इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | एक पत्रकार को अग्रिम ज़मानत देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए आवश्यक है.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक पत्रकार को अग्रिम जमानत देते हुए यह टिप्पणी की है जिसे अवैध खनन पर वीडियो शूट करने के बाद जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया था.
बार एंड बेंच के अनुसार, न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई में कहा कि अपने प्रयासों को अंजाम देने के लिए एक पत्रकार की स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता है.
समाचार चैनल एबीपी के पत्रकार रंजीत दास को अग्रिम ज़मानत देते हुए कोर्ट ने ये टिप्पणियां की. पत्रकार ने दावा किया कि उन्होंने अवैध रेत खनन के वीडियो शूट किए थे लेकिन बाद में उनके खिलाफ एक झूठा आपराधिक मामला दर्ज किया गया.
कोर्ट ने 18 जनवरी के अपने आदेश में कहा कि, “प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए आवश्यक है. प्रेस की स्वतंत्रता को डराने-धमकाने से बचा कर रखा जा सकता है. एक पत्रकार प्रेस का हिस्सा है और अपने पत्रकारिता के प्रयासों को पूरा करने की उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता है.”
समाचार चैनल के पत्रकार रंजीत दास को कोर्ट ने अग्रिम ज़मानत दी जिनका यह दावा था कि अवैध रेत खनन के वीडियो शूट करने पर उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया.
हालांकि, पुलिस ने दावा किया कि दास कुछ लोगों से जबरन वसूली में शामिल था.
अदालत ने माना कि पत्रकार को इस को आपराधिक मामले में झूठा फंसाया गया है और इस आधार पर उसे ज़मानत दे दी.
बार एंड बेंच के अनुसार, कोर्ट ने अधिकारियों को दास को 10,000 रुपये का मुचलका और दो ज़मानती जमा करने पर गिरफ्तारी की स्थिति में रिहा करने का आदेश देते हुए कहा, “इन परिस्थितियों में हम याचिकाकर्ता को अग्रिम ज़मानत देते हैं.”
इस मामले में पत्रकार का पक्ष रखने के लिए एडवोकेट नीलाद्री शेखर घोष, सोमपूर्ण चटर्जी, सोरोव मंडल और लबनी सिकदर पेश हुए. जबकि अतिरिक्त लोक अभियोजक संजय बर्धन और शशांक शेखर साहा ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया.