अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | यूपी में भाजपा को संजीवनी बूटी देने के लिए संघ ने कमर कस ली है, जिससे कमजोर हो चुकी भाजपा लोकसभा चुनाव में विपक्ष से लड़ सके और अधिकतम सीटें हासिल कर सके। संघ प्रमुख मोहन भागवत इसके लिए यूपी के 4 दिवसीय दौरे पर लखनऊ पहुँच गए हैं।
भाजपा की हालत इस समय यूपी में बहुत ही खराब है। दक्षिण भारत के राज्यों से भाजपा पहले ही खत्म हो गई है। पार्टी को अब यूपी से ही बड़ी उम्मीद है, लेकिन यूपी में भाजपा बहुत ही कमजोर स्थिति में है। भाजपा को अपनी पुरानी लोकसभा सीट जीतना ही मुश्किल नजर आ रहा है।
विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के बनने और उसके बाद यूपी में घोसी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की शर्मनाक हार से पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। पार्टी को लग रहा है कि मौजूदा परिस्थतियों में भाजपा को अपनी पुरानी लोकसभा सीटें बचाना मुश्किल हो जाएगा।
एन डी ए गठबंधन में शामिल ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा, संजय निषाद की निषाद पार्टी और अनुप्रिया पटेल के अपना दल को साथ लेकर भाजपा यूपी के पूर्वांचल की अधिकतम लोकसभा सीटें जीतने का ख्वाब देख रही है। लेकिन भाजपा के इन सहयोगी दलों की परीक्षा घोसी में विधानसभा उपचुनाव में हो चुकी है, जहां पर यह सभी फेल हो गए हैं।
पश्चिमी यूपी में भाजपा की हालत पहले से ही खराब है और यदि पूर्वांचल भी हाथ से निकल गया तो भाजपा केंद्र की सत्ता से बेदखल हो जाएगी। इसी सबको ध्यान में रखकर संघ ने अब यूपी में भाजपा को जिताने के लिए उसको संजीवनी बूटी देने के लिए योजना बनाई है और इसकी कमान खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संभाली है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत इसीलिए यूपी के 4 दिवसीय दौर पर यूपी की राजधानी लखनऊ पहुंचे हैं। वह 22 सितंबर शुक्रवार को लखनऊ पहुंचे। उन्होंने अवध प्रांत की कार्यकारिणी की बैठक में भाग लिया। मोहन भागवत के दौरे को संघ की नियमित व्यवस्था का हिस्सा बताया गया है जबकि मोहन भागवत का यह दौरा राजनीतिक नज़रिए से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
शाम को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मोहन भागवत से
मुलाकात की और दोनों लोग लगभग 45 मिनट साथ रहे। योगी आदित्यनाथ मोहन भागवत के बहुत ही नजदीक हैं। इसलिए दोनों की मुलाकात राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
ख़बर के अनुसार बैठक में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रगति, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारी समेत राष्ट्रवाद से जुड़े हुए मामलों पर दोनों के बीच चर्चा हुई। योगी आदित्यनाथ ने मोहन भागवत से यूपी में लोकसभा उम्मीदवार तय करने में खुद की बड़ी भूमिका की बात की और कहा कि यूपी से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार उनकी मर्जी से तय किए जाएं।
यहाँ पर यह ज्ञात हो कि यूपी से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार तय करने को लेकर पीएम मोदी-अमित शाह की जोड़ी और योगी आदित्यनाथ के बीच काफी लम्बे समय से टकराव चल रहा है। इसको लेकर संघ परेशान है क्योंकि इस विवाद का अभी तक संघ निपटारा नहीं कर पाया है। मोदी -शाह की जोड़ी यूपी में योगी आदित्यनाथ को कमजोर रखना चाहती है जबकि योगी आदित्यनाथ लोकसभा उम्मीदवार अपने बनाकर मोदी – शाह अब दबाव में रखना चाहते हैं।
भाजपा ने पार्टी को संगठन के हिसाब ही यूपी में कई प्रांतों में बांट रखा है। अवध प्रांत के बाद मोहन भागवत काशी, कानपुर और गोरक्ष प्रांत का दौरा करेंगे। वे यहाँ पर संघ को भाजपा की लोकसभा चुनाव में जीत तय करने के लिए रणनीति बताएंगे और दिशा निर्देश देंगे।
संघ यह अच्छी तरह से समझ गया है कि पूर्वांचल में भाजपा की हालत बहुत ही ज्यादा खराब है और लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है, इसीलिए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कमजोर हो चुकी भाजपा को संजीवनी बूटी देकर ताकतवर बनाने के लिए खुद मैदान में उतर गए हैं। भाजपा की सारी उम्मीद अब पूर्वांचल पर टिकी है इसलिए संघ प्रमुख मोहन भागवत अवध के बाद शीघ्र ही पूर्वांचल का दौरा करेंगे।
आज की राजनीतिक परिस्थितयों में पूर्वांचल में इंडिया गठबंधन का दबदबा कायम है। इंडिया गठबंधन में शामिल सपा के सबसे ज्यादा विधायक पूर्वांचल से चुने गए हैं। इसके आलावा कांग्रेस के नए यूपी अध्यक्ष अजय राय के बनने से भी भाजपा को राज्य में बड़ा झटका लगा है।
इसकी वजह अजय राय के अध्यक्ष बनने से भूमिहार मतदाताओं के अब भाजपा के पाले से खिसक जाना भी तय माना जा रहा क्योंकि अजय राय भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं और आज की मौजूदा राजनीति में वह अपनी बिरादरी के यूपी में सबसे बड़े नेता हैं।
भूमिहार जाति के वोटरों की संख्या बनारस, गाजीपुर, चंदौली, भदोही, आजमगढ़, मऊ, लालगंज, बलिया, देवरिया, कुशीनगर महराजगंज और गोरखपुर में काफी है। अजय राय के कारण ही भाजपा ने पूर्वांचल में अपने पार्टी के 3 जिला अध्यक्ष बनाए हैं।
अजय राय ने अपनी राजनीति भाजपा से शुरु की थी। इसके बाद यह सपा में शामिल हो गए। बाद में यह कांग्रेस में आ गये। कांग्रेस में आने के बाद यह कांग्रेस के ही होकर रह गए। इनकी अखिलेश यादव से भी अच्छी ट्यूनिंग है, इसलिए इंडिया गठबंधन में लोकसभा सीटों के बंटवारे में भी कोई दिक्क़त नहीं होगी।
इंडिया गठबंधन के बनने के बाद भाजपा को यह लग रहा था कि सीटों के बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों में टकराव होगा और इसमें शामिल राजनीतिक दल अलग भी हो सकते हैं, जिसका फायदा उसको मिलेगा। लेकिन अब इसकी संभावना दूर – दूर तक नहीं नजर आ रही है।
इसके आलावा बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के चंदौली, मिर्जापुर और फूलपुर में से किसी एक सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना है। यह सभी सीटें कुर्मी बहुल जाति के वोटरों वाली हैं।
चंदौली सीट पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस से लगी हुई है। विपक्ष का बड़ा नेता जब पूर्वांचल की किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेगा तो भाजपा के लिए असहज की स्थिति उतपन्न होगी और दिक्क़त खड़ी होगी।
पीएम मोदी के लिए भी बड़ी असहज स्थिति खड़ी होगी क्योंकि विपक्षी दलों के नेता लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी पर सीधा राजनीतिक हमला बोलेंगे और पीएम मोदी के लिए यह बड़ी दिक्क़त वाली स्थिति होगी। इससे पूर्वांचल में भाजपा को हार का भी सामना करना पड़ेगा जिससे केंद्र सरकार में भाजपा नहीं बैठ पायेगी।
भाजपा को लोकसभा चुनाव में संजीवनी बूटी देने के लिए संघ प्रमुख खुद मैदान में उतर पड़े हैं। यह संजीवनी बूटी भाजपा के लिए कितना कारगर साबित होगी यह तो समय ही बताएगा।