तरुण खन्ना का कहना है कि, “हम लोग हर साल रोजा इफ्तार कराने के साथ-साथ हनुमान जयंती, होली, दीपावली और हर हिंदू-मुस्लिम त्यौहार कस्टमर के साथ सेलिब्रेट करते हैं। दो साल से कोविड के कारण कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा रहा था। लेकिन इस बार बैंक के अंदर रोजा इफ्तार करने से लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं।”

इसी बीच इस मामले में एक नया घटनाक्रम घटित हुआ है। एचडीएफसी बैंक में रोजा इफ्तार होने के मामले के तूल पकड़ने और बजरंग दल द्वारा बैंक के खिलाफ मोर्चा संभाल लेने से इसमें यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार भी कूद पड़ी है। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बाराबंकी के जिला प्रशासन को यह निर्देश दिया है कि वह एच डी एफ सी बैंक से सरकारी खातों (बैंक एकाउंट) को हटा लें। योगी आदित्यनाथ की सरकार के निर्देश पर बाराबंकी के जिला प्रशासन ने एच डी एफ सी बैंक से कई सरकारी खातों को आनन-फानन में हटा लिया गया है।

बाराबंकी के सरकारी कर्मचारी कहते हैं कि बैंक से सरकारी खातों को हटाने का आदेश सरकार का है। इस संबंध में बाराबंकी के परियोजना अधिकारी सौरभ त्रिपाठी का कहना है कि, “हमें ऊपर से शासन स्तर से निर्देश आए हैं कि हम अपने सारे एकाउंट पब्लिक सेक्टर की बैंक में रख सकते हैं। इसको देखते हुए यह एकाउंट एच डी एफ सी बैंक से विड्रॉ किए गए हैं। हमारा जिला नगरीय गरीबी उन्मूलन का जो एकाउंट है, वह एच डी एफ सी बैंक में संचालित था। बाराबंकी में बैंक ऑफ इंडिया लीड बैंक है। इसलिए अब इसमें खाता खोलने का निर्णय लिया गया है।”

एचडीएफसी बैंक से सरकारी खातों को हटाए जाने के संबंध में सरकारी दलील सही नहीं है। अगर एच डी एफ सी बैंक से सरकारी खातों को हटाने का सरकारी निर्देश/निर्णय हुआ है, तो यह एच डी एफ सी बैंक में रोजा इफ्तार कार्यक्रम होने और बजरंग दल द्वारा बैंक के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग किए जाने के बाद ही क्यों लिया गया है? इस सवाल का जवाब न तो बाराबंकी के जिला प्रशासन के पास है और न ही राज्य की योगी आदित्यनाथ की सरकार के पास है।

एचडीएफसी बैंक से सरकारी खातों को हटाए जाने से यह साफ हो गया है कि यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार मुस्लिम विरोधी चेहरे वाली है और एचडीएफसी बैंक में मुस्लिम धर्म के त्यौहार या “रोज़ा इफ्तार” करना उसको पसन्द नहीं है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार के इशारे पर बैंक से हटाए गए खातों से योगी आदित्यनाथ की सरकार का मुस्लिम विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। योगी आदित्यनाथ की सरकार इस मामले पर चाहे जितनी सफाई पेश करे, लेकिन हकीकत यही है। यूपी में इस मामले को लेकर योगी सरकार पर उंगली उठाई जा रही हैं और यह मामला विवादों में घिरा हुआ है।

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