-मसीहुज़्ज़मा अंसारी
भारतीय शास्त्रों में अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा गया है. ऐसा माना जाता है कि गुरु अज्ञान को दूर करता है और धर्म अर्थात सत्य का मार्ग दिखाता है.
कवियों और शास्त्रों ने तो गुरु को उसकी महत्ता के कारण ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया है. गुरु को ईश्वर के विभिन्न रूपों जैसे ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है.
गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु र्गुरूदेवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थात गुरु ब्रह्मा है क्योंकि वह शिष्य को बनाता संवारता है. गुरु, विष्णु भी है क्योंकि वह शिष्य की रक्षा करता है. गुरु, साक्षात महेश्वर भी है क्योंकि वह शिष्य के सभी दोषों का संहार भी करता है.
भारत में गुरु की महिमा का वर्णन अनेकों प्रकार से किया गया है. कबीरदास जी एक दोहे में गुरु को गोविन्द यानि भगवान कहते हैं.
गुरु गोविंद दोऊँ खड़े,
काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने,
गोविंद दियो बताय॥
गुरु और गोविन्द (भगवान), दोनों एक साथ खड़े हैं. पहले किसके चरण-स्पर्श करें (प्रणाम करे)? पहले गुरु को प्रणाम करूँगा क्योंकि, आपने (गुरु ने), गोविंद तक पहुंचने का मार्ग बताया है.
एक और दोहे में कबीर कहते हैं:
सतगुरु की महिमा अनंत अनंत किया उपगार।
लोचन अनंत उघाडिया, अनंत दिखावणहार ।।
सतगुरु ने ज्ञान की प्राप्ति को सम्भव बनाया और मुझ पर अनंत उपकार किये हैं, ऐसे संत की महिमा अपार है। माया के कारण मेरी आँखें बंद पड़ी थी, सत्य मुझे दिखाई नहीं दे रहा था, सतगुरु ने मेरी आँखों को खोला और मुझे सत्य दिखाया, सत्य का दर्शन करवाने वाले ऐसे संत की महिमा अनंत और अपार है।
वर्तमान शिक्षक और उनकी महिमा
जिस भारत के प्राचीन ग्रंथों और कव्य्यों में शिक्षक को भगवान के समकक्ष बताया गया और स्वर्ण अक्षरों में गुरु की माहिमा का वर्णन किया गया उसी गुरु की महिमा का वर्णन वर्तमान में काफी तकलीफ देने वाला है. जो गुरु शिष्य को अंधकार से निकालकर सत्य मार्ग बताता था वह गुरु आज साम्प्रदायिकता के अंधकार में डूबा हुआ है और अपने शिष्यों से धर्म के आधार पर भेदभाव करता हुआ दिखाई दे रहा है.
उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत, देश का हर कोना गुरुजनों द्वारा मुस्लिम छात्रों से हो रहे भेदभाव की घटना का गवाह बनता जा रहा है. हालांकि, इन सभी घटनाओं के बाद भी मुस्लिम छात्र सहनशीलता, आत्मविश्वास और दृढ़निश्चय के साथ देश और दुनिया भर में अपनी कामयाबी का परचम फहरा रहे हैं और देश का नाम रौशन कर रहे हैं.
हाल ही में कई ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं जहां स्कूलों में, कालेज में और यूनिवर्सिटी में टीचर और प्रोफ़ेसर द्वारा मुस्लिम छात्रों को निशाना बनाया गया और उनके साथ धर्म के आधार पर भेदभाव किया गया.
इस प्रकार की घटनाओं को देखने से ये साफ़ तौर पर पता चलता है कि ऐसा किसी अज्ञानता वश नहीं हो रहा बल्कि इन घटनाओं के पीछे एक मज़बूत विचारधारा है जिसे सत्ता के साथ साथ लोकतान्त्रिक संस्थाओं और मीडिया के एक बड़े वर्ग का भी संरक्षण प्राप्त है.
पिछले कुछ वर्षों में हुए घटनाक्रम से संकेत मिलता है कि इस्लामोफोबिया ने भारतीय समाज में गहरी जड़ें जमा ली हैं और यह शिक्षण समुदाय में भी तेजी से फैल रहा है. हाल की कई घटनाओं से पता चलता है कि इस्लामोफोबिया उन शिक्षकों के बीच तेजी से फैल रहा है जो मुसलमानों और उनके धार्मिक प्रतीकों के प्रति अधिक पक्षपाती हो गए हैं,.
यह साम्प्रदायिक बीमारी जो पहले उत्तर भारत तक ही सीमित थी मगर अब धीरे-धीरे दक्षिण भारत तक पहुंच गई है जो पहले इस बुराई से लगभग मुक्त था.
देशभर में हो रही मुस्लिम छात्र छात्राओं के साथ भेदभाव की कुछ घटनाएं इस प्रकार हैं.
मुज़फ्फ़रनगर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर मंसूरपुर थाना क्षेत्र के खुब्बापुर गांव का एक वीडियो वायरल हुआ जहां नेहा पब्लिक स्कूल चलाने वाली एक महिला टीचर तृप्ता त्यागी ने मुस्लिम बच्चे को क्लास के अन्य बच्चों से बारी बारी मारने को कहा और कथित रूप से मुसलमानों पर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की.
दिल्ली
दिल्ली के गांधी नगर में एक सरकारी स्कूल सर्वोदय बाल विद्यालय की शिक्षिका हेमा गुलाटी द्वारा छात्रों से कथित रूप से इस्लाम पर अपमानजनक टिप्पणी करने का मामला सामने आया है. अभिभावकों ने एक महिला शिक्षक पर छात्रों के सामने “धर्म को लेकर अपशब्द” कहने का आरोप लगाया. शिकायत में कहा गया कि महिला शिक्षक ने मुसलमानों के पवित्र स्थल मक्का स्थित काबा और पवित्र धार्मिक पुस्तक कुरान पर अपमानजनक टिप्पणी की थी. शिक्षक ने यह भी कहा, “विभाजन के दौरान, आप पाकिस्तान नहीं गए, आप भारत में रहे. भारत की आज़ादी में आपका कोई योगदान नहीं है.”
तमिलनाडु
तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई शहर के पास सोमासिपदी गांव में अन्नामलाई मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल में 27 वर्षीय मुस्लिम महिला शबाना के साथ भेदभाव की घटना सामने आई जब उसे हिंदी परीक्षा में बैठने के लिए हिजाब हटाने को कहा गया.
तिरुवन्नमलाई जिले में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा द्वारा आयोजित परीक्षा में शामिल होने वाले कुल 540 उम्मीदवारों में से शबाना एन हिजाब में परीक्षा देने वाली एकमात्र मुस्लिम महिला थी.
बाड़मेर, राजस्थान
राजस्थान के बाड़मेर में बालोतरा के एमबीआर गवर्नमेंट कॉलेज में नवंबर 2022 में इतिहास के प्रोफेसर पदम सिंह द्वारा लेक्चर के दौरान इस्लाम और मुसलमानों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई जिसपर विरोध दर्ज करने पर क्लास में मौजूद एक मुस्लिम छात्रा हसीना बानो को धमकी दी गई और उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया.
शिकायत में कहा गया कि, “प्रो पदम सिंह द्वारा इतिहास की कक्षा में पहले पूछा गया कि क्या कोई मुसलमान है? जब कोई जवाब नहीं आया तो उसके बाद प्रोफ़ेसर पदमसिंह ने लेक्चर शुरू किया और इस्लाम, मुसलमान, पैगंबर और कुरान आदि को लेकर आपत्तिजनक बातें कहना शुरू कर दिया.”
छात्रा के अनुसार प्रोफेसर ने कहा, “कुरआन में ऐसा लिखा गया है कि एक हिन्दु को मारना हज करने के बराबर है तथा दो को मारने से जन्नत मिलती है और ये लोग (मुस्लिम) हिन्दु को काफिर कहते है…”
उडुपी, कर्नाटक
कर्नाटक के उडुपी के एक कॉलेज मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में 25 नवंबर 2022 को एक प्रोफेसर ने लेक्चर के दौरान एक मुस्लिम छात्र की तुलना आतंकवादी से कर दी जिसका छात्र ने कड़ा विरोध किया. मामला प्रकाश में आने के बाद प्रोफ़ेसर को निलंबित कर दिया गया.
प्रोफेसर ने मुस्लिम छात्र को आतंकवादी कहकर सम्बोधित किया था जिसका वीडियो वायरल हो गया. प्रोफेसर ने छात्र से उसका नाम पूछा और एक मुस्लिम नाम सुनकर कहा कि, “ओह, तुम कसाब की तरह हो.”
छात्र ने कहा कि, “आप इतने सारे लोगों के सामने मुझे ऐसा कैसे कह सकते हैं? आप एक पेशेवर हैं, आप पढ़ा रहे हैं.”
प्रोफेसर ने छात्र को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा कि, “तुम बिल्कुल मेरे बेटे की तरह हो.” इसपर छात्र ने कहा कि, “क्या आप अपने बेटे से ऐसे बात करोगे? क्या आप उसे आतंकवादी के नाम से बुलाओगे?”
कर्नाटक हिजाब मामला
साल 2022 के शुरू में कर्नाटक में हिजाब को लेकर एक विवाद शुरू हुआ था. कर्नाटक के उडुपी ज़िले के एक प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में में 11वीं क्लास की 6 छात्राओं को कुछ छात्रों के विरोध के बाद हिजाब लगाकर क्लासरूम में प्रवेश करने से रोक दिया गया
प्रभावित छात्राओं में से कुछ ने न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया. कई दिनों तक चली सुनवाई में कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया कि हिजाब पहनना इस्लाम में अनिवार्य नहीं है इसलिए संविधान द्वारा निर्देशित धार्मिक स्वतंत्रता के तहत मुस्लिम छात्राओं को 12 वीं क्लास तक के स्कूल और प्री कॉलेज के क्लासरूम में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
इस फैसले के बाद पूरे कर्नाटक राज्य में स्कूलों के साथ-साथ स्नातक कॉलेजों में हिजाब पहनने वाली छात्राओं और महिला शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं हुईं.
कैसे हो गुरु की महिमा का वर्णन?
भारत के अलग-अलग हिस्सों में मुस्लिम छात्रों के साथ टीचर्स के भेदभावपूर्ण रवैये को देखते हुए गुरु की महिमा का बखान कैसे किया जाय? जो गुरु स्वयं साम्प्रदायिकता के अंधकार में हो वो अपने शिष्य को अंधकार से कैसे दूर करेगा?
जिस गुरु को उसकी योग्यता के आधार पर कबीरदास ने भगवान के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया था वह गुरु मानवता के समकक्ष भी खड़े होने लायक नहीं हैं. ऐसे सभी गुरु देश के अमृत काल में मुस्लिम छात्रों के लिए ‘काल’ बन चुके हैं.
हां, ये बात सत्य है कि सभी गुरु ऐसे नहीं हैं और अभी भी बहुत से ऐसे गुरु हैं जो अपने शिष्यों से धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं लेकिन इनकी संख्या धीरे धीरे कम होती जा रही है.
देश को बेहतर बनाने के लिए गुरुजनों को बेहतर बनना होगा और इसके लिए ज़मीनी स्तर पर काम करना होगा. अगर अच्छे शिक्षक नहीं होंगे तो क्लासरूम में अच्छे छात्र नहीं होंगे और फिर देश का भविष्य भी साम्प्रदायिक हाथों में होगा.
आवश्यकता है शिक्षक अपने साम्प्रदायिक छवि से बाहर आएं और क्लासरूम में एक बेहतर और समावेशी माहौल बनाएं जहां मुस्लिम, दलित और पिछड़े छात्रों को धर्म, जाति और उनके रंग रूप के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाए.
कहा जाता है कि शिक्षक दीपक की तरह होता है और स्वयं जलकर रौशनी बिखेरता है और वातावरण को प्रकाशमय कर देता है. लेकिन अगर शिक्षक साम्प्रदायिक होगा तो उसकी मानसिकता का दीपक देश के सौहार्द और समाजिक ताने बाने को जलाकर राख़ कर देगा.