https://www.xxzza1.com
Sunday, May 19, 2024
Home देश ज्ञानवापी मस्जिद तहखाने में 'पूजा' की अनुमति देने के फैसले पर मुस्लिम...

ज्ञानवापी मस्जिद तहखाने में ‘पूजा’ की अनुमति देने के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने जताई नाराज़गी

इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | मुस्लिम समुदाय के प्रमुख धार्मिक और राजनीतिक नेताओं ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में ‘पूजा’ (मूर्ति पूजा) शुरू किए जाने पर नाराज़गी व्यक्त की है, जहां वाराणसी जिला न्यायाधीश द्वारा एक बेतुके एक और निराधार दावे पर आधारित फैसले के बाद रातोंरात लोहे की ग्रिल को तोड़ दिया गया और मूर्तियों को स्थापित कर दिया गया.

इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए, मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कहा कि अदालत द्वारा प्रशासन को आवश्यक व्यवस्था करने के लिए सात दिन का समय देने के बावजूद प्रशासन द्वारा की गई जल्दबाज़ी ने प्रशासन और वादी के बीच एक स्पष्ट मिलीभगत को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.

जिला न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ उच्च अदालत में अपील करने के लिए मस्जिद प्रबंध समिति के किसी भी प्रयास को रोकने की स्पष्ट कोशिश की गई है.

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बैनर तले विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले मुस्लिम नेताओं ने 2 फरवरी को जमीयत उलमा-ए-हिंद के मुख्यालय में इस गंभीर विषय पर एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया.

उन्होंने वाराणसी जिला न्यायाधीश द्वारा दिए गए फैसले पर आश्चर्य जताया और निराशा व्यक्त की.

मुस्लिम नेताओं के नज़रिए से यह फैसला गलत और निराधार है, जिसमें कहा गया है कि सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा करता था और राज्य सरकार के आदेश पर इसे बंद कर दिया गया था. इस आदेश के बाद 24 जनवरी को इसी कोर्ट ने बेसमेंट की कस्टडी जिला प्रशासन को सौंप दी थी.

ज्ञानवापी मस्जिद के बेसमेंट में रातोंरात लोहे की ग्रिल काट कर और मूर्तियां रखकर बहुत जल्दी में पूजा शुरू करवा दिया जाना इस बात को दिखाता है कि प्रशासन मुद्दई के साथ मिलकर मस्जिद कमेटी को आर्डर के ख़िलाफ़ अपील करने के अधिकार को प्रभावित करना चाहता था. हम इस मिलीभगत की कठोर शब्दों में निंदा करते हैं।

संयुक्त बयान में कहा गया है कि, “हम यह बात साफ़ कर देना ज़रूरी समझते हैं कि इस तहख़ाने में कभी भी पूजा नहीं हुई थी, एक निराधार दावे को बुनियाद बनाकर ज़िला जज ने अपनी सर्विस के आख़िरी दिन बहुत ही आपत्तिजनक और निराधार फ़ैसला दिया है. इसी तरह आरक्योलोजीकल सर्वे की रिपोर्ट का भी हिंदू पक्ष ने प्रेस में एकतरफ़ा तौर पर रहस्योदघाटन करके भ्रमित करने का प्रयास किया. अभी अदालत में न तो इस पर कोई बहस हुई है और न ही उस की पुष्टि की गई है. अभी ASI के इस रिपोर्ट की हैसियत मात्र एक दावे की है.”

बयान में कहा गया है कि, ज़िला अदालत के आदेश को प्रशासन ने जिस जल्दबाज़ी में लागू किया उस का स्पष्ट उद्देश्य मुस्लिम पक्ष के इस अधिकार को प्रभावित करना था कि वो हाईकोर्ट से तुरंत कोई रिलीफ़ न हासिल कर सके. इसी तरह हमारा मानना है कि ज़िला अदालत को भी मुस्लिम पक्ष को अपील का मौक़ा देना चाहिए था जो कि उस का क़ानूनी अधिकार था.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान में कहा गया है कि, समस्या केवल ज्ञानवापी मस्जिद तक सीमित नहीं है, बल्कि जिस तरह मथुरा की शाही ईदगाह, दिल्ली की सुनहरी और अन्य मस्जिदों और देश भर में फैली हुई अनगिनत मस्जिदों और वक़्फ़ की जायदादों पर लगातार निराधार दावे किए जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट इबादतगाहों से जुड़े 1991 के क़ानून पर ख़ामोश है, उसने देश के मुसलमानों को गहरी चिंता में डाल दिया है.”

बयान में कहा गया है कि, “किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अदालतें समाज के पीड़ित और प्रभावित लोगों के लिए आख़िरी सहारा होती हैं, लेकिन अगर वो भी पक्षपातपूर्ण रवैय्या अपनाने लगें तो फिर इन्साफ़ की गुहार किस से लगाई जाएगी. ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील श्री दुषयंत दवे जी की अदालतों के बारे यह राय सही है कि देश की अदालतें बहुसंख्यक वर्ग की मोहताज बनती जा रही हैं और वे प्रशासन द्वारा क़ानूनों के खुले उल्लंघन पर मूक दर्शक बनी रहती हैं.”

बोर्ड के बयान में कहा गया है कि, एक वरिष्ठ अधिवक्ता का देश की न्याय व्यवस्था पर यह गंभीर टिप्पणी एक अंधकारमय भविष्य की ओर इशारा कर रही है. अदालतों के एक के बाद एक कई फ़ैसले देश के अल्पसंख्यकों और पीड़ित वर्गों के इसी एहसास को बल दे रहे हैं जिसकी अभिव्यक्ति वरिष्ठ अधिवक्ता महोदय ने की है. यह मुद्दा केवल अदालतों की गरिमा को बनाए रखने का ही नहीं है, बल्कि अल्पसंख्यक वर्गों को न्याय से वंचित होने और पीड़ित होने के एहसास से बचाने का भी है.”

आगे बयान में कहा गया है कि, “हम यह समझते हैं कि इस समय देश की गरिमा, उसकी न्याय व्यवस्था और प्रशासनिक मामलों की निष्पक्षता को गंभीर ख़तरों का सामना है, जिसका संज्ञान लेना सभी संवैधानिक शक्तियों का दायित्व है. भारतीय मुसलमानों के इस एहसास को राष्ट्रपति तक, जो कि देश का और लोकतंत्र का प्रमुख होता है, पहुंचाने के लिए उनके प्रतिनिधि के रूप में हमने समय मांगा है, ताकि उस के उपाय के लिए वे अपने स्तर से कोशिश कर सकें.”

इसी प्रकार भारतीय मुसलमानों के इस एहसास को हम ठीक प्रकार से चीफ़ जस्टिस आफ़ इंडिया तक भी पहुंचाने की कोशिश करेंगे.

प्रेस को संबोधित करने वालों में मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी- अध्यक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मौलाना सय्यद अरशद मदनी- अध्यक्ष, जमीअत उलमा-ए हिंद, मौलाना असग़र इमाम मह्दी- अध्यक्ष मर्कज़ी जमीअत अहले-हदीस, मौलाना सय्यद असद महमूद मदनी- अध्यक्ष जमीअत उलमा हिंद, मलिक मोतसिम ख़ान- उपाध्यक्ष, जमात-ए-इस्लामी हिंद, असदुद्दीन उवैसी- एमपी, सदर ऑल इंडिया मजलिस इत्तिहादुल-मुस्लिमीन, डाक्टर सय्यद क़ासिम रसूल इलयास- प्रवक्ता ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, कमाल फ़ारूक़ी- सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आदि शामिल थे.

- Advertisement -
- Advertisement -

Stay Connected

16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe

Must Read

ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को मोदी सरकार के इशारे पर काम करने वाली कठपुतली करार दिया

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान एक चुनावी रैली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री...
- Advertisement -

हलद्वानी हिंसा: आरोपियों पर लगा UAPA, क़ौमी एकता मंच ने की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग

-एस.एम.ए. काज़मी देहरादून | उत्तराखंड पुलिस ने 8 फरवरी, 2024 को हुई हल्द्वानी हिंसा मामले में सात महिलाओं सहित...

उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों- सरकारी कर्मचारियों का आरोप, “वोट डालने से किया गया वंचित”

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो लखनऊ | उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में सरकारी कर्मचारियों में से ख़ासकर पुलिस...

कांग्रेस का पीएम से सवाल, 20 हज़ार करोड़ खर्च करने के बावजूद गंगा और मैली क्यों हो गई ?

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी की लोकसभा सीट बनारस के मुद्दों को लेकर सवाल...

Related News

ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को मोदी सरकार के इशारे पर काम करने वाली कठपुतली करार दिया

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान एक चुनावी रैली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री...

हलद्वानी हिंसा: आरोपियों पर लगा UAPA, क़ौमी एकता मंच ने की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग

-एस.एम.ए. काज़मी देहरादून | उत्तराखंड पुलिस ने 8 फरवरी, 2024 को हुई हल्द्वानी हिंसा मामले में सात महिलाओं सहित...

उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों- सरकारी कर्मचारियों का आरोप, “वोट डालने से किया गया वंचित”

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो लखनऊ | उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में सरकारी कर्मचारियों में से ख़ासकर पुलिस...

कांग्रेस का पीएम से सवाल, 20 हज़ार करोड़ खर्च करने के बावजूद गंगा और मैली क्यों हो गई ?

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी की लोकसभा सीट बनारस के मुद्दों को लेकर सवाल...

MDH मसाले अमेरिका में मानकों पर खरे नहीं उतरे, यूएस खाद्य विभाग ने लगाई रोक, जांच शुरू

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | हाल ही में अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अमेरिकी खाद्य विभाग "फूड एंड ड्रग...
- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here