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Monday, May 20, 2024
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राजस्थान चुनाव: क्षेत्रीय दलों के साथ गठजोड़ का संकेत देकर ओवैसी ने दी कांग्रेस को चुनौती

रिपोर्टरइंडिया टुमारो

जयपुर | राजस्थान में दिसंबर-2023 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, हैदराबाद की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने हाल ही में राजस्थान हरियाणा बॉर्डर पर गौरक्षको द्वारा मुस्लिम युवकों के अपहरण और हत्या की घटना पर पैदा हुई भावनाओं और नाराज़गी को आधार बनाकर राजस्थान की राजनीति में प्रवेश किया है. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने 18 और 19 फरवरी को पूर्वी राजस्थान के भरतपुर और टोंक जिलों का दौरा किया और अपनी टिप्पणियों के ज़रिए कई राजनीतिक संदेश दिए.

एआईएमआईएम क्षेत्रीय दलों के साथ संभावित गठबंधन के आधार पर इस साल का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार है, क्योंकि पार्टी मुसलमानों और दलितों का एक स्वतंत्र और विश्वसनीय नेतृत्व विकसित करने करने की कोशिशों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है. ओवैसी ने अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान संकेत दिया कि वह लगभग 30 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेंगे, जिसमें वो 16 सीटें शामिल होंगी जहां सत्तारूढ़ कांग्रेस ने 2018 में अपने मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था.

एआईएमआईएम की राजस्थान इकाई के पूर्ण राज्य निकाय के रुप में गठन किए जाने से पहले छह सदस्यीय कोर कमेटी की नियुक्ति करके पिछले साल मई में जयपुर में लॉन्च किया गया था. पार्टी के राज्य संयोजक जमील खान हैं, जो निजी स्कूलों की एक श्रृंखला के मालिक हैं, वो सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील के जिओली गांव के रहने वाले हैं.

जमील खान क्षेत्र के एक प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनके दादा दिवंगत कर्नल (सेवानिवृत्त) जबोदी खान ने 1977 में नागौर जिले के डीडवाना निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व गृह मंत्री मथुरा दास माथुर के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा था.

राजस्थान के मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों और राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि AIMIM राज्य में राजनीतिक शून्य को भर सकती है और मुसलमानों और अन्य हाशिए के वर्गों की एक शक्तिशाली आवाज़ के रूप में उभर सकती है. आमतौर पर यह समझा जाता है कि मुसलमानों के सामने एक मज़बूत विकल्प न होने के कारण राजस्थान में कांग्रेस उनके साथ अपने स्थायी वोट बैंक की तरह व्यवहार करती है.

हैदराबाद के चार बार के सांसद ओवैसी ने अपनी बातचीत के दौरान पुष्टि की कि लोग कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों से तंग आ चुके हैं, जो पिछले दो दशकों के दौरान राजस्थान में बारी-बारी से सरकार बनाते रहे हैं. अल्पसंख्यकों को राजनीतिक आवाज़ और पद व मंच देने का वादा करते हुए ओवैसी एआईएमआईएम के संगठन को ज़मीनी स्तर पर मज़बूत करने के बाद अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन पर विचार कर रहे हैं.

AIMIM विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के साथ एक चुनावी समझौता कर सकती है, क्योंकि ओवैसी ने अपनी एक पिछली यात्रा के दौरान बीटीपी नेता छोटूभाई वसावा से मुलाकात की थी, इसके अलावा दलितों और अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं के साथ भी ओवैसी ने बातचीत की थी. दक्षिणी राजस्थान में आदिवासी बहुल डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और उदयपुर जिलों में बीटीपी का प्रभाव उसके दो नेताओं के 2018 के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से बढ़ रहा है.

AIMIM ने हाल के वर्षों में विभिन्न राज्य विधानसभा चुनावों में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ा है. इनमें बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं. हैदराबाद बेस्ड पार्टी के बिहार में पांच और महाराष्ट्र में दो विधायक हैं, जबकि तेलंगाना में इसके सात विधायक हैं और सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के साथ गठबंधन में है.

भरतपुर ज़िले में, ओवैसी नासिर और जुनैद के परिवारों से मिलने के लिए घाटमिका गांव गए. इन दोनों मुस्लिम युवकों को कथित रूप से हरियाणा के भिवानी जिले में गौ रक्षकों द्वारा मार दिया गया था. ओवैसी ने मेव मुस्लिम बहुल क्षेत्र के इन दोनों युवकों की हत्या के लिए राजस्थान और हरियाणा दोनों सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि भाजपा आरोपियों को पुलिस कार्रवाई से बचाने के लिए पूरी तरह से ज़ोर लगा रही है, और पीड़ित परिवारों के लिए न्याय तो लगभग असंभव ही है.

पार्टी के सैकड़ों समर्थकों की मौजूदगी में पास के टापूकरा शहर में एआईएमआईएम कार्यालय का भी उद्घाटन किया गया. ओवैसी ने तंज़ कसते हुए कहा कि हरियाणा और राजस्थान दोनों सरकारें अदालतें बंद कर दें और पुलिस की वर्दी छीन लें. “गुंडों को कानून अपने हाथ में लेने दो. उन्हें गौ हत्या के आरोप में किसी की भी हत्या, अपहरण और हत्या करने की अनुमति दे दी जानी चाहिए. ओवैसी ने सवाल किया कि “यह देश कानून से चलेगा? या ये गुंडे देश चलाएंगे?”

उन्होंने यह भी बताया कि अनुभवी नेता अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राज्य की कांग्रेस सरकार ने मृतक के परिवारों को सिर्फ 20-20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी थी. जबकि इसी तरह के अन्य घृणित अपराधों में (उदाहरण के लिए, उदयपुर की घटना में) यह मुआवज़ा रु. 50 लाख और एक सरकारी नौकरी के रुप में दिया गया है. यह साफ तौर पर इस बात का सबूत है कि कांग्रेस को केवल मुसलमानों के वोटों में दिलचस्पी है.

अपने दौरे के दूसरे दिन टोंक के गांधी खेल मैदान में आयोजित एक विशाल जनसभा में ओवैसी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा में टोंक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर ज़ोरदार हमला बोला. राज्य की बागडोर संभालने को लेकर कांग्रेस के दोनों नेताओं के बीच पहले से ही एक जंग चल रही है. 2020 में समर्थक विधायकों के साथ पायलट के विद्रोह के कारण उन्हें डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दोनों पदों से बर्खास्त कर दिया गया था.

ओवैसी ने गहलोत और पायलट पर हिंदुओं के वोट खोने के डर से अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर रणनीतिक रूप से चुप रहने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “अगर ओवैसी बजरंग दल द्वारा जिंदा जलाए गए नासिर और जुनैद के परिवारों से मिलने के लिए हैदराबाद से भरतपुर जा सकते हैं, तो जयपुर और टोंक से गहलोत और पायलट पीड़ित परिवारों से क्यों नहीं मिल सकते? उन्हें डर है कि अगर उन्हें मुसलमानों के साथ हमदर्दी जताते हुए देखा गया तो हिंदू भाई उन्हें वोट नहीं देंगे. कांग्रेस के नेता आपका वोट चाहते हैं, लेकिन आपके भाइयों की मौत पर नहीं आना चाहते.”

ओवैसी ने कहा कि, गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पायलट को एक गुर्जर बहुल सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए. चूंकि एआईएमआईएम टोंक से चुनाव लड़ने जा रही है. उन्होंने पूछा कि, पायलट दौसा, सवाई माधोपुर और करौली जैसे गुर्जर बहुल ज़िलों से चुनाव लड़ने के इच्छुक क्यों नहीं हैं. यह ओवैसी की तरफ से मुस्लिम-बहुल टोंक निर्वाचन क्षेत्र को स्पष्ट संदेश था कि उसे अपने विधायक का चयन विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि क्षेत्र के साथ-साथ समुदाय के हितों का भी ध्यान रखा जाए.

ओवैसी ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों का मुकाबला करने के लिए एआईएमआईएम का समर्थन करने के लिए रैली में शामिल होने आए हज़ारों लोगों से आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘चुनाव के दौरान वोट पाने के लिए कांग्रेस आपके सामने डर पैदा करती है. जब वे (कांग्रेस) सत्ता में आते हैं, तो आपके साथ अछूतों जैसा व्यवहार करते हैं. बीजेपी का मामला तो साफ़ है ही कि उन्हें आपके वोट की ज़रूरत नहीं है. ऐसे में आपको एआईएमआईएम का समर्थन करना चाहिए जो कमज़ोर और हाशिए के लोगों के साथ हर स्थिति में खड़ी रही है और यह सुनिश्चित किया है कि लोकतंत्र में उन्हें उनका उचित हिस्सा मिले.

ओवैसी ने बाद में टोंक में एक संवाददाता सम्मेलन में मीडियाकर्मियों से कहा कि एआईएमआईएम के नेता संगठन को मज़बूत करने के लिए राज्य के हर विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस साल के चुनाव में लड़ी जाने वाली सीटों की संख्या की घोषणा करना अभी ज़ल्दबाजी होगी, उन्होंने संकेत दिया कि पार्टी की कोर कमेटी इस मामले को देख रही है और संभावित उम्मीदवारों की जीतने की योग्यता पर विचार करने के बाद जल्द ही निर्णय की घोषणा करेगी.

ओवैसी ने स्पष्ट रूप से यह घोषणा करके सत्ताधारी कांग्रेस को चुनौती दे दी है कि एआईएमआईएम राजनीतिक नेतृत्व के विकास के लिए काम करेगी और न केवल मुसलमानों के लिए, बल्कि भेदभाव, पूर्वाग्रह और असहिष्णुता का सामना कर रहे समाज के सभी वंचित वर्गों के लिए न्याय की मांग करेगी.

यह देखा जाना बाकी है कि बीजेपी और कांग्रेस जैसे मुख्यधारा की पार्टियों के वर्चस्व वाले राजस्थान में राजनितिक विकल्प की तलाश में मुस्लिम, दलित और अन्य हाशिए पर रहने वाले समुदाय एआईएमआईएम को राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में तीसरे मोर्चे के रूप में जगह देने के लिए तैयार होंगे या नहीं.

इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ें 
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