अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | आज़म खां की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के मामले को लेकर राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने यूपी विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर उनके काम करने के तरीके पर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है। जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से सवाल किया है कि उन्होंने भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में क्या कार्यवाही की है, क्योंकि विक्रम सैनी को भी अदालत ने 2 साल की सजा सुनाई है।
राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख जयंत चौधरी ने सपा नेता आज़म खां की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के मामले पर सवाल उठाए जाने पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने भाजपा विधायक विक्रम सैनी को अदालत द्वारा 2 साल की सज़ा सुनाए जाने की रिपोर्ट तलब की है।
राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया जयंत चौधरी द्वारा सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आज़म खां की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के मामले में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखकर सवाल उठाने से मामला गर्मा गया है। जयंत चौधरी ने आज़म खां की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के मामले में विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर उनकी निष्पक्षता पर सवालिया निशान लगाया है।
राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को इस संबंध में एक पत्र लिखा है और उनसे सवाल किया है कि आज़म खां की विधानसभा सदस्यता समाप्त की गई है, तो भाजपा विधायक विक्रम सैनी की क्यों नहीं ?
जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को लिखे गए पत्र में लिखा है कि, “स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में हेट स्पीच के मामले में आपके कार्यालय द्वारा त्वरित फैसला लेते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री मोहम्मद आज़म खां की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है। जनप्रतिनिधित्व कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की यद्यपि प्रशंसा की जानी चाहिए किंतु जब पूर्व से घटित हुए ऐसे ही मामले में आप निष्क्रिय नजर आते हैं, तो आप जैसे त्वरित न्याय करने वाले की मंशा पर सवाल खड़ा होता है कि क्या कानून की व्याख्या व्यक्ति और व्यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है?”
उन्होंने आगे पत्र में लिखा है कि, “महोदय, इस संदर्भ में आपका ध्यान मैं खतौली (मुज़फ्फरनगर) से भाजपा विधायक श्री विक्रम सैनी के प्रकरण की ओर आकृष्ट करना चाहूंगा, जिन्हें 2013 में हुए मुज़फ्फ़रनगर दंगों के लिए स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा 11 अक्टूबर 2022 को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत 2 साल की सज़ा सुनाई गई है। उस प्रकरण में आपकी ओर से आज तक कोई पहलकदमी नहीं ली गई। सवाल यह है कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है? यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा, जब तक आप भाजपा विधायक श्री विक्रम सैनी के मामले में ऐसी ही पहलकदमी नहीं लेते।”
जयंत चौधरी ने पत्र में आगे लिखा है कि, “आशा है कि आप मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए न्याय की स्वस्थ परम्परा के लिए श्री विक्रम सैनी के प्रकरण में शीघ्र ही कोई ऐसा निर्णय अवश्य लेंगे, जो सिद्ध करेगा कि न्याय की लेखनी का रंग एक सा होता है, भिन्न -भिन्न नहीं।”
यहां यह ज्ञात हो कि 11 अक्टूबर 2022 को मुज़फ्फ़रनगर में एमपी/एमएलए कोर्ट ने भाजपा विधायक विक्रम सैनी और उनके साथ अन्य 12 लोगों को 2 साल की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए गए मामले में 28 लोग नामजद थे, जिनमें से 15 आरोपियों को अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था, जबकि 1 आरोपी की मौत हो चुकी है। लेकिन अदालत के फैसले के बावजूद भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई।
रालोद प्रमुख जयंत चौधरी द्वारा अब विक्रम सैनी का मामला उठाये जाने से विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना धर्मसंकट में पड़ गए हैं। लेकिन मामला सामने आने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विधानसभा सचिवालय को इस संबंध में रिपोर्ट मंगाने का निर्देश दिया है।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का इस बारे में कहना है कि, “जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से निर्वाचन आयोग को सजा संबंधी सूचना भेजी जाती है। वही अयोग्य घोषित करता है और उसकी संस्तुति पर विधानसभा सचिवालय उस सीट को रिक्त घोषित करता है। आज़म खां के प्रकरण में आयोग के ज़रिए संस्तुति आई थी, जबकि विक्रम सैनी की रिपोर्ट नहीं आई है। मीडिया के ज़रिए जयंत चौधरी के पत्र की जानकारी मिली। विधानसभा सचिवालय को रिपोर्ट मंगाने के निर्देश दिए हैं।”
राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख जयंत चौधरी द्वारा विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखकर आज़म खां का मामला उठाये जाने से और भाजपा विधायक विक्रम सैनी को अदालत द्वारा 2 साल की सज़ा सुनाए जाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं किए जाने से यूपी की राजनीति में गर्मा गई है।
जयंत चौधरी ने विक्रम सैनी के मामले को सामने लाकर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के काम करने के तरीके की निष्पक्षता पर उंगली उठाया है। अब गेंद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के पाले में पहुंच गई है और अब उनको भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में निर्णय लेकर अपनी निष्पक्षता साबित करनी होगी।