इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 28 साल पुराने एक ड्रग्स मामले में गुजरात के पालनपुर की एक अदालत ने 20 साल की कैद और दो लाख रुपए के जुर्माने की सज़ा सुनाई है.
पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक और विरोधी के रूप में जाने जाते हैं. संजीव कस्टोडियल डेथ के एक मामले में पहले से ही उम्रकैद की सज़ा काट रहे हैं.
पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को ड्रग्स के एक मामले में पालनपुर की एडिशनल एंड सेशन कोर्ट द्वारा 11 अलग-अलग धाराओं के तहत सज़ा सुनाई गई है.
कोर्ट ने 20 साल की कैद के अलावा दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है और दंड न भरने पर एक साल की अतिरिक्त कैद होगी.
संजीव की पत्नी ने तमाम आरोपों को गलत बताया है और उनकी तरफ से कोर्ट के आदेश पर भी निराशा व्यक्त की गई है. गुजरात हाईकोर्ट ने मामले की जांच जून 2018 में सीआईडी के हवाले कर दी थी.
सितंबर 2018 में भट्ट को गिरफ्तार कर लिया गया. उसके बाद सीआईडी ने व्यास और संजीव भट्ट के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.
गुजरात हाइकोर्ट ने सवाल किया था कि इस मामले में अफीम कौन लाया? कहां से लाया और होटल तक किसने पहुंचाई? गुजरात हाइकोर्ट ने इसकी जांच के लिए सीआईडी गुजरात को आदेश दिया था.
कोर्ट के आदेश के बाद मामले में एसआईटी का गठन हुआ था और एसआईटी द्वारा जांच की गई, जिसके बाद संजीव भट्ट और तत्कालीन एल.सी.बी. पुलिस इंस्पेक्टर और अब सेवानिवृत्त डीएसपी आईबी व्यास को गिरफ्तार किया गया था.
इस मामले में तीन महीने की समय सीमा के भीतर नामदार अदालत में चार्जशीट दायर की गई. मामले में आरोपी संजीव भट्ट अपनी गिरफ्तारी के बाद से ही जेल में हैं.
क्या था मामला
संजीव भट्ट पर आरोप था कि 1996 में बनासकांठा के एसपी के पद पर रहते हुए उन्होंने राजस्थान के एक वकील समर सिंह को फंसाने के लिए पालनपुर की लाजवंती होटल में वकील के कमरे में बड़ी मात्रा में अफीम प्लांट की थी.
आरोप है कि यह साज़िश पाली शहर के वर्धमान मार्केट में एक दुकान खाली कराने के लिए रची गई थी. इस दुकान में अधिवक्ता सुमेर सिंह राजपुरोहित का ऑफिस था. राजपुरोहित के भाई ने यह दुकान अमरीदेवी से किराए पर ली थी.
रिपोर्ट के अनुसार अमरी देवी ने इसके लिए गुजरात हाईकोर्ट के जज आरआर जैन से मदद मांगी. जैन ने बनासकांठा के तत्कालीन एसपी, भट्ट को दुकान खाली कराने के लिए कहा जिसके बाद एसपी संजीव भट्ट ने 30 अप्रेल 1996 को पालनपुर के एक होटल में वकील सुमेरसिंह के नाम से एक कमरा बुक कराया.
भट्ट पर आरोप है कि उसी कमरे से एक किलो अफीम बरामदगी दिखाई गई थी. इसके बाद 2 मई को गुजरात पुलिस पाली पहुंची और सुमेर सिंह राजपुरोहित को पाली से उठा ले गई.
इस घटना के बाद पीड़ित वकील के समर्थन में राजस्थान के पाली के वकीलों द्वारा छह महीने तक हड़ताल और विरोध प्रदर्शन भी किया गया था.
कोर्ट द्वारा संजीव भट्ट को सज़ा सुनाए जाने के साथ उनके वकील ने कहा कि यह फैसला पहले से ही अपेक्षित था. उन्होंने यह भी कहा कि जज और सरकारी वकील खुलेआम कोर्ट रूम में साथ बैठते हैं.
उन्होंने कहा कि, ऐसे में उनसे और क्या उम्मीद की जा सकती है. संजीव के वकील ने कहा कि पूर्व आईपीएस अधिकारी “सिर्फ सच्चाई के लिए लड़ रहे हैं”.
कौन हैं संजीव भट्ट ?
संजीव भट्ट गुजरात कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी हैं. आईआईटी बॉम्बे से एमटेक की डिग्री पूरी करने के बाद, भट्ट 1988 में आईपीएस में शामिल हो गए थे.
संजीव भट्ट 1990 में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थे जब उन्होंने जामनगर में दंगे के बाद 150 लोगों को हिरासत में लिया था.
1989 के हिरासत में मौत के एक मामले में संजीव भट्ट पहले से ही आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. वह 1989 के हिरासत में मौत के मामले में मुख्य आरोपी थे, जहां उन्होंने दंगे के दौरान सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया था और उनमें से एक की मौत हो गई थी.