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Saturday, May 4, 2024
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यूपी: भाजपा नेताओं का पार्टी से इस्तीफा देने का सिलसिला जारी, सपा को मिल रहा समर्थन

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | यूपी के पूर्वांचल में भाजपा का एक बड़ा विकेट आज गिर गया है। भाजपा के बड़े राजनेता और भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य राम इकबाल सिंह ने आज भाजपा से इस्तीफा दे दिया है और सपा को ज्वाईन कर लिया है। इससे पूर्वांचल में भाजपा को तगड़ा झटका लगा है।

यूपी के बलिया जिले के भाजपा के जमीनी स्तर के नेता, भाजपा के पूर्व विधायक और भाजपा की यूपी कार्यसमिति के सदस्य राम इकबाल सिंह ने आज भाजपा से इस्तीफा दे दिया है और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं। राम इकबाल सिंह ने कुछ समय पूर्व लखनऊ में भाजपा की हुई कार्यसमिति की बैठक में योगी आदित्यनाथ की सरकार की कानून व्यवस्था की पोल खोलते हुए राज्य सरकार पर तगड़ा हमला बोला था और योगी आदित्यनाथ की सरकार पर सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद इन्हें बोलने से तुरंत रोंक दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद इन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार के गलत काम का विरोध करना कभी बंद नहीं किया था।

राम इकबाल सिंह ने योगी आदित्यनाथ के ऊपर सवाल उठाते हुए यहां तक कहा था कि योगी आदित्यनाथ संत ही नहीं हैं। सन्त कभी शराब नहीं बिकवाता है, जबकि योगी आदित्यनाथ के राज में शराब बिक रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि योगी आदित्यनाथ से अच्छे तो नीतीश कुमार हैं, जिन्होंने बिहार में शराब को बंद कर रखा है। इस पर राम इकबाल सिंह का बहुत लोगों ने समर्थन किया था।

राम इकबाल सिंह कहते हैं कि, “सत्ता की चापलूसी वह करें, जो गलत काम करते हैं। मैं कोई गलत काम नहीं करता हूं, जो सत्ता की दलाली करूं।” राम इकबाल सिंह संघर्षशील, जमीनी स्तर के जुझारू राजनेता हैं, इनके भाजपा से अलग होने से पूर्वांचल में भाजपा को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि यह जनता के लिए राजनीतिक करते हैं और जनता इनको काफी सम्मान देती है।

राम इकबाल सिंह के जमीनी स्तर का राजनेता होने के नाते और पूर्वांचल में जनता के बीच अच्छी पकड़ रखने के कारण सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद उनको पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। राम इकबाल सिंह के साथ उनके हजारों समर्थकों ने भी सपा को ज्वाईन किया। राम इकबाल सिंह के सपा ज्वाईन करने की खबर जब भाजपा के बड़े नेताओं को लगी, तो भाजपा में हड़कंप मच गया और लखनऊ से लेकर दिल्ली तक भाजपा नेताओं के फोन बजने लगे। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। राम इकबाल सिंह के सपा में शामिल होने से भाजपा में अफरा-तफरी मच गई है।

राम इकबाल सिंह कभी योगी आदित्यनाथ के काफी करीबी हुआ करते थे और यह योगी आदित्यनाथ का खुलकर समर्थन करते थे। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने जबसे मनमानेपन से काम करना शुरू कर दिया और अफसरशाही से घिर गए, तबसे राम इकबाल सिंह और योगी आदित्यनाथ के बीच दूरियां बढ़ गईं।

राम इकबाल सिंह की यह सोच है कि जाति और धर्म को देखकर बदले की भावना से किसी को परेशान नहीं किया जाना चाहिए और न ही जाति एवं धर्म के आधार पर पूर्वाग्रह से ग्रसित हो कर किसी का उत्पीड़न किया जाना चाहिए। जबकि योगी आदित्यनाथ इसी पैटर्न पर सत्ता चला रहे हैं।

राम इकबाल सिंह इसको गलत मानते हैं। इन्हीं सब कारणों से राम इकबाल सिंह और योगी आदित्यनाथ के बीच दूरियां बढ़ी और राम इकबाल सिंह ने समय-समय पर योगी आदित्यनाथ का खुलकर विरोध किया। जमीनी स्तर का राजनेता होने के कारण और जनता से जुड़े हुए होने के कारण वह अपने को भाजपा में एडजस्ट नहीं कर पाए और आज उन्होंने भाजपा को अलविदा कह दिया।

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