-सैयद ख़लीक अहमद
नई दिल्ली | ईरान के बारे में प्रचलित दुष्प्रचार को खारिज करते हुए इस्लामी गणराज्य ईरान के राजदूत महामहिम डॉ. इराज इलाही ने शुक्रवार की शाम एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि, ईरान ने इस्लामिक रिवोल्यूशन के पिछले चार दशकों के दौरान “कृषि, औद्योगिक उत्पादों, नैनो-तकनीक और शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भरता” हासिल किया है.
ईरानी राजदूत ने इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशन की 44वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक समारोह में यह जानकारी दी. समारोह का आयोजन यहां ईरानी दूतावास, दिल्ली में किया गया था.
उन्होंने बताया कि, पिछले 44 वर्षों में एक राष्ट्र के रुप में ईरान के लिए रास्ता बहुत आसान नहीं रहा है, “ईरानी लोग और सरकार कई तरह की साज़िशों और समस्याओं से गुज़रे हैं, जिनमें ज़बरदस्ती थोपे गए युद्ध, आतंक, आर्थिक प्रतिबंध या आर्थिक आतंकवाद और हाल ही में “हाइब्रिड युद्ध” (दुष्प्रचार अभियान सहित सैन्य और गैर-सैन्य कार्रवाइयों का संयोजन) जैसी साज़िशे भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा, “लेकिन राष्ट्रीय एकता और कुशल नेतृत्व की मदद से, ईरान अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण रूप से उभरने में कामयाब हुआ है, जिनमें से सबसे अहम क्षेत्र कृषि उत्पादों, औद्योगिक उत्पादों, नैनो-तकनीक और शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा की आत्मनिर्भरता है.” डॉ. इलाही ने जिन मेहमानों को संबोधित किया उनमें नई दिल्ली में स्थित कई देशों के राजदूत और प्रतिनिधि शामिल थे. भारत के बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी मेहमानों में शामिल थे.
ईरान की वैज्ञानिक उपलब्धियां और महिलाओं का सशक्तिकरण
ईरानी राजदूत ने ईरान में साक्षरता दर 95 प्रतिशत बताते हुए कहा कि वैज्ञानिक उपलब्धियों के मामले में ईरान दुनिया के 200 देशों में 16वें स्थान पर है.
गैर-मुस्लिम दुनिया, विशेष रूप से यूरोप में इस्लामोफोबिक लोगों द्वारा फैलाई गई यह गलत धारणा कि, “इस्लाम मुस्लिम महिलाओं के शिक्षा हासिल करने के रास्ते में बाधा है”, डॉ. इलाही ने इसे खारिज करते हुए कहा कि, “वर्तमान में ईरान में कुल छात्रों में से महिला छात्रों की संख्या 55 प्रतिशत है. इसके अलावा, डॉ. इलाही के अनुसार, ईरानी विश्वविद्यालयों में कम से कम 40 प्रतिशत डॉक्टर और 33 प्रतिशत प्रोफेसर महिलाएं हैं.”
उन्होंने ईरानी महिलाओं के सशक्तिकरण का श्रेय इस्लामिक रिवोल्यूशन को दिया.
ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशन की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि यह ईरानी लोगों के समर्थन और इमाम खुमैनी के नेतृत्व में लाई गई क्रांति थी.
डॉ. इलाही ने ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशन की विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा, “क्रांति विदेशियों पर निर्भर शाह शासन को खत्म करने में सफल रही और इसके ज़रिए धार्मिक (इस्लामिक) लोकतंत्र पर आधारित एक प्रणाली की स्थापना की गई, जो लोगों को डेमोक्रेटिक सिस्टम के ज़रिए अपने राजनीतिक-सामाजिक भाग्य को तय करने की अनुमति देती है.”
ईरान की विदेश नीति
अपने देश की विदेश नीति के बारे में बोलते हुए डॉ. इलाही ने कहा कि यह “इस्लामिक रिवॉल्यूशन के सिद्धांतों और मूल्यों” पर आधारित है.
राजदूत ने इस पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि, “अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ईरान शांति और न्याय, तर्कसंगत, स्वतंत्रता का समर्थक है और भेदभाव, आक्रामकता और विदेशी हस्तक्षेप को खारिज करता है.”
डॉ. इलाही ने अपने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को बताया कि, “इसीलिए, इस्लामी गणतंत्र ईरान हमेशा से ही फ़िलिस्तीन के लोगों सहित दुनिया के उत्पीड़ित राष्ट्रों के साथ रहा है.”
पश्चिम एशिया की स्थिरता और सुरक्षा में ईरान की भूमिका
यह कहते हुए कि, “ईरान ने पश्चिम एशिया और दुनिया की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक अनूठी भूमिका निभाई है”, उन्होंने कहा कि उनके देश ने “आतंकवाद, उग्रवाद और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी भयावह घटनाओं के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहते हुए बहादुरी के साथ एक भारी आध्यात्मिक और भौतिक कीमत चुकाई है.”
यह कहते हुए कि ईरान अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत कर रहा है, राजदूत ईराज इलाही ने कहा कि, “निस्संदेह, ईरान के इस्लामी गणराज्य के लिए भारत की खास अहमियत है.”
उन्होंने कहा कि, 2022 में समरकंद में दोनों देशों के उच्च पदस्थ अधिकारियों की नियमित यात्राओं के अलावा ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया बैठक इसका प्रमाण है.
ईरान और भारत के बीच व्यापारिक संबंध
यह कहते हुए कि, “बाहरी दबावों ने हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में कई समस्याएं पैदा की हैं”, उन्होंने आगे कहा कि, “भारत की कूटनीतिक स्वायत्तता अभी भी इस सहयोग को जारी रखने के लिए सबसे बड़ा समर्थन है.”
ईरानी राजदूत ने भारत द्वारा विकसित चाबहार बंदरगाह का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि, चाबहार बंदरगाह हिंद महासागरीय देशों को मध्य एशिया और काकेशस से जोड़ने वाला प्रवेश द्वार है.