अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | आगामी लोकसभा चुनाव के पूर्व केंद्र सरकार देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू कर सकती है। इसको लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने अपने कदम आगे बढ़ा दिए हैं और इसकी शुरूआत उत्तराखंड से हो सकती है।
केंद्र सरकार के अब तक के कार्यों से यह पता चलता है कि वह जन आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतरी है। देश की जनता महंगाई से जूझ रही है और युवा बेरोज़गारी से परेशान हैं। भ्रष्टाचार की लम्बी फेहरिस्त है और कानून व्यवस्था की हालत खराब है। सरकार के प्रति जनता में गहरी नाराज़गी है।
सरकार के पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा है, जिससे वह जनता को समझा सके। इसलिए जनता को भ्रमित करने और उनका वोट हथियाने के लिए सरकार को कोई न कोई न मुद्दा चाहिए, तभी उसको दोबारा सत्ता हासिल हो सकती है। दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए अब भाजपा केंद्र सरकार के ज़रिए देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का मुद्दा ले आई है और उसको लागू करने का प्रयास शुरू कर दिया है।
भाजपा को यह लगता है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में लागू होने से उसको केंद्र सरकार में बैठने का फिर से मौका मिल सकता है। इसके पीछे भाजपा की यह सोच है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से देश में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के वोटों का बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण होगा, जिससे लोकसभा चुनाव में भारी संख्या में भाजपा को हिन्दुओं के वोट मिलेंगे और भाजपा को केन्द्र सरकार की सत्ता आसानी से हासिल हो जाएगी।
इसी को ध्यान में रखकर भाजपा यूनिफॉर्म सिविल कोड को एक बड़े चुनावी हथियार के रूप में हाथ आज़माना चाहती है और इसको लागू करके समूचे देश में अधिक से अधिक लोकसभा सीटें जीतकर सत्ता हासिल करना चाहती है। भाजपा इसकी शुरूआत उत्तराखंड से करने जा रही है। अगर सब कुछ ठीकठाक रहा तो, इसी माह के अंत में या जुलाई माह में उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा।
उत्तराखंड सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति बनाई थी, जिसकी अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई हैं। इस समिति में सिक्किम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव, एक पूर्व वाइसचांसलर और एक सामाजिक कार्यकर्ता को रखा गया है।
समिति का काम सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच करना और उन्हें संशोधित करने की रिपोर्ट तैयार करना है। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और उस ड्राफ्ट को वह सरकार को 30 जून तक उपलब्ध करा देगी। उत्तराखंड सरकार को यह रिपोर्ट जैसे ही मिलेगी, वैसे ही उत्तराखंड सरकार इसको अपने राज्य में लागू कर देगी।
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा। इसके बाद भाजपा शासित राज्यों में इसको लागू किया जाएगा। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ समय पहले कहा था कि, “हम राज्यों की असेंबली के द्वारा UCC को लाने का प्रयास करेंगे, उसके बाद इन कानूनों पर न्यायपालिका का रिएक्शन देखेंगे और आगे बढ़ेंगे।”
अमित शाह का यह कहना ज़ाहिर करता है कि केंद्र सरकार इस मामले पर सीधे कुछ नहीं करना चाहती है, इस मामले पर केंद्र सरकार कोई सीधे कानून न बनाकर राज्यों को आगे करके उनसे कानून बनवाने का काम करना चाहती है। इसके बाद इस पर होने वाले रिएक्शन को देखकर ही वह इस पर कदम उठाने को सोंचेगी।
यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के मामले में मोदी सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। वह इसको लागू करने में सीधे तौर पर सामने आने से बच रही है, लेकिन इसको लागू कर एवं आगामी लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र सरकार में फिर से बैठना भी चाहती है। इसके लिए वह प्रयास तेज कर रही है। उत्तराखंड सरकार द्वारा अपने राज्य में जैसे ही इसको लागू किया जाएगा, वैसे ही भाजपा आलाकमान द्वारा पार्टी शासित राज्यों को अपने यहां इसको लागू करने के लिए कहा जाएगा। भाजपा ने इसकी पूरी तैयारी कर रखी है।
भाजपा यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामले में खुद खुलकर अपनी बात रखने से बच रही है, लेकिन पर्दे के पीछे से इसको लागू करने के लिए तेजी के साथ प्रयास कर रही है। भाजपा पर्दे के पीछे से यूनिफॉर्म सिविल कोड को अच्छा बताने का काम भी करवा रही है। दिल्ली ला कमीशन के चेयरपर्सन और उनकी टीम के साथ उत्तराखंड की यूनिफॉर्म सिविल कोड की हुई एक हुई बैठक के बाद कमेटी की अध्यक्ष रंजना प्रकाश देसाई का यह कहना कि, “हमारी इच्छा है कि हमारी रिपोर्ट्स को दूसरे राज्य भी लागू करें। हमको अल्पसंख्यक ने सपोर्ट किया है। मेरी इच्छा है कि कानून ऐसा बने, जिसको अन्य राज्य भी फॉलो करें। यूसीसी ड्राफ्ट बनाने में अल्पसंख्यक ने हमें बड़ा सपोर्ट किया है।”
उत्तराखंड यूसीसी कमेटी की अध्यक्ष रंजना प्रकाश देसाई का इस तरह की बात कहना अपने आप में सब कुछ कह देता है। इस तरह की उनके द्वारा बात करना यूसीसी की वकालत करना है।
भाजपा से जनता की नाराज़गी एवं मुद्दा विहीन भाजपा के लिए खतरे की घण्टी का बजना है। भाजपा को अब इससे निबटना बड़ा मुश्किल नज़र आ रहा है। लेकिन उसको फिर से सत्ता भी चाहिए, इसलिए भाजपा लोकसभा चुनाव जीतने के लिए आखिरी हथियार के रूप में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने जा रही है। अब बस केवल इतना इंतज़ार है कि कब यह लागू किया जाता है। भाजपा इसको लागू कर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कर केंद्र सरकार में बैठने का फिर से सपना देख रही है।