अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | उत्तर प्रदेश में सोनभद्र ज़िले के दुद्धी से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को एमपी /एमएलए कोर्ट ने एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में शुक्रवार को 25 साल की सज़ा सुनाई है और 10 लाख रुपय का जुर्माना भी लगाया है.
अपर जिला जज एवं सत्र न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) की तरफ से मंगलवार, 12 दिसंबर को मामले की सुनवाई की गई थी और एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिया था. अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद विधायक को तुरंत जेल भेज दिया गया था. मामले में 15 दिसंबर को फैसला सुनाया जाना था.
शुक्रवार, 15 दिसंबर को सोनभद्र रेप केस मामले में दुद्धी से BJP विधायक रामदुलारे गोंड को MP/MLA कोर्ट ने 25 साल की सज़ा सुनाई है और 10 लाख़ रुपय का जुर्माना लगाया है.
नाबालिग से दुष्कर्म की घटना 4 नवंबर 2014 को सामने आई थी. अदालत में तब से इस मामले की लगातार सुनवाई हो रही थी. तमाम साक्ष्यों और सबूतों की रौशनी में अदालत ने लम्बे समय से चल रहे इस मामले की सुनवाई पूरी की और एमपी /एमएलए कोर्ट के जज अपर जिला जज प्रथम एहसानुल्लाह ख़ान ने भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को दोषी करार दिया.
भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को अदालत ने जैसे ही दोषी करार दिया, वैसे ही उनको पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया और उनको तुरंत जेल भेज दिया गया.
दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट में दर्ज मामले के अनुसार, विधायक रामदुलार गोंड ने न केवल नाबालिग को लगातार धमकाया बल्कि उसके साथ 1 वर्ष तक दुष्कर्म किया. इसी वर्ष 8 दिसंबर को दोनों पक्षों के वकीलों ने भी इस मामले में अपना पक्ष रखा था.
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि दुष्कर्म की घटना के समय रामदुलार गोंड की पत्नी ग्राम प्रधान थी. इसके बाद ही रादुलार गोंड भाजपा का टिकट हासिल कर चुनाव लड़ा और चुनाव जीतकर विधायक बन गया.
भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को जैसे ही अदालत ने दोषी करार दिया, वैसे ही पीड़िता का भाई भावुक हो गया. उसने कहा कि, “वह अदालत के फैसले से बहुत ही खुश है, क्योंकि उसको न्याय मिला. उसे न्याय की पूरी उम्मीद थी.”
ज्ञात हो कि दुष्कर्म पीड़िता का यह मामला उसके भाई ने ही शिकायत दर्ज कर करवाया था. यही नहीं, अपनी बहन को न्याय दिलाने के लिए उसने अपनी जान की परवाह न करके इस मामले की लगातार पैरवी की. इसी का नतीजा सामने आया कि भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को अदालत ने दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिया और कोर्ट ने सज़ा दी.
भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को सोनभद्र की एमपी/ एमएलए कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म करने के मामले में दोषी करार दिया है और उनको अदालत ने जेल भेज दिया है. लेकिन अभी तक भाजपा के इस गंभीर मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
भाजपा द्वारा अपने विधायक रामदुलार गोंड के खिलाफ कार्यवाही न करना यह दर्शाता है कि भाजपा में दुष्कर्मियों की पूछ है और बेटियां व महिलाएँ उसके लिए शायद सम्मान का विषय नहीं हैं. महिलाओं और बेटियों को भाजपा केवल वोट के लिए प्रयोग करती है और उनका प्रयोग खत्म होते ही उन्हें भूल जाती है.
पूर्व में बलात्कार के आरोपी भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर और स्वामी चिन्मयानंद जैसे राजनेता ही भाजपा की छवि को दर्शाने का काम करते हैं. अब इसी कड़ी में रामदुलार गोंड का नाम भी शामिल हो गया है और भाजपा मूक दर्शक बनी हुई है.
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली योगिता भयाना ने सोशल मीडिया पर लिखा, “यूपी सोनभद्र में नाबालिक लड़की से रेप में विधायक रामदुलार गोंड दोषी करार पीड़िता गर्भवती हो गई,पॉक्सो से बचने के लिए सर्टिफिकेट बदलवाए,ससुराल जाकर दी धमकी मुस्कुराइए आपके वोट से बलात्कारी विधायक बन गया,बेटियो की सुरक्षा ऐसे बलात्कारियो के हाथ मे है.”
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है, “उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में BJP विधायक रामदुलार गोंड नाबालिग से रेप केस में POCSO के तहत दोषी. 4 नवंबर 2014 को पत्नी के प्रधान रहते हुए नाबालिग का किया था रेप. केस के दौरान रेप पीड़िता के ऊपर समझौता के लिए दबाव और रुपयों का लालच दिया, पीड़िता की शादी के बाद उसके ससुराल जाकर भी धमकियां दीं
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “कुलदीप सेंगर के बाद उप्र के दूसरे विधायक दुष्कर्म में दोषी. चिन्मयायानन्द, बृजभूषण सिंह – महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधियों की लंबी लिस्ट. इस दुष्कर्म पर CM, PM, महिला बाल विकास मंत्री मौन क्यों? भाजपा में जघन्य अपराधियों की भरमार क्यों? मीडिया में इस पर इतनी ख़ामोशी क्यों?”
भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को अदालत द्वारा नाबालिग से दुष्कर्म करने का आरोपी करार दिए जाने और उसको जेल भेजे जाने के बाद भी यूपी में राजनीतिक दलों द्वारा इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करने से लगता है कि राजनीति में एक बड़ी शून्यता आ गई है।
इस शून्यता को खत्म करने के लिए और अपने अधिकारों के लिए अब महिलाओं और बेटियों को आगे आना होगा और राजनीति से ऊपर उठकर अपने अधिकारों के लिए मैदान में डटकर खड़ा होना होगा.