अखिलेश त्रिपाठी
लखनऊ। एक महत्वपूर्ण आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी नेता आज़म खां और उनके द्वारा संचालित मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को बड़ी राहत दी है| सर्वोच्च न्यायालय ने UP सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिस के ज़रिये सरकार ने जौहर यूनिवर्सिटी को आवंटित 450 एकड़ से अधिक ज़मीन को वापस लेने का आदेश पारित किया था| इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार के आदेश पर अपनी मोहर लगा दी थी जिस से जौहर यूनिवर्सिटी का भविष्य संकट में आ गया था |
बीते समय इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के खिलाफ फैसला सुनाया था और कहा था कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी यूपी सरकार को 450 एकड़ से ज्यादा जमीन वापस सौंप दे। इसके साथ ही इस जमीन पर राज्य सरकार को नियंत्रण करने का आदेश भी दिया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आजम खां के ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और याचिका दायर कर न्याय करने की फरियाद की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की आज सुनवाई की और इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया और आजम खां एवं उनके ट्रस्ट को बड़ी राहत प्रदान की।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोंक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आजम खां और उनके ट्रस्ट को बहुत बड़ी राहत मिली है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के कब्जे से राज्य सरकार के नियंत्रण में जाने वाली 450 एकड़ से अधिक जमीन जौहर यूनिवर्सिटी के पास ही रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को बहुत तगड़ा झटका लगा है। योगी आदित्यनाथ की सरकार मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन छीन कर यूनिवर्सिटी को खत्म करने का लगातार प्रयास कर रही थी। योगी आदित्यनाथ आजम खां से व्यक्तिगत रंजिश मानते हैं, इसीलिए वह आजम खां द्वारा स्थापित जौहर यूनिवर्सिटी को हर हाल में खत्म करना चाहते हैं। इसीलिए योगी आदित्यनाथ की सरकार जौहर यूनिवर्सिटी के खिलाफ लगातार काम कर रही है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जौहर यूनिवर्सिटी के खिलाफ आदेश देकर उससे 450 एकड़ से अधिक जमीन यूपी सरकार को सौंपने के लिए कहने से योगी आदित्यनाथ के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। वह यह मानकर चल रहे थे कि अब मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन राज्य सरकार को मिल जाएगी और वह देर-सबेर जौहर यूनिवर्सिटी को खत्म करने में कामयाब हो जाएंगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए उस पर रोंक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से योगी सरकार को ही नहीं बल्कि योगी आदित्यनाथ को व्यक्तिगत झटका लगा है। इससे उबरने में योगी आदित्यनाथ को लंबा समय लगेगा। सुप्रीम कोर्ट में आजम खां और जौहर ट्रस्ट के खिलाफ योगी आदित्यनाथ ने तगड़ी पैरवी करवाई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आजम खां के पक्ष में फैसला सुनाया I
ज्ञात हो कि वर्ष 2005 में जब मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी, तब यूपी सरकार ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए 12.5 एकड़ की सीमा के विरुद्ध 400 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने की कई शर्तों के साथ अनुमति दिया था। इसके पश्चात जौहर यूनिवर्सिटी बनने लगी थी और अपने अस्तित्व में आ गई थी। लेकिन यूपी की सत्ता बदलने के बाद अचानक 2020 में एसडीएम की एक रिपोर्ट पर एडीएम ने जनवरी 2021 में अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक आदेश पारित किया कि जौहर यूनिवर्सिटी के कब्जे में 12.5 एकड़ से अधिक की भूमि राज्य सरकार के पास निहित होगी। इसके बाद यह मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एडीएम रामपुर के निर्देश/आदेश पर हस्तक्षेप करने से साफ इंकार कर दिया। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां पर इसकी सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। दो जजों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को आवंटित भूमि के अधिग्रहण पर तत्काल रोंक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोंक लगाए जाने से आजम खां और मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को बड़ी राहत मिली है। यहां आपको यह बताते चलें कि आज़म खां जौहर ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं।