इंडिया टुमारो
श्रीनगर | श्रीनगर के विश्व भारती गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में छात्राओं को अबाया पहनने पर स्कूल में एंट्री से रोकने के मुद्दे को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ. विरोध के बाद स्कूल के प्रिंसिपल ने गुरुवार शाम विवादास्पद आदेश वापस ले लिया साथ ही छात्राओं और अभिभावकों से “बिना शर्त माफी” मांगी है.
हैरानी की बात यह है कि स्कूल के प्रिंसिपल मेमरोज शफी मुस्लिम हैं और स्कूल में पढ़ने वाले लगभग 100 फीसदी छात्र भी मुस्लिम हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि प्राचार्य ने राज्य प्रशासन के दबाव में या खुद से स्कूल परिसर में अबाया नहीं पहनने का निर्देश जारी किया था.
मामले को लेकर कई पूर्व मुख्यमंत्रियों ने स्कूल की कार्रवाई की निंदा की. हालांकि विवाद के गंभीर रूप लेने के बाद प्रिंसिपल ने सरकार द्वारा संचालित स्कूल के फेसबुक पेज पर एक हस्ताक्षरित बयान पोस्ट किया और माफ़ी मांगी. बयान में कहा गया है कि सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया है कि छात्राओं को अबाया नहीं पहनने का निर्देश दिया गया है, जो कि पूरी तरह से “आधारहीन” है.
उन्होंने कहा कि, छात्रों और अभिभावकों के साथ बातचीत को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है. शफी ने कहा कि, “किसी भी मामले में यदि (अबाया पर प्रतिबंध लगाने से) छात्रों या अभिभावकों की भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो मैं इसके लिए बिना शर्त माफी मांगता हूं.”
बयान में कहा गया कि स्कूल प्रबंधन हमेशा समाज के सभी वर्गों की भावनाओं का सम्मान करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि, “स्कूल के प्रधानाचार्य या प्रबंधन द्वारा अबाया पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. हालांकि छात्राओं को यह विनम्रता से बताया गया था कि, “छात्राओं को बताया गया था कि स्कूल ड्रेस पहनना है. यह सभी छात्राओं की जानकारी के लिए है कि वे अबाया पहन सकते हैं और कक्षाओं में इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.”
छात्राओं ने सुबह में आरोप लगाया था कि उन्हें अबाया में स्कूल परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे सोशल मीडिया पर विवाद और बहस छिड़ गई.
छात्राओं ने स्कूल को को-एजुकेशन में बदलने की भी शिकायत की, जबकि यह पहले केवल लड़कियों का स्कूल था.
एक सोशल मीडिया यूज़र अकीब शफी ने स्कूल के फेसबुक पर प्रिंसिपल की पोस्ट का जवाब देते हुए कमेंट किया, “पता नहीं क्यों यह अबाया कई लोगों के शरीर का कांटा बना हुआ है, वह भी कश्मीर जैसी जगह पर.”
एक अन्य सोशल मीडिया यूज़र मुबशिर अहमद ने स्कूल प्रबंधन से सवाल करते हुए कहा, “आप लड़कियों को अबाया क्यों नहीं पहनने दे रहे हैं. अबाया हमारी बहनों का गौरव है.”
कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए एक और सोशल मीडिया यूज़र शाह शकील ने स्कूल के फेसबुक पेज पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अबाया पर प्रतिबंध लगाना धार्मिक विश्वासों और मुस्लिम समुदाय की स्वतंत्रता में सरासर हस्तक्षेप है. इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए. यह स्कूल प्रबंधन की मानसिकता को परिभाषित करता है जो तथाकथित उच्च अधिकारियों की आड़ में छिपा रहता है. कौन हैं ये उच्चाधिकारी जिनके हुक्म को बिना इसके नतीजों को जाने आंख मूंदकर लागू किया जा रहा है. सभी धर्मगुरुओं को आगे आना चाहिए और इस पर कड़ा संज्ञान लेना चाहिए. यह एक बहुत ही संवेदनशील और गंभीर मामला है, धार्मिक विश्वास से खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए.”
एक राशिद अय्यूब ने लिखा, “बहादुर बहनों को बधाई.”
यह पहली बार नहीं है जब मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर में लड़कियों को ‘हिजाब’ या अबाया पहनने से रोका गया है.
पिछले साल, बारामूला के एक स्कूल द्वारा अपने कर्मचारियों को स्कूल के समय हिजाब नहीं पहनने के लिए कहने के बाद पूरे कश्मीर में नाराज़गी देखी गई.
सर्कुलर में कहा गया था कि, कर्मचारियों को स्कूल के समय हिजाब से बचने का निर्देश दिया जाता है ताकि छात्र सहज महसूस कर सकें और शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ बातचीत कर सकें.
बाद में, स्कूल ने सर्कुलर का एक संशोधित संस्करण जारी किया, जिसमें हिजाब शब्द को ‘निकाब’ (चेहरे का घूंघट) से बदल दिया गया.
जम्मू और कश्मीर देश का एकमात्र मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. 2011 की जनगणना के अनुसार संयुक्त जम्मू-कश्मीर की जनसंख्या 1,25,41,302 है. जम्मू संभाग की आबादी 53.5 लाख है और कश्मीर संभाग की 68.8 लाख है.
यहां लगभग 68.31 प्रतिशत लोग मुस्लिम हैं, जबकि 28.44 प्रतिशत हिंदू हैं. ईसाई 0.28 प्रतिशत, जैन 0.02 प्रतिशत, बौद्ध 0.90 प्रतिशत और सिख 1.87 प्रतिशत हैं. इस हिसाब से कश्मीर की आबादी 68.9 लाख है, जबकि जम्मू की आबादी 53.8 लाख है.
इस पृष्ठभूमि में स्कूल के आदेश ने एक प्रमुख विवाद खड़ा कर दिया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ तीखा हमला बोला