मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | न्यूज़ चैनल आज तक के सर्वे में साल 2020 में ‘सबसे तेज़’ मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को चुना गया है. पिछले दिनों ट्विटर पर भी सबसे तेज़ और सफल मुख्यमंत्री के रूप में उनका नाम ट्रेंड कर रहा था. हालांकि महिला आयोग के आंकड़े उत्तर प्रदेश की अलग कहानी बयान करते हैं.
योगी आदित्यनाथ एक तरफ ट्विटर पर सफल मुख्यमंत्री के रूप में ट्रेंड हो रहे हैं तो दूसरी तरफ महिला आयोग के आंकड़े ये बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा बढ़ी है और उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए असुरक्षित प्रदेश के रूप में उभर कर सामने आया है.
राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट कहती है कि साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा में सबसे अधिक शिकायतें उत्तर प्रदेश से मिली हैं.
रिपोर्ट बताती है कि 11,872 शिकायतें सिर्फ उत्तर प्रदेश से मिलीं हैं. महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा की साल 2020 में सबसे ज्यादा शिकायतें मिलीं.
हालांकि, महिला आयोग पर भाजपा सरकार या भाजपा शासित प्रदेशों में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के मामलों में संज्ञान नहीं लेने पर सवाल उठते रहे हैं. हाल ही में हाथरस मामले में कई महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आयोग पर भाजपा सरकार के प्रति नर्म रवैया अपनाने पर सवाल उठाया था.
फिर भी जो आंकड़े सामने आए हैं या सार्वजनिक किए गए हैं वो उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है.
महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, आयोग को 2020 में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा के संबंध में 23,722 शिकायतें मिलीं जो कि पिछले छह वर्षों में सबसे ज्यादा हैं. इनमें 11,872 शिकायतें सिर्फ उत्तर प्रदेश से मिलीं हैं.
उत्तर प्रदेश में उन्नाव, हाथरस, बलरामपुर गैंगरेप मामला राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा. हाल ही में बदायूं का मामला सामने आया है. इस मामले में भी महिला आयोग की भूमिका अपने बयान को लेकर विवादित रही. सरकार से सवाल के बजाए पीड़ित परिवार पर सवाल उठाया गया.
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में महिला की गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी ने गुरुवार को पीड़ित परिवार के घर का दौरा करने के दौरान एक विवादित बयान दिया जिसके कारण उनकी आलोचना हो रही है.
परिवार से दुख-दर्द साझा करने के बाद महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी ने गैंगरेप पीड़िता के शाम के वक्त बाहर जाने पर सवाल खड़े कर दिए. उनके इस बयान की निंदा हो रही है और इसे शर्मनाक बताया जा रहा है.
एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार भी उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की सबसे अधिक घटनाएं हुई हैं.
यूं तो देश के अन्य प्रदेशों में भी हिंसा के मामले सामने आते रहे हैं मगर जब उत्तर प्रदेश में हम महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की प्रकृति पर नज़र डालते हैं तो ये और भी विभत्स दिखाई देते हैं. गैंग रेप के सभी मामलों में पीड़िताओं के साथ जिस प्रकार का बर्ताव किया जा रहा है वो व्यक्ति को हिला देने वाला है.
उत्तर प्रदेश में हुए गैंग रेप के मामलों में, चाहे हाथरस हो या बदायूं, सभी में पीड़िताओं के साथ बर्बरता की गई है. किसी की पसलियां तोड़ दी गईं तो किसी की ज़बान काट ने का आरोप लगा. इसके बावजूद इन मामलों में प्रशासन का ढीला ढाला रवैया उत्तर प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध बढ़ती हिंसा और रेप के मामलों के कारण को उजागर करता है.
इन सभी रिपोर्टों के आधार पर देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में महिलाएं सबसे अधिक असुरक्षित हैं. योगी सरकार के विकास के दावों के बावजूद अपराध की रोकथाम और महिला सुरक्षा में उत्तर प्रदेश और यहां की क़ानून व्यवस्था पूरी तरह विफल दिखाई दे रही है.
हाथरस में दलित युवती के साथ हुए गैंगरेप के मामले में पुलिस के बयान पर काफी सवाल उठे थे. प्रशासन ने गैंग रेप को रेप मानने से आखिर तक इनकार करता रहा हालांकि सीबीआई रिपोर्ट ने भी गैंग रेप की बात को स्वीकार किया है.
हाल ही में बदायूं रेप मामला हो, हाथरस गैंग रेप मामला हो या कोई छेड़छाड़ का मामला, इन सभी मामलों में पुलिस ने पहले रिपोर्ट लिखने में देर लगाई है या आरोपियों के दबाव में मामला दर्ज करने में ढिलाई बरती है.
हाल ही में ‘लव जिहाद’ को लेकर लाया गया क़ानून भी महिलाओं को ही सर्वाधिक समस्या पैदा कर रहा है. कई मामलों में विवाह करने वाले हिन्दू-मुस्लिम जोड़ों के माता पिता ने शादी को अपनी स्वीकृति दी है मगर पुलिस को क़ुबूल नहीं है इसलिए शादी रुक गई.
कुशीनगर में संदेह के आधार पर पुलिस एक दूल्हे को शादी के समय ही थाने उठा ले गई. ऐसे ढेरों मामले उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहे हैं. इस पूरी प्रक्रिया में सबसे अधिक महिला ही प्रभावित हो रही.
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा व रेप के कुछ जघन्य मामले हैं:
●उन्नाव में एक नौ साल की बच्ची के साथ रेप. बच्ची के शरीर से अधिक खून बहने के कारण मौत.
●हाथरस में 14 सितंबर को एक नाबालिग के साथ गैंगरेप के बाद उसकी हत्या.
●बलरामपुर में एक 22 वर्षीय दलित युवती के साथ रेप.
●बदायूं में मंदिर गई एक महिला के साथ दुष्कर्म, निर्भया की तरह क्रूर व्यवहार किया गया.
इन आंकड़ों के बाद भी कोई आज तक जैसा चैनल सवाल पूछने के बजाए सबसे तेज़ मुख्यमंत्री का खिताब देने में व्यस्त है.
‘आज तक’ द्वारा राजनीति में साल के सबसे तेज मुख्यमंत्री का खिताब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को दिया गया है. ये पुरस्कार उन्हें दिया जाता है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में अच्छा काम किया है. आज तक का दावा है कि दर्शकों ने सबसे तेज मुख्यमंत्री के रूप में सीएम योगी आदित्यनाथ को चुना है.
सबसे तेज़ मुख्यमंत्री चुनने का आधार क्या है ये तो दर्शक बताएंगे या आज तक की सर्वे टीम लेकिन उत्तर प्रदेश में महिलाओं की असुरक्षा के मुद्दे पर जनता मूक दर्शक बनी रही तो ये चिंता का विषय होगा.
जहां तेज़ी से महिलाओं के साथ ज़्यादतियों, हिंसा और रेप के मामले बढ़ रहे हों जिसकी पुष्टि राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़े कर रहे हों वहां एक मीडिया हाउस सवाल उठाने के बजाए तेज़ मुख्यमंत्री के खिताब दे रहा है और पार्टी कार्यकर्ता इसका जश्न ट्विटर पर मना रहे हैं.
इन परिस्थितियों और आंकड़ों को देखकर यह सवाल तो उठता है कि जो प्रदेश महिलाओं के लिए असुरक्षित हो उस प्रदेश के मुख्यमंत्री सबसे तेज़ और सफल मुख्यमंत्री कैसे हो सकते हैं?