अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने लखनऊ में आयोजित बोर्ड की तफहीम-ए-शरीयत कमेटी की कांफ्रेंस में कहा है कि मुसलमान बेटियों को दहेज देने के बजाए जायदाद में हिस्सा दें, जिससे बेटियों को आगे चलकर कभी किसी प्रकार की दिक्क़तों का सामना न करना पड़े।
कांफ्रेंस में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस्लाम में महिलाओं को मिले बराबरी और विरासत के अधिकारों के प्रति भी जागरूक किया। इस कांफ्रेंस की अध्यक्षता आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की ओर से मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने की।
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की इस महत्वपूर्ण कांफ्रेंस में अपने विचार रखते हुए मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने “खानदान की तामीर में औरत का हिस्सा” विषय से कार्यक्रम की शुरुआत की। अतीक अहमद बस्तवी ने कहा, “इस्लाम ने महिलाओं को बहुत अहमियत, इज़्ज़त और अधिकार दिए हैं। शरीयत के मुताबिक अमल करने से घरों में सुकून होगा और घर जन्नत बन जाएंगे।”
इस कार्यक्रम में मौलाना नसरुल्लाह नदवी ने कहा कि, “इस्लाम पहला मजहब है जिसने सबसे पहले महिलाओं को अपने माता – पिता, पति, बेटे की जायदाद में शरई तौर पर हिस्सा दिया है। मुस्लिम पर्सनल ला ने आदेश दिया है कि विरासत में माँ, बहन, बीबी, बेटी, पोती, पड़पौती, सौतेली बहन, दादी और नानी को हिस्सा दिया जाए।”
उन्होंने आगे अपनी बात को रखते हुए कहा कि, “महिलाओं के विरासत कुरान पाक ने निर्धारित किए हैं। मुसलमान बेटियों को दहेज देने के बजाए जायदाद में हिस्सा दें, जिससे बेटियों के सामने कभी आर्थिक दिक्क़तें नहीं आएंगी।”
इस कांफ्रेंस में लखनऊ की ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि, “देश में तमाम धर्म के मानने वालों को अपने अपने पर्सनल ला पर अमल करने की संविधानिक आज़ादी है। कांफ्रेंस का मकसद लोगों के बीच मुस्लिम पर्सनल ला से संबंधित गलतफहमियों को दूर करना कि, जिससे अपने अधिकारों को शरीयत के दायरे में हासिल करें।”
इस कार्यक्रम में मौलाना मोहम्मद उमर आब्दीन कासमी ने भी अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि, “बीबियों को खुला का अधिकार है। अगर बीबी शौहर के जुल्म व सितम या आधिकारों से वंचित रहने की वजह से साथ नहीं रहना चाहती है, तो वह खुला के जरिए से निकाह को खत्म करा सकती है।”
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के इस कार्यक्रम को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मशहूर अधिवक्ता काजी सबिहुर्ररहमान और अधिवक्ता शेख सऊद रईस ने भी संबोधित किया। इन्होने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की संवैधानिक हैसियत पर अपनी बात रखी और साथ ही मुस्लिम पर्सनल बोर्ड की जमीनी स्थिति और उसके महत्व पर भी प्रकाश डाला।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड द्वारा मुस्लिम महिलाओं के उत्थान और विकास को लेकर हुए इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में हज़ारों की तादाद में मुस्लिम धर्म से जुड़े जानकार, महिलाएँ और पुरुष इकट्ठा हुए।