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Saturday, May 18, 2024
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बिलकिस बानो बलात्कार केस: दोषियों की गुजरात सरकार द्वारा रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | बिलकिस बानो मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से बड़ा सवाल किया है कि बिलकिस बानो के दोषियों जैसी राहत अन्य कैदियों को क्यों नहीं मिली हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने यह बड़ा सवाल गुजरात सरकार से बिलकिस बानो मामले की सुनवाई करते हुए पूछा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि, हमारी जेलें खचाखच भरी क्यों हैं?

बिलकिस बानो मामले में दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा छोड़ दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट में 17 अगस्त 2023 को इस मामले की सुनवाई थी।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल
भुइयां की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। गुजरात सरकार की तरफ से एडिशनल सालिसीटर जनरल एस वी राजू पीठ के समक्ष पेश हुए और उन्होंने जवाब दाखिल किया।

एडिशनल सालिसीटर जनरल एस वी राजू ने बिलकिस बानो के 11 दोषियों को रिहा करने के मामले में गुजरात सरकार की तरफ से जवाब दाखिल किया। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, “दोषियों को रिहाई की छूट देने में राज्य सरकारों को चयनात्मक नहीं होना चाहिए। उन्हें हर कैदी को सुधार और समाज के साथ फिर से जुड़ने का अवसर देना चाहिए।”

इसके बाद पीठ ने बड़ा सवाल करते हुए गुजरात सरकार से पूछा कि, “बिलकिस बानो के दोषियों जैसी राहत अन्य कैदियों को क्यों नहीं मिली है?”

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि, “हमारी जेलें खचाखच भरी क्यों हैं? छूट की नीति चयनात्मक रूप से क्यों लागू की जा रही है? जहां दोषियों ने 14 साल की सजा पूरी कर ली है, वहाँ छूट नीति कहां तक लागू की जा रही है? अन्य दोषियों पर यह कानून किस हद तक लागू किया गया है? “

इस पर एडिशनल सालिसीटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि, “सभी राज्यों को इस प्रश्न का उत्तर देना होगा। छूट नीति अलग – अलग राज्यों में भिन्न होती है।”

एडिशनल सालिसीटर जनरल एस वी राजू ने बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा रिहा करने के मामले में अपना पक्ष पीठ के समक्ष रखा और उन्होंने कहा कि, “कानून कहता है कि दुर्दांत अपराधियों को भी खुद को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए। इन 11 दोषियों का अपराध जघन्य था, लेकिन दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए उन्हें सुधार का मौका मिलना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि, “हो सकता है कि व्यक्ति ने अपराध किया हो, किसी विशेष क्षण में कुछ गलत हो गया हो। बाद में, उसे हमेशा परिणामों का अहसास हो सकता है।”

लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एडिशनल सालिसीटर जनरल एस वी राजू की बातों से कोई सहमति नहीं जताई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 अगस्त 2023 की तारीख निर्धारित कर दी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार से सवाल पूछने से कि बिलकिस बानो के दोषियों जैसी राहत अन्य कैदियों को क्यों नहीं मिली है तथा अन्य दोषियों पर यह कानून किस हद तक लागू किया गया है, से गुजरात सरकार की गंदी और घृणित नीति और मुस्लिम विरोधी नीति का पर्दाफाश हो गया है। इससे गुजरात सरकार बैकफुट पर आ गई है।

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