इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | केंद्रीय शिक्षा बोर्ड, जमाअत इस्लामी हिन्द ने बाल दिवस, 14 नवंबर पर बयान जारी कर शुभकामनाएं देते हुए यह कहा है कि भारत में बच्चों से सम्बंधित बिभिन्न मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देने की ज़रूरत है.
केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन शेख मुज्तबा फ़ारूक़ ने मीडिया को जारी एक बयान में कहा कि, ऐसे समय में जब भारत स्वतंत्रता के 75वां वर्ष मना रहा है, हमें एक शुभचिंतक और ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में बच्चों की वर्तमान स्थिति पर विचार करने की आवश्यकता है जो देश के लिए सबसे बहुमूल्य और इसका भविष्य हैं.
उन्होंने कहा कि, “ये बच्चे देश की कुल आबादी का पांचवां हिस्सा हैं. आवश्यकता है कि इस बाल दिवस को सही मायने में सार्थक बनाने के लिए राज्य और अन्य जिम्मेदार समूह इन पर तत्काल ध्यान दें.”
अपने बयान में मुज्तबा फ़ारूक़ ने कहा कि सभी जवाबदेह संस्थाओं को बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा के मुद्दों पर काम करने की ज़रूरत है.
फारूक ने कहा कि, “इस विशेष दिन पर केंद्रीय शिक्षा बोर्ड, भारत में बच्चों को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर ध्यानाकर्षित करना चाहता है.” कुपोषण की चिंताओं को दूर करने पर जोर देते हुए सभी हितधारकों को पोषण, स्वास्थ्य और बच्चों की शिक्षा के मुद्दों पर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा कि, कुपोषण, शिशु मृत्यु दर की चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए. बच्चे देश के भविष्य के निर्माता हैं.
यह बताते हुए कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने 2030 तक प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा (ECCE) को सार्वभौमिक बनाने की आवश्यकता पर बार-बार जोर दिया है, श्री फारूक ने कहा कि, “हालांकि, वास्तविकता यह है कि बच्चों का एक बड़ा प्रतिशत आंगनवाड़ी सेवाओं के साथ-साथ निजी और सार्वजनिक प्री-स्कूलों तक पहुंच नहीं रखता है.”
उन्होंने कहा कि, इस संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों को बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण बजट आवंटित करने की आवश्यकता है.
केंद्रीय शिक्षा बोर्ड का मानना है कि कुल केंद्रीय बजट के 2.35% का वर्तमान बजट (वित्त वर्ष 2022-23) हमारे देश के बच्चों की समग्र कल्याण जैसे – पोषण, स्वास्थ्य और शैक्षिक लक्ष्यों को को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
भारत में चाइल्ड केयर संस्थानों की स्थिति, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों, सरकारी स्कूलों और प्री-मैट्रिक छात्रावासों के बच्चों की सुरक्षा आदि के को लेकर भी केंद्रीय शिक्षा बोर्ड ने चिंता व्यक्त की.