इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | न्यूज़ पोर्टल ‘द वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन और संस्थापक संपादक एमके वेणु के आवासों पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी की है.
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के द्वारा यह कार्रवाई बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख और पश्चिम बंगाल में पार्टी के सह-प्रभारी अमित मालवीय की शिकायत पर की जा रही है.
BJP के अमित मालवीय की शिकायत पर द वायर के खिलाफ FIR दर्ज हुई जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी प्रतिष्ठा खराब करने के लिए जाली दस्तावेज दिखाए गए।”
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, पुलिस ने किसी को भी हिरासत में नहीं लिया है, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा केवल छापेमारी की जा रही है.
ज्ञात हो कि बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने शानिवार को द वायर और उसके संपादकों के खिलाफ दिल्ली पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी और कार्रवाई की मांग की थी.
अमित मालवीय की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने न्यूज़ वेबसाइट ‘द वायर’ के ख़िलाफ़ शनिवार को एक मुक़दमा दर्ज किया है.
इस मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420 (धोखाधड़ी), 468, 469 (फर्जीवाड़ा), 471 (ठगी), 500 (मानहानि), 120बी (आपराधिक साजिश) और 34 (आपराधिक गतिविधि) में मामला दर्ज किया गया.
अमित मालवीय द्वारा ‘द वायर’ पर उनके और सोशल मीडिया कंपनी ‘मेटा’ के बारे में ‘फ़ेक न्यूज़’ प्रकाशित करने का दावा करते हुए न्यूज़ पोर्टल पर धोखाधड़ी और जालसाज़ी का आरोप लगाया था.
अपनी शिकायत में अमित मालवीय ने ‘द वायर’ के संस्थापक संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया और एमके वेणु के अलावा डिप्टी एडिटर और कार्यकारी न्यूज़ प्रोड्यूसर जाह्नवी सेन, ‘द वायर’ की मालिक संस्था ‘फ़ाउंडेशन फ़ॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज़्म’ और अन्य अज्ञात लोगों पर धोखाधड़ी और जाली दस्तावेज़ पेश करने का आरोप लगाया.
‘द वायर’ ने इस मामले में अपने ही एक पूर्व कन्सल्टेन्ट देवेश कुमार पर एक स्टोरी में मनगढ़ंत ब्यौरा पेश करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस से शिकायत की है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई मुक़दमा दर्ज नहीं किया है.
न्यूज़ वेबसाइट ‘द वायर’ ने अक्टूबर में मेटा से जुड़ी रिपोर्टों की एक सिरीज़ प्रकाशित की थी. जिसमें यह दावा किया गया था कि मेटा की ‘क्रॉस चेक’ योजना के ज़रिए अमित मालवीय को कई विशेषाधिकार दिए गए हैं.
द वायर की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इन विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए मालवीय, मेटा के विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर प्रकाशित किसी भी कॉन्टेंट को जो उन्हें सरकार या बीजेपी विरोधी होती है हटा सकते हैं.
हालांकि बाद में ‘द वायर’ ने इस विवाद के बाद संबंधित कहानी को वापस ले लिया और इसके लिए माफ़ी भी मांगी है.
द वायर द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि, “उसने बाहरी विशेषज्ञों की मदद से उपयोग की जाने वाली तकनीकी स्रोत सामग्री की आंतरिक समीक्षा करने के बाद मेटा रिपोर्ट्स को हटाने का निर्णय लिया.”
शनिवार को ‘द वायर’ ने जारी एक बयान में लिखा, “पत्रकार स्टोरीज़ के लिए स्रोतों पर यक़ीन करते हैं और उन्हें मिलने वाले कॉन्टेंट को वेरिफ़ाई करने का पूरा प्रयास भी करते हैं.” बयान में आगे कहा गया है, ”टेक्नोलॉजी से जुड़े साक्ष्य कहीं ज़्यादा जटिल होते हैं और सामान्य मेहनत से धोखाधड़ी हमेशा पकड़ में नहीं आती. हमारे साथ यही हुआ है.”
द वायर ने बयान में आगे कहा था, “किसी भी प्रकाशन संस्था की ज़िंदगी में ऐसा मौक़ा भी आ सकता है, जब उसे मिलने वाली सूचना ग़लत हो. नैतिकता की परीक्षा यही है कि प्रकाशन संस्थान अड़ा रहता है या सच बोलता है. जब हमें अहसास हुआ कि हमें धोखे वाली जानकारी मिली थी, तो हमने बाद वाला विकल्प चुना.”
”द वायर पर इस पूरे कॉन्टेंट को लाने वाले शख़्स ने किसी और के कहने पर हमें धोखा दिया या अपनी मर्ज़ी से काम किया, इसका फ़ैसला न्यायिक प्रक्रिया के ज़रिए आने वाले वक़्त में होगा. लेकिन ये ज़ाहिर है कि ‘द वायर’ को बदनाम करने की साज़िश हुई है. इसके अलावा हमें कुछ और नहीं कहना.”