अखिलेश त्रिपाठी । इंडिया टुमारो
लखनऊ | सामाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री मोहम्मद आज़म खां, उनकी पत्नी तंज़ीम फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को एमपी-एमएलए कोर्ट ने 7 साल की सज़ा सुनाई है। इन्हें यह सज़ा अब्दुल्ला आज़म के अलग- अलग 2 प्रमाण पत्र के मामले में सुनाई गई है।
अब्दुल्ला आज़म के खिलाफ अलग-अलग 2 प्रमाण पत्र होने का मामला पहली बार 2019 में उस समय सामने आया था, जब रामपुर के भाजपा नेता और आज के मौजूदा विधायक आकाश सक्सेना ने दर्ज करवाया था।
आकाश सक्सेना ने तत्कालीन समय में रामपुर के गंज थाने में यह मामला दर्ज करवाया था और इसमें अब्दुल्ला आज़म के साथ-साथ उनके पिता मोहम्मद आज़म खां और माता तंज़ीम फातिमा को भी आरोपी बनाया था।
आकाश सक्सेना ने पुलिस में दर्ज कराये गये मामले में कहा था कि अब्दुल्ला आज़म ने अपने 2 जन्म प्रमाण पत्र बनवाये हैं। एक रामपुर नगर पालिका परिषद से, जबकि दूसरा लखनऊ नगर निगम से।
इसके साथ ही भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने अब्दुल्ला आज़म के खिलाफ यह भी आरोप लगाया था कि उन्होंने इनका प्रयोग विधान सभा चुनाव में किया। पुलिस ने इस मामले की जाँच की और कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।
कोर्ट में अभियोजन की ओर से मुकदमे के वादी विधायक आकाश सक्सेना सहित 15 गवाहों के बयान दर्ज हुए। जबकि अब्दुल्ला आजम, मोहम्मद आजम खां और तंज़ीम फातिमा की ओर से भी बचाव में 15 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए।
इस मामले में अब्दुल्ला आज़म के वकीलों को बहस करना था, लेकिन उनके वकीलों ने कोर्ट में स्थगन आदेश का प्रार्थना पत्र दे दिया। इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अब्दुल्ला आज़म को यह आदेश दिया कि 16 अक्टूबर तक लिखित बहस दाखिल कर सकते हैं।
इसी दौरान इस मामले के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में रिवीजन दायर कर दिया गया, जिसे एम पी – एम एल ए सेशन कोर्ट ने सुनवाई के बाद ख़ारिज कर दिया गया।
मंगलवार को अब्दुल्ला आज़म के वकीलों ने इस मामले में लिखित बहस दाखिल की। इसके बाद दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो गई।
आज एमपी – एमएलए कोर्ट ने दोनों पक्षों के 30 गवाहों और उपलब्ध दस्तावेजी सबूतों के आधार पर अपना फैसला सुनाया।
अदालत ने अपने फैसले में अब्दुल्ला आजम के अलग-अलग 2 जन्म प्रमाण पत्र के मामले में मोहम्मद आज़म खां, उनकी पत्नी व पूर्व सांसद और अब्दुल्ला आज़म को 7 साल की सज़ा सुनाई।
सज़ा सुनाए जाने के पूर्व अदालत ने तीनों को दोषी करार दिया था। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया, जिसमें तीनों को 7 साल की सजा सुनाई। सज़ा सुनाए जाने के बाद यह कहा जा रहा था कि अब तीनों लोगों को सीधे जेल भेजा जायेगा।
सज़ा सुनाए जाने के बाद तीनों लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसके साथ ही भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक उन्हें जेल नहीं भेजा गया है।