अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टूमारो
लखनऊ | वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पुरातत्व सर्वे रिपोर्ट कोई निर्णायक सबूत नहीं है। कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक जनता सर्वे रिपोर्ट पर कोई राय न बनाए। यह बात आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कही है।
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के संबंध में ए एस आई की सर्वेक्षण रिपोर्ट को सर्वजनिक किए जाने पर भी सख्त नाराजगी जताई है।
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सचिव डा.सैय्यद कासिम रसूल इलियास ने इस संबंध में कहा है कि, “ज्ञानवापी मस्जिद परिसर मामले में साम्प्रदायिक संगठन कई सालों से जनता को गुमराह कर रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण ए एस आई की रिपोर्ट कि, जिसे कोर्ट के आदेश पर वादी और प्रतिवादी को उपलब्ध कराया गया था। किंतु विरोधी पक्ष ने इसे प्रकाशित करके न केवल कोर्ट का अपमान किया है बल्कि जनता को भी गुमराह करने का प्रयास किया है।”
डा. सैय्यद कासिम रसूल इलियास ने आगे कहा कि, “कुछ माह पहले सर्वेक्षण टीम ने जलाशय में मौजूद फौव्वारे को शिवलिंग बताया था, तब भी विरोधी पक्ष ने इसको प्रचारित कर जनता को गुमराह करने की कोशिश की थी।जबकि न तो विशेषज्ञों द्वारा इसकी जाँच – पड़ताल की गई और न ही कोर्ट ने कोई निर्णय दिया है।”
उन्होंने कहा है कि, “आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की कानूनी समिति और वकील इस रिपोर्ट की विस्तार से जांच करेंगे और इसे मस्जिद के अंजुमन प्रशासन द्वारा अदालत में पेश किया जायेगा।”