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Sunday, May 19, 2024
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राम मंदिर कार्यक्रम से PM का लोकसभा चुनाव पर निशाना: मौलाना वलीउल्लाह फलाही, JIH उपाध्यक्ष

-अनवारुलहक बेग

नई दिल्ली | जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना वलीउल्लाह सईदी फलाही ने कहा है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए और एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अयोध्या में ढहाई गई बाबरी मस्जिद की ज़मीन पर बने राम मंदिर के उद्घाटन से ख़ुद को नहीं जोड़ना चाहिए था.

उन्होंने ये टिप्पणी पिछले सप्ताह दिल्ली में इशाअत-ए-इस्लाम मस्जिद में अपने शुक्रवार के खुतबे (उपदेश) में की थी.

मौलाना फलाही ने बताया कि, राम मंदिर के कार्यक्रम में पीएम की भागीदारी इस साल अप्रैल-मई के बीच होने वाले 2024 के आम चुनावों से प्रेरित लगती है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के राजनीतिक से प्रेरित होने के कारण ही कई विपक्षी दलों के नेताओं ने कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया.

उन्होंने कहा कि, हिंदू आस्था के अनुसार सर्वोच्च धार्मिक प्रतिनिधी माने जाने वाले चार शंकराचार्यों ने भी इसी वजह से राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से निमंत्रण मिलने के बावजूद कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया था.

जेआईएच नेता ने बाबरी मस्जिद मामले की साज़िश की तरह ही वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद पर कब्ज़ा करने की साज़िश का भी मुद्दा भी उठाया.

उन्होंने ज्ञानवापी के वज़ूख़ाने के सर्वेक्षण की अनुमति की आलोचना करते हुए आशंका व्यक्त की, कि शायद इस मामले में भी मुसलमानों को न्याय नहीं मिलेगा जैसा कि बाबरी मस्जिद मामले में भी हुआ था.

“क्या कोई देश उत्पीड़न, अन्याय और ‘जिसकी लाठी उसी की भैंस’ नीतियों पर चल सकता है?” : मौलाना सईदी

अपनी चिंताएं ज़ाहिर करते हुए, मौलाना फलाही ने मथुरा की ईदगाह के खिलाफ मामले और संसद भवन के पास प्रतिष्ठित सुनेहरी बाग मस्जिद सहित दिल्ली की 22 मस्जिदों को ध्वस्त करने की दक्षिणपंथ की योजना का भी ज़िक्र किया.

उन्होंने सत्ता में बैठे लोगों के इरादों पर सवाल उठाया और कहा कि बाबरी मस्जिद का फैसला सुनाने वाले जजों में से एक को राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था इससे कोर्ट के फ़ैसले के पीछे छुपे राजनीतिक एजेंडे का पता चलता है. उन्होंने चिन्ता व्यक्त की, कि सरकार की बहुसंख्यकवादी नीतियां समुदायों के बीच तनाव बढ़ा रही हैं.

यह घटना याद दिलाते हुए कि मंदिर का निर्माण 6 दिसंबर, 1992 को हिंसक हिंदू भीड़ द्वारा ध्वस्त की गई 16वीं सदी की मस्जिद के मलबे पर किया जा रहा है, मौलाना फलाही ने कहा कि 1528 में बाबरी मस्जिद के निर्माण के बाद से 500 से अधिक वर्षों तक मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद में नमाज़ अदा की है. हालाँकि 1949 में, हिंदू कट्टरपंथियों ने मस्जिद के अंदर गुप्त रूप से मूर्तियाँ रख दीं थी और बाद में इसे ध्वस्त करने की तैयारी कर ली.

मौलाना फलाही ने बताया कि बाबरी मस्जिद की सुरक्षा के लिए सरकारी आश्वासन के बावजूद सार्वजनिक तौर पर उसका विध्वंस यह दर्शाता है कि भारत में जंगलराज है न कि कानून का शासन. पूरी दुनिया असहाय होकर देखती रही जब दंगाइयों ने 500 साल पुराने संरक्षित स्मारक को ध्वस्त कर दिया. इस घटना ने भारत की लोकतांत्रिक नींव को नष्ट कर दिया.

उन्होंने नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले का ज़िक्र किया जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर होने का कोई सबूत नहीं था. अदालत की टिप्पणियाँ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा साइट की खुदाई रिपोर्ट पर आधारित थीं. शीर्ष अदालत ने भी माना कि मस्जिद का विध्वंस अवैध था.

हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू भावनाओं के आधार पर मस्जिद की ज़मीन मंदिर को दे दी. मौलाना फलाही ने कुरान में सच बोलने और न्याय करने पर ज़ोर देने का हवाला देते हुए मस्जिद की ज़मीन को मंदिर निर्माण के लिए सौंपने के न्याय पर सवाल उठाया.

मौलाना फलाही ने कहा कि, मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को स्वीकार कर लिया है, लेकिन वे इसे अन्यायपूर्ण और बाबरी मस्जिद के पक्ष में सभी सबूतों के होने के बावजूद फ़ैसले को गलत मानते हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि केवल न्यायिक घोषणा से वास्तविकता नहीं बदलती. सत्य सदैव सत्य ही रहेगा.

हिंदू पक्ष के इस दावे का खंडन करते हुए कि बाबरी मस्जिद का निर्माण ध्वस्त राम मंदिर के स्थान पर किया गया था, उन्होंने कहा कि अवैध रूप से कब्ज़ा की गई भूमि पर मस्जिद का निर्माण नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मस्जिद केवल वैध तरीकों से हासिल की गई ज़मीन पर ही बनाई जा सकती है. इस संदर्भ में, उन्होंने पैगंबर मुहम्मद के मस्जिद-ए-नबवी (पैगंबर की मस्जिद) के निर्माण का उदाहरण भी दिया.

मौलाना फलाही ने कहा कि मस्जिद-ए-नबवी की ज़मीन दो अनाथ बच्चों की थी जो मस्जिद के लिए ज़मीन उपहार में देना चाहते थे लेकिन पैगंबर ने ज़मीन के दोनों मालिकों को तत्कालीन बाज़ार दर पर कीमत देने के बाद ही ज़मीन ली.

मौलाना फलाही ने कहा, “हालांकि दोनों बच्चे ज़मीन दान करने में खुश थे, लेकिन पैगंबर ने उन्हें मस्जिद-ए-नबवी के निर्माण के लिए बाज़ार मूल्य का भुगतान किया. इस्लामी कानून के अनुसार मस्जिद बनाने से पहले संपत्ति के मालिकों की सहमति लेना आवश्यक है, क्योंकि कब्ज़े वाली ज़मीन पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती. कब्ज़े वाली ज़मीन या किसी अन्य धर्म के पूजा स्थलों पर बनी मस्जिद में की गई कोई भी प्रार्थना अमान्य मानी जाती है.”

जेआईएच नेता ने कहा कि जब मुस्लिम सेना ने बैतुल मुकद्दस (वर्तमान यरूशलेम) को ईसाई शक्तियों से अपने कब्ज़े में लिया, तो मुस्लिम खलीफा हज़रत उमर ने सभी ईसाई और यहूदी पूजा स्थलों की सुरक्षा, सभी के लिए समान अधिकार और अल्पसंख्यकों के खिलाफ कोई धार्मिक भेदभाव या अन्याय नहीं होने देने की घोषणा की.

खलीफा के धार्मिक स्वतंत्रता के आश्वासन से प्रसन्न होकर ईसाई बिशप ने गर्व से उन्हें अपना पवित्र सेपुलचे का चर्च दिखाया. ईसाइयों के पवित्र स्थल का दौरा करने के दौरान शहर में अज़ान हुई तो बिशप ने आतिथ्य भाव में हज़रत उमर को चर्च के भीतर नमाज़ पढ़ने का अवसर दिया. हालाँकि, हज़रत उमर ने सम्मानपूर्वक मना कर दिया.

ख़लीफा उमर ने चर्च के बाहर कदम रखा और खुली ज़मीन पर नमाज़ अदा की. जब बिशप ने उनसे उनके फैसले के बारे में सवाल किया, तो हज़रत उमर ने समझाया कि, “मुझे डर है कि अगर मैं चर्च के अंदर नमाज़ अदा करूंगा, तो मुसलमानों की आने वाली पीढ़ियां इस ईसाई पवित्र स्थान के स्वामित्व का दावा करने के लिऐ मेरे इस काम की गलत व्याख्या कर सकती हैं. मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि कोई भी मेरी नमाज़ का इस्तेमाल इस चर्च को नुकसान पहुंचाने या यहां पूजा करने वाले ईसाइयों का अपमान करने के अर्थ के रूप में नहीं कर सके.”

मौलाना फलाही ने कहा कि जब बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था तब विद्वान और हिंदू भाई मौजूद थे और सदियां बीत गईं, लेकिन कोई आपत्ति नहीं आई. उन्होंने उपद्रवी और नफरती तत्वों पर इस मुद्दे का अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए फायदा उठाने का आरोप लगाया.

मौलाना फलाही ने टिप्पणी की कि इन तत्वों को रोज़गार, गरीबी, न्याय या सामंजस्यपूर्ण समाज की कोई चिंता नहीं है. उनका एकमात्र उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को भड़काना और विभाजन के माध्यम से अपने राजनीतिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाना है.

उन्होंने कहा कि कई गैर-मुस्लिम भारतीय इस मक्कारी को पहचानते हैं. वे जानते हैं कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस और मंदिर निर्माण दोनों ही गलत है, और अंततः 2024 के चुनावों के उद्देश्य से एक राजनीतिक एजेंडे के तहत इन्हें अंजाम दिया गया है.

इस कठिन समय में मुसलमानों को क्या करना चाहिए?

मक्का में उत्पीड़न का सामना करने वाले प्रारंभिक मुसलमानों के साथ समानताएं दर्शाते हुए, मौलाना फलाही ने भारतीय मुसलमानों से किसी भी तरह के उकसावे के खिलाफ धैर्य रखने का आग्रह किया. उन्होंने धैर्य और समझदारी से काम लेने पर ज़ोर दिया.

उन्होंने याद दिलाया कि पैगंबर मुहम्मद और उनके अनुयायियों ने मक्का में 13 वर्षों तक काबा में मूर्ति पूजा को धैर्यपूर्वक सहन किया और बाद में मक्का की जीत तक कई वर्षों तक मदीना में प्रवास करने के बाद भी धैर्यपूर्वक सहन किया.

जेआईएच नेता ने इस्लाम की शिक्षाओं के माध्यम से दिल और दिमाग को शुद्ध करने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ इज़राईली आक्रमण के बावजूद, दुनिया भर में लोग इस्लाम को अपना रहे हैं, इसके असली संदेश को पहचान रहे हैं.

उन्होंने कहा, मुसलमानों को न्याय में विश्वास बनाए रखना चाहिए और आंदोलन या विरोध प्रदर्शन से बचना चाहिए. उन्होंने कहा, “बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने वाले उपद्रवियों को न्यायपालिका पर भरोसा नहीं था.”

मौलाना फलाही मुसलमानों को सेवा और दयालुता के माध्यम से अल्लाह के संदेश को पहुंचाने में पैगंबर के उदाहरण का अनुसरण करने को कहा. उन्होंने ने कहा कि प्यार और समझ के साथ लोगों तक पहुंचने की ज़रूरत है.

उन्होंने “20% भगवा समूह” के नकारात्मक प्रभाव पर कहा कि “हमारे 80% हिंदू भाइयों” की प्रकृति अभी भी बेदाग है. उन्होंने कहा, मुसलमानों को सच्चे धार्मिक के रूप में अपना कर्तव्य निभाते हुए, इस्लाम के सच्चे संदेश को फैलाने के लिए सभी लोगों से मिलना चाहिए.

मौलाना फलाही ने आरएसएस से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच जैसे संगठनों के जाल में फंसने के प्रति आगाह किया. उन्होंने मंदिर से संबंधित गतिविधियों में भाग लेने से बचने की सलाह दी.

उन्होंने कहा कि, “इस्लाम के अनुयायी किसी भी व्यक्ति, उत्पीड़न, शासक, बहुमत या बल के सामने नहीं झुक सकते.” “हमें धैर्य रखना चाहिए, ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए और याद रखना चाहिए कि अल्लाह हमें देख रहा है.”

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