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Thursday, May 16, 2024
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राजस्थान चुनाव: बीजेपी नेताओं की अपमानजनक टिप्पणी, इज़राइल की तारीफ, मुसलमानों पर तंज़!

रिपोर्टर | इंडिया टुमारो

जयपुर | राजस्थान में 25 नवंबर को होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के प्रचार अभियान में मुस्लिमों को कोसने और उन पर तंज़ कसने वाली प्रवृत्ति देखी जा रही है, जो चिंताजनक स्तर तक बढ़ गई है. भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इज़राइल-हमास संघर्ष को इस रेगिस्तानी राज्य में चल रहे चुनावी मैदान में ला दिया है और इसका इस्तेमाल मुसलमानों को निशाना बनाने, उनका उपहास करने और उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाने के लिए किया है.

योगी आदित्यनाथ, सुधांशु त्रिवेदी और मनोज तिवारी जैसे राजस्थान के बाहर के भाजपा नेताओं ने अपनी चुनावी रैलियों में इज़राइल के साथ-साथ गाज़ा पट्टी पर मिसाइलें दागने की कार्रवाई की प्रशंसा की और सत्तारूढ़ कांग्रेस पर उसकी “वोट बैंक की राजनीति” के लिए हमास को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए हमास को एक आतंकवादी संगठन बताया. अपने चुनावी भाषणों में भाजपा नेताओं का स्पष्ट निशाना मुस्लिम समुदाय होता है.

राष्ट्रीय राजनेताओं से प्रेरणा लेते हुए, राज्य के भाजपा नेता मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए और बहाने ढूंढने में व्यस्त हैं और कांग्रेस पर मुसलमानों की “अन्यायपूर्ण मांगों” को बढ़ावा देने और उन्हें खुश करने का आरोप लगा रहे हैं. सांप्रदायिक अपमान और अपशब्दों से भरे पूरे चुनाव अभियान ने राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है, भाजपा को समाज के ध्रुवीकरण से राजनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है.

तिजारा में 1 नवंबर को भाजपा उम्मीदवार और सांसद बाबा बालक नाथ के समर्थन में आयोजित एक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदियनाथ ने बेहद उत्तेजक भाषण के दौरान इज़राइल की प्रशंसा की और कहा कि उसकी कार्रवाई ने फिलिस्तीन की “तालिबानी मानसिकता” को दबा दिया है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि बजरंग बली की गदा तालिबानी मानसिकता के लिए एकमात्र रामबाण है जो मध्य पूर्व के देशों को कुचल रही है.

इस बात की पुष्टि करते हुए कि आतंकवाद समाज के लिए खतरा है, आदित्यनाथ ने कहा कि, तालिबान का उपचार तो बजरंगबली की गदा ही है. उन्होंने आगे कहा, देख रहे हैं ना इस समय गाज़ा में इज़राइल, तालिबानी मानसिकता को कैसे कुचलने का काम कर रहा है. सटीक तरीके से बिल्कुल सटीक निशाना मार मार कर कुचल रहा है.

आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में हो रही बुलडोज़र कार्रवाई पर भी प्रकाश डाला और लोगों को आश्वासन दिया कि तालिबान मानसिकता हार जाएगी और राष्ट्रवाद की जीत होगी. बहुजन समाज पार्टी से अलग होने के बाद कांग्रेस ने तिजारा से मुस्लिम उम्मीदवार इमरान ख़ान को मैदान में उतारा है. आदित्यनाथ ने ख़ान पर निशाना साधते हुए इज़राइल-हमास युद्ध का ज़िक्र किया.

आदित्यनाथ ने बिना शब्दों को घुमाए और स्पष्ट संकेत दिया कि उनका लक्ष्य मुस्लिम समुदाय ही है. रैली में उन्होंने कहा, “कृपया याद रखें कि अगर कांग्रेस विधानसभा चुनाव में सफल हो जाती है तो तालिबानी मानसिकता हावी हो जाएगी और वे बहन-बेटियों पर अत्याचार, व्यापारियों का शोषण और अपहरण करना शुरू कर देंगे. वे गरीबों की संपत्ति पर कब्जा कर लेंगे और गाय की तस्करी करेंगे. वे मठों और मंदिरों को नुकसान पहुंचाएंगे. वे कोई भी त्योहार शांतिपूर्वक नहीं मनाने देंगे. इन सबको ख़त्म करने की ज़रूरत है. इसके लिए, भाजपा आपके सामने है.”

एक अन्य सार्वजनिक बैठक में, राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कर्नाटक के एक नेता का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक विशेष समुदाय के लोगों से कहा जा रहा है कि राजस्थान में भी वैसा ही करें जैसा उन्होंने एकजुट होकर भाजपा को कर्नाटक में हराया है. “कमलनाथ मध्य प्रदेश में कहते हैं कि कांग्रेस को मुसलमानों के 100% वोट चाहिए, जबकि कर्नाटक में कांग्रेस नेता सतीश जारकीहोली ने कहा कि हिंदू शब्द ही गंदा है.”

त्रिवेदी ने कहा, “वही नेता राजस्थान आते हैं और सीधे सांप्रदायिक अपील करते हैं और एकजुट होने और भाजपा को हराने की बात करते हैं. प्रतिबंध से एक सप्ताह पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को राजस्थान में रैलियां करने की इजाज़त दी गई थी.” त्रिवेदी ने पिछले साल उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या का ज़िक्र करते हुए कहा, “सर तन से जुदा” का नारा न केवल यहां उठाया गया बल्कि इसे लागू भी किया गया.

नई दिल्ली के सांसद और दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी ने जयपुर में कहा कि कांग्रेस हमास की समर्थक है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वह तुष्टिकरण के लिए किस हद तक जा सकती है. तिवारी ने कहा, “उदयपुर में एक छोटे दुकानदार कन्हैया लाल दर्ज़ी की गला काटकर हत्या कर दी जाती है और उसका वीडियो बनाया जाता है. इसी समय से हमास जैसी आतंकवादी गतिविधियां शुरू हुईं, लेकिन कांग्रेस सरकार के मुखिया इन घटनाओं को छिटपुट और सामान्य बताते हैं.”

इज़राइल के लिए आदित्यनाथ के खुले समर्थन ने तिजारा चुनाव रैली में एक स्थानीय भाजपा नेता को यह घोषणा करने के लिए प्रोत्साहित किया कि राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद क्षेत्र की मस्जिदों और मदरसों को उखाड़ फेंका जाएगा. भाजपा नेता संदीप दायमा, जो 2018 विधानसभा चुनाव में तिजारा से पार्टी के उम्मीदवार थे, ने अपने भाषण में कहा कि क्षेत्र में बड़ी संख्या में “मस्जिद और गुरुद्वारे” बन गए हैं और वे भविष्य में एक बड़ी समस्या बनने जा रहे हैं. उन्होंने बालक नाथ के लिए वोट मांगते हुए कहा, “इसलिए यह हमारी धार्मिक जिम्मेदारी है कि इन दाग को यहां से उखाड़ फेंकें.”

इस टिप्पणी से नाराज़ सिख समुदाय के सदस्यों ने तिजारा और जयपुर में विरोध प्रदर्शन किया और दायमा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. दायमा ने एक वीडियो जारी कर सार्वजनिक माफी मांगी, जिसमें उन्होंने कहा कि वह अपने भाषण में मस्जिद-मदरसा का ज़िक्र करना चाहते थे, लेकिन किसी तरह उन्होंने गुरुद्वारा कह दिया. “मुझे नहीं पता कि मैंने यह गलती कैसे की. मैं उन सिखों का अपमान करने के बारे में सोच भी नहीं सकता, जो सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए जाने जाते हैं.”

हालांकि, सिखों के प्रतिनिधि संगठन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने दायमा की माफी पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि मुसलमानों के धार्मिक स्थलों के ख़िलाफ बोलने का उनका इरादा भी उतना ही निंदनीय है. एसजीपीसी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “उन्हें इस बयान पर भी शर्म आनी चाहिए.”

जयपुर में राजा पार्क गुरुद्वारे के बाहर विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वाले खालसा हेल्पिंग हैंड के महासचिव जगजीत सिंह सूरी ने कहा कि दायमा द्वारा अपने भाषण को उचित ठहराने के बाद भी सिख नाराज़ हैं. सूरी ने कहा, “हम सभी समुदायों के पूजा स्थलों का समान रूप से सम्मान करते हैं. हम मस्जिदों और मदरसों को उखाड़ने की भाजपा नेता की घोषणा को कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं?”

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और फिरोजपुर के सांसद सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि खालसा पंथ ने श्री दायमा की “कमज़ोर माफी” को सिरे से खारिज कर दिया है. बादल ने कहा, “ऐसा लगता है कि वह अहंकारी और विकृत मानसिकता से ग्रस्त हैं. वह यह नहीं समझते कि विभिन्न धर्मों के तीर्थस्थलों में कोई अंतर नहीं है, चाहे वह मंदिर हो, गुरुद्वारा हो या मस्जिद हो.”

इसके बाद बीजेपी ने दायमा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है, लेकिन ऐसा केवल इसलिए किया गया क्योंकि सिख समुदाय इस विवाद में शामिल था. दायमा ने अपने माफीनामे में भी मस्जिदों और मदरसों के खिलाफ अपनी टिप्पणी को सही ठहराने की कोशिश की थी, लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई.

राजस्थान में राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की भाजपा की कोशिशें न केवल चुनाव के दौरान माहौल को खराब करेंगी बल्कि धार्मिक समुदायों के बीच संबंधों पर भी दीर्घकालिक प्रभाव डालेंगी. राज्य में कार्यकर्ताओं ने भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे का मुकाबला करने का संकल्प लिया है, लेकिन उनके प्रयास तभी सफल होंगे जब नागरिक तर्क करेंगे और अपने मताधिकार का विवेकपूर्वक प्रयोग करेंगे.

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