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Saturday, May 18, 2024
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राजस्थान में संविदाकर्मी एक बार फिर आंदोलन की राह पर, सरकार के दावों को बताया धोखा

रहीम ख़ान

जयपुर | राजस्थान की राजधानी जयपुर में गुरुवार, 24 नवंबर को विद्याधर नगर स्टेडियम में विभिन्न मांगों को लेकर गहलोत सरकार के विरोध में संविदाकर्मियों का बड़ा प्रदर्शन हुआ जिसमें राज्यभर के 15 हज़ार से अधिक संविदाकर्मी शामिल हुए.

राजस्थान में विभिन्न विभागों में संविदा पर कार्यरत संविदा कार्मिकों द्वारा राजस्थान में सिविल सेवा पदों पर संविदा कार्मिक रखे जाने के नियम के विरोध में आक्रोश महारैली और एक दिवसीय धरना दिया गया. इस प्रदर्शन में करीब 15000 महिला एवं पुरुष संविदा कार्मिक शामिल हुए.

संविदा कार्मिकों का कहना था कि प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में जारी संविदा कार्मिकों के नियमों में विभिन्न विभागों में पिछले 15 से 20 वर्षों से भी अधिक अवधि से कार्यरत संविदा कार्मिकों के अनुभव को 0 मानते हुए 5 वर्ष के लिए पुनः संविदा पर रखा जा रहा है. संविदा कर्मियों का कहना था कि नियमों में कहीं भी नियमितीकरण का कोई भी खाका नहीं है.

संविदा संयुक्त मोर्चा के संयोजक शमशेर भालू खान ने इंडिया टुमारो को बताया कि यह धरना तो एक सांकेतिक विरोध प्रदर्शन था. उन्होंने कहा कि, “यदि सरकार के द्वारा शीघ्र ही संविदा कार्मिकों के नियमित पद बनाते हुए और पुरानी संविदा सेवा के अनुभव को मान्य करते हुए उनको नियमित नहीं किया गया तो सभी 90 हजार संविदा कर्मियों को साथ लेकर एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा.”

उन्होंने कहा कि, “अगर सरकार ने हमारी मांग मानते हुए सभी संविदा कर्मियों के लिए नियमितीकरण के नियम नहीं बनाए तो आगामी दिनों में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान आ रही है, उस दौरान संविदा कार्मिकों के द्वारा हर जगह राहुल गांधी को कांग्रेस सरकार के इस झूठे जुमले और झूठी वाहवाही के बारे में अवगत करवाया जाएगा.”

प्रदेश सरकार द्वारा नए संविदा नियम बनाने के बाद अल्पसंख्यक विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों द्वारा संयुक्त संविदा मुक्ति मोर्चा, राजस्थान का गठन किया गया है.

इस मोर्चा का संयोजक शमशेर भालू खान ‘गांधी’ को बनाया गया है. इस मुक्ति मोर्चा द्वारा ही संविदा कर्मियों की आक्रोश महारैली का आयोजन किया गया था जिसे पेट भरो रैली नाम भी दिया गया था.

एनआरएचएम संविदा कर्मियों की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य हरीश कुमार ओला ने इंडिया टुमारो को बताया कि, “राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र वर्ष 2018 में संविदा कार्मिको के नियमितीकरण का वादा किया गया था. मुख्यमंत्री ने इसके सम्बन्ध में मंत्री बी.डी कल्ला की अध्यक्षता में एक कमेटी का भी गठन किया था जिसकी गत 4 वर्षों से कई बैठके भी आयोजित की गई.”

उन्होंने बताया कि, “आज बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मुख्यमंत्री ने उक्त घोषणा पत्र में किये गये नियमितीकरण के वादे को पूरा ना करके ना केवल हम सब की आशा एवं विश्वास को तोड़ा है बल्कि हम सब संविदा कार्मिको के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है.”

उन्होंने कहा कि, “मुख्यमंत्री रोजाना बड़े-बड़े विज्ञापन, होर्डिंग आदि लगाकर और दूसरे राज्यों में हो रही चुनावी सभाओं में राजस्थान सरकार को मॉडल बताकर हमारे साथ-साथ बाकी लोगों को भी बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे है.”

सीकर जिला संयोजक संविदाकर्मी मनीष कुमार शर्मा ने बताया कि, “राजस्थान में सरकार द्वारा जो संविदा नियम ‘राजस्थान कॉन्ट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स 2022’ बनाया गया है वो हमारे लिये वरदान नहीं बल्कि एक अभिशाप बनने जा रहा है. यदि हम सब पर यह नियम लागू हो जाता है तो हम सब संविदा कार्मिक 5 साल के लिए एक तरह से अपंग और असहाय हो जायेगें.”

उन्होंने बताया कि, “इस काननू में सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें हमारे साथी जो पिछले लगभग 20 वर्षों से जी-जान लगाकर अल्प वेतन में कार्य कर रहे हैं उन सबका अनुभव शुन्य मानकर पुनः आगामी 5 साल के लिये हमको संविदा रूपी बेड़ियों में बांधा जा रहा है, जो एक प्रकार से हमारे एवं हमारे परिवार के लिये बहुत ही भयानक दुर्घटना के समान है.”

मनीष कुमार शर्मा और हरीश कुमार ओला उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने वसुंधरा राजे की सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2018 में झुंझुनूं में हुई सभा में काले झंडे दिखाए थे और नियमितीकरण की मांग उठाई थी.

उनका कहना है कि हमारे प्रयासों से ही राजस्थान में सरकार बदली थी और मौजुदा कांग्रेस सरकार से बड़ी उम्मीदें थी लेकिन अब तक इसने भी हमें निराश ही किया है.

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