इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | वाराणसी की एक जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद की भूमि के धार्मिक चरित्र पर चल रहे अदालती विवाद के बीच हिंदू पक्ष के समर्थन में फ़ैसला सुनाया है. जिला अदालत ने मंगलवार को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने को हिंदू पक्ष को प्रार्थना करने के लिए सौंपने का निर्देश दिया है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने मस्जिद के दक्षिणी तहखाने को हिंदू पक्ष और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड द्वारा नामित पुजारी को प्रार्थना के संचालन के लिए सौपने को कहा है.
अदालत की ओर से जारी आदेश में लिखा गया है, “जिला मजिस्ट्रेट, वाराणसी / रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेण्ट प्लाट नं0-9130 थाना-चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग-भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराये और इस उद्देश्य के लिए 7 दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबन्ध करें.”
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “ज़िला प्रशासन को सात दिन के अंदर पूजा कराने के लिए इंतज़ाम कराने को कहा गया है. जैसे ही प्रशासन ये कर लेगा, वैसे ही पूजा शुरू हो जाएगी.”
ज्ञात हो कि कोर्ट द्वारा यह आदेश ज्ञानवापी मस्जिद की विवादित भूमि के तहखाने में पूजा का अधिकार मांगने वाली हिंदू वादियों की याचिका के जवाब में पारित किया गया.
न्यायाधीश एके विश्वेश ने इस पहलू पर संबंधित पक्षों की दलीलें सुनी थीं और 30 जनवरी, मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर तहखाना (तहखाने) में पूजा की अनुमति दी गई है। इस स्थान पर पूजा वर्ष 1993 में बंद कर दी गई थी.
हिंदू पक्ष ने कोर्ट में तर्क दिया था कि सोमनाथ व्यास और उनके परिवार द्वारा नवंबर 1993 तक तहखाने में पूजा आदि संचालित की जाती थीं. उन्होंने आगे दावा किया कि मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने नवंबर 1993 के बाद से उस स्थान पर पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था.
इस मामले में पूर्व में हिंदू पक्ष ने दलील दी है कि 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब के शासन के दौरान मंदिर के एक हिस्से को नष्ट कर दिया गया था.
हालांकि दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि, मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल से पहले भी मौजूद थी और यह भी कहा कि इसने समय के साथ कई परिवर्तनों को सहन किया है.
ज्ञात हो कि एएसआई वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का एक व्यापक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर चुका है. जिसके बाद एएसआई ने हाल ही में वाराणसी जिला अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी जिसमें मंदिर होने के समर्थन में तर्क दिया गया है. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने एएसआई के इस दावे को बेबुनियाद बताते हुए ख़ारिज किया था.