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Sunday, May 19, 2024
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जनता और मीडिया के सवालों से बचकर भागते सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के मंत्री और नेता

मसीहुज़्ज़मा अंसारी /अखिलेश त्रिपाठी

नई दिल्ली | दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक दशक से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) जो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा भी करती है, इन दिनों जनता और मीडिया के सवालों से भागती नज़र आरही है. देश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के मंत्री और नेता जनता और मीडिया के सवालों से बचकर भाग रहे हैं.

जो पार्टी 10 वर्ष पूर्व ‘नए भारत’ का सपना बेचकर सत्ता में आई थी वह देश के संसाधन बेचने में व्यस्थ है लेकिन उसी भाजपा सरकार के मंत्री जनसरोकार से जुड़े हुए मुद्दों पर जनता के और मीडिया के सवालों से भाग रहे हैं और गंभीर सवालों से मुंह फेर रहे हैं.

हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां जनता या जन मीडिया ने नेताओं से सवाल किया तो भाजपा मंत्री भागने लगे और सवालों से बचकर भागते भाजपा मंत्री कैमरे में क़ैद हो गए.

भाजपा सरकार के मंत्री जनता से जुड़े जनसरोकार के मुद्दों पर जनता और मीडिया से बचकर इसलिए भाग रहे हैं क्योंकि वह सवालों का सामना नहीं करना चाहते हैं. इसकी मुख्य वजह यह हो सकती है कि उनके पास या तो जनता के सवालों का कोई जवाब नहीं है या फिर जनता को झूठ बेचना अब मुश्किल है, अब जनता चाहती है कि जन की बात हो, मन की बातों से लोग तंग आचुके हैं.

जनता एवं मीडिया के सवालों से बचकर भागने वाले मंत्रियों की अगर हम चर्चा करें, तो उसमें सबसे ऊपर नाम यूपी के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद का आता है. जितिन प्रसाद यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार में लोक निर्माण मंत्री हैं.

पिछले दिनों जितिन प्रसाद लखीमपुर खीरी जिले में विभागीय समीक्षा बैठक करने गए थे. यहीं पर उनका पत्रकारों से सामना हुआ. पत्रकारों ने मंत्री जितिन प्रसाद से जनता से जुड़े हुए मुद्दे पर कई सवाल किए. पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि, लखीमपुर खीरी में निर्दोष जनता के ऊपर क्यों मुकदमें लिखे जा रहे हैं? यहां पर घटिया सडकों का निर्माण किया जा रहा है? लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को इसका कोई जवाब नहीं सूझा और वह पत्रकारों के सवालों का जवाब दिए बिना भाग लिए.

जितिन प्रसाद के बारे में यह भी पता चला है कि उनको भाजपा नेतृत्व लखीमपुर खीरी से लोकसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहा और भाजपा नेतृत्व ने उनसे लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है. इसलिए जितिन प्रसाद ने अभी से लखीमपुर खीरी के चक्कर लगाने शुरू कर दिया है, लेकिन पत्रकारों के सवालों ने उनको बेचैन कर दिया है.

पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं देने वाले मंत्रियों में एक नाम केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी का है. मीनाक्षी लेखी दिल्ली से दूसरी बार लोकसभा सदस्य बनी हैं और वह मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं. दिल्ली में महिला पहलवानों के आंदोलन के बीच मीनाक्षी लेखी का एक महिला पत्रकार से सामना हो गया. बस फिर क्या था, उस महिला पत्रकार ने मीनाक्षी लेखी का पीछा किया और उनसे सवाल किया कि, रेसलर्स अपने मेडल बहाने जा रहे हैं, इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. केवल इतना कहा कि कानूनी प्रक्रिया चल रही है और मीनाक्षी लेखी हांफते हुए भागने लगीं.

सबसे अजीबोगरीब मामला हरियाणा सरकार के भाजपाई मंत्री का सामने आया है. हरियाणा सरकार में एक मंत्री हैं, जिनका नाम ओम प्रकाश यादव है. इनको हरियाणा के झज्जर में पत्रकारों ने घेरा और इनसे जब कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह को लेकर सवाल पूछा, तो इनको यह नहीं पता था कि ब्रजभूषण शरण सिंह कौन हैं?

महिला पहलवानों द्वारा गंगा में हरिद्वार में मेडल बहाए जाने के सवाल पर भी यह अंजान बने रहे. हरियाणा सरकार के मंत्री ओम प्रकाश यादव का पत्रकारों के सवाल पर इस तरह की बात करना यह साबित करता है कि उनको बोलने पर मनाही है या जान बूझकर वह इसका जवाब नहीं दे रहे हैं और इन सवालों से बचकर भागना चाहते हैं.

पत्रकारों के सवालों से बचकर भागने का एक मामला कुछ समय पहले यूपी के संभल से सामने आया था. यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार में माध्यमिक शिक्षा विभाग की मंत्री गुलाब देवी हैं. यह संभल से भाजपा की विधायक हैं. यह जब संभल के दौरे पर पहुंची थीं तो संभल में एक पत्रकार ने विकास को लेकर गुलाब देवी से सवाल पूछ लिया.

गुलाब देवी को पत्रकार द्वारा सवाल पूंछना बड़ा खराब लगा. इसके कुछ देर बाद ही सम्बंधित पत्रकार को उसके घर से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने पत्रकार को हथकड़ी लगाकर घुमाया. पत्रकार की गिरफ्तारी की सपा ने आलोचना की और योगी आदित्यनाथ की सरकार को कटघरे में खड़ा किया.

सपा ने पत्रकार की गिरफ्तारी को लेकर यहां तक कहा कि यूपी में अघोषित इमरजेंसी लगी हुई है. इस पर योगी आदित्यनाथ की सरकार की खूब फजीहत हुई और बदनामी हुई.

दरअसल अब देखने में यह आ रहा है कि भाजपा सरकार के मंत्री चाहें वह केंद्र सरकार में हों या राज्य सरकार में मंत्री हों, वह अब जनसरोकार से जुड़े हुए जनता के मुद्दों पर न वह जनता का सामना कर पा रहे हैं और न ही मीडिया का. इसकी असली वजह यह है कि अब तक भाजपा के शासन कॉल में जनता न तो बोलती थी और न ही वह सवाल करती थी.

हालांकि, बदली हुई परिस्थितियों में जनता एवं मीडिया खुलकर अब भाजपा सरकार के मंत्रियों से सवाल पूछने लगी है, इसलिए अब भाजपा सरकार के मंत्री जवाब देने के बजाए बचकर भागने लगे हैं. लेकिन अब जनता से यह लोग अधिक समय तक बचकर नहीं भाग सकेंगे और इनको जनता के सवालों का जवाब देना ही पड़ेगा.

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