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Monday, May 20, 2024
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उत्तराखंड: हिंदुत्ववादी संगठनों की धमकी के बाद मुसलमान अपना घर, दुकान छोड़ने को मजबूर

इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिलों में मुसलमानों को अपने व्यवसाय और दुकानों को छोड़ने की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है और कई पहले ही इलाके को छोड़ चुके हैं. उत्तरकाशी के पुरोला में 26 मई को एक नाबालिग हिंदू लड़की के कथित अपहरण का मामला दर्ज होने के बाद जबरन बेदखली अभियान शुरू हुआ.

पुरोला कांड के आरोपियों में से एक ओबैद खान है जिसे जितेंद्र सैनी के साथ पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. दोनों मिस्त्री और रजाई बनाने का काम करते थे. पुरोला से 30 किलोमीटर दूर पड़ोस के बरकोट में तनाव व्याप्त है.

स्थानीय मीडिया और हिंदुत्व ब्रिगेड ने जानबूझकर जितेंद्र सैनी के नाम को दबा दिया और इसे कथित लव-जिहाद का मामला बना दिया. आरएसएस के हिंदी मुखपत्र पाञ्चजन्य ने इस मामले को “एक विशेष समुदाय के व्यक्ति द्वारा एक हिंदू नाबालिग लड़की को भगाने” के रूप में बताया और प्रचारित किया गया.

इस मामले में कथित तौर पर विश्व हिंदू परिषद, हिंदू जागृति मंच और अन्य दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों के नेतृत्व में जुलूस निकाले गए. उन्होंने भगाने/अपहरण के इस मामले को लव-जिहाद का मामला करार दिया.

देवभूमि रक्षा अभियान के नाम से एक पोस्टर मुस्लिम समुदाय की दुकानों के शटर पर चिपकाया गया था जो सोशल मीडिया पर भी वायरल है. हालांकि, उस पोस्टर पर किसी पदाधिकारी का नाम नहीं लिखा गया है. पोस्टर में लिखा है, “लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि 15 जून 2023 को हने वाली महापंचायत से पहले अपनी दुकानें खाली कर दें. यदि तुम्हारे द्वाराऐसा नहीं किया गया तो फिर क्या होगा यह तो वक्त ही बताएगा.” मुस्लिम समुदाय की दुकानों पर X का निशान बना दिया गया. दुकानों के साइन बोर्ड भी हटा दिए गए थे जिन्हें आर्टिकल 19 के यूट्यूब चैनल द्वारा साझा किए गए संबंधित वीडियो में देखा जा सकता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुरोला के एक व्यापारी इमरोज़ ने कहा कि, 26 मई के बाद से 30 से अधिक दुकानें बंद हो गई हैं. पांचजन्य ने बताया कि शहर में तनाव के बाद 100 से अधिक गैर-हिंदुओं ने बड़कोट छोड़ दिया.

यमुना घाटी हिंदू जागृति नामक एक संगठन ने मामले के बाद जुलूस का आयोजन करने की सूचना दी थी. जुलूस में जय श्री राम के नारे लगाए गए और मांग की गई कि सभी बाहरी ठेले वाले, मोटर मैकेनिक, सब्जी विक्रेता, सैलून वाले और वेल्डर यमुना घाटी छोड़ दें.

देवभूमि भैरव वाहिनी नामक एक अन्य संस्था ने मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा. इसके प्रमुख संदीप खत्री ने मांग की है कि बाहरी लोगों की पहचान हर छह महीने में सत्यापित की जानी चाहिए. भैरव सेना ने एक जुलूस निकाला और पुरोला कांड को ‘एक विशेष समुदाय’ की साज़िश बताया और तथाकथित ‘लव-जिहाद’ के खिलाफ एकजुट होने की अपील की.

पुरोला व्यापारी संघ के अध्यक्ष बृजमोहन चौहान की भूमिका भी संदिग्ध है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा है, “कभी किसी को अपनी दुकानें खाली करने या शहर छोड़ने के लिए नहीं कहा गया.” हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि 26 मई की घटना के बाद उन्होंने पुलिस से बाहरी लोगों की पहचान सत्यापित करने का आग्रह किया था.

डिप्टी कलेक्टर को 27 मई को सौंपे गए ज्ञापन में मांग की गई थी कि स्थानीय व्यापारिक निकाय “व्यापार मंडल” की सदस्यता ‘विशेष समुदाय’ के उन व्यापारियों की सदस्यता समाप्त की जाए जो आरोपी हैं और जो बाहरी हैं. बृजमोहन चौहान ने इस मांग की निंदा नहीं की. दरअसल, वह जुलूस निकालने वालों में शामिल थे. चौहान ने इलाके को छोड़ रहे मुस्लिम व्यापारियों से कोई अपील भी नहीं की, कि वे वहां से कहीं और न जाएं.

दो हफ्ते बाद जब यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर और सोशल मीडिया में सुर्खियों में आया तो 7 जून को पुलिस ने विश्वास जगाने के लिए फ्लैग मार्च किया. पुलिस अधिकारियों ने व्यापार मंडल के पदाधिकारियों व राजनीतिक व सामाजिक संगठनों से भी शांति बनाए रखने की अपील की. उत्तरकाशी के एसपी अर्पण यदुवंशी ने कहा कि, एहतियात के तौर पर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पीएसी की प्रतिनियुक्ति की गई है.

उन्होंने यह भी बताया कि पोस्टर चिपकाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. लेकिन पुलिस के पास उन मुस्लिम व्यापारियों को वापस लाने के लिए कोई शब्द नहीं था, जो खुली धमकी के बाद क्षेत्र छोड़कर जाने को मजबूर हुए.

उत्तरकाशी जिला बोर्ड के अध्यक्ष दीपक बिजलवान ने लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों को बाहरी लोगों को किराए पर न दें. ‘आउटसाइडर’ एक अस्पष्ट शब्द है जिसका तात्पर्य मुसलमानों से है. उन्होंने कहा कि, किसी भी बाहरी ठेला वाले को व्यापार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

चमोली जिले में असलम और गुलज़ार नाम के दो मुस्लिम युवकों पर एक हिंदू लड़की को प्रेमजाल में फंसाने का आरोप लगा था. असलम यूपी के मेरठ जिले के धर्मपुर सरधना का रहने वाला है जबकि गुलज़ार भी मेरठ का रहने वाला है. असलम रुद्रप्रयाग जिले में एक खुदाई मशीन के ऑपरेटर के रूप में काम करता है. एसपी प्रेमेंद्र डोभाल ने कहा कि, जांच जारी है, स्थानीय व्यापारियों और हिंदुत्व संगठनों ने कहा है कि यह लव-जिहाद का मामला है.

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