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Sunday, May 19, 2024
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हाफ़िज़ जुनैद लिंचिंग: हत्या के 5 साल बाद न तो न्याय मिला और न मुआवज़ा

–मसीहुज़्ज़मा अंसारी

नई दिल्ली | हरियाणा के खंदावली गांव के रहने वाले 16 वर्षीय हाफ़िज़ जुनैद की 22 जून  2017 को ट्रेन में चाकुओं से वार कर हत्या कर दी गई थी. जुनैद की लिंचिंग की इस घटना के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 10 लाख  रूपय मुआवज़े की घोषणा की थी लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी पीड़ित परिवार को अब तक मुआवज़ा नहीं मिला सका.

हाफ़िज़ जुनैद दिल्ली के सदर बाज़ार से ईद की ख़रीदारी कर ट्रेन से अपने घर हरियाणा के खंदावली जा रहे थे जहाँ मथुरा जा रही ट्रेन में सवार कुछ लोगों द्वारा सीट को लेकर शरू हुई कहासुनी के बाद हमला कर जुनैद की हत्या कर दी गई. 

जुनैद के साथ उसके भाई हसीब और दो चचेरे भाइयों शाकिर और मोहसिन पर भी चाकुओं से हमला किया गया था जिसमें शाकिर बुरी तरह ज़ख़्मी हो गया था. जुनैद को दिल्ली से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर असावती में चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया गया था.

कई प्रयास के बाद भी मुख्यमंत्री ने जुनैद के परिवार से मुलाक़ात नहीं की

इंडिया टुमारो से बात करते हुए पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है कि कई बार मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास किया गया लेकिन मनोहर लाल खट्टर ने कोई न कोई बहाना कर मिलने से इंकार कर दिया.

हाफ़िज़ जुनैद के पिता जलालुदीन ने इंडिया टुमारो को बताया कि बेटे की हत्या के बाद जब लोग न्याय की मांग कर रहे थे तभी मनोहर लाल खट्टर और हरियाणा सरकार ने 10 लाख के मुआवज़े की घोषणा की थी.

जलालुदीन ने कहा कि, “घटना को पांच साल हो गए, सरकार से मुआवज़ा मिलना तो दूर, मुख्यमंत्री हम से मिलने से भी बच रहे हैं.”

उन्होंने बताया कि, “कई बार फरीदाबाद में मुख्यमंत्री आना हुआ, वो अक्सर आते हैं और मैंने मिलने के लिए उनका समय भी लिया लेकिन जैसे ही हमसे मिलने का समय हुआ वो ज़रूरी काम बताते हुए चले जाते और ऐसा हर बार होता.”

हाफ़िज़ जुनैद के पिता जलालुदीन ने कहा कि, “मुख्यमंत्री से कई बार मिलने की कोशिश बेकार हुई. उनसे मिलने 3 बार फरीदाबाद भी गए क्योंकि वह फरीदाबाद आते रहते हैं, चंडीगढ़ 3 बार गए, हरियाणा भवन कई बार गए लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाक़ात नहीं हो सकी.”

प्रशासनिक अधिकारी भी बात करने से बचते हैं

हाफ़िज़ जुनैद के पिता जलालुदीन ने आरोप लगाया कि घटना से संबन्धित बात करने के लिए जब हम किसी अधिकारी के पास जाते हैं तो वे सही से बात नहीं करते.

उन्होने कहा कि, “अब हमने किसी से भी मिलने और केस या मुआवज़े की बात करना भी उचित नहीं समझते. क्योंकि अधिकारी मिलते नहीं हैं और सीएम से मिलने जाने पर जब भी लंबे इंतज़ार के बाद मेरा नंबर आता है तो मुख्यमंत्री कहीं चले जाते हैं.”

इस सवाल पर कि मुआवज़े की मांग के लिए प्रशासन के पास क्यों नहीं गए, हाफ़िज़ जुनैद के पिता कहते हैं, “हम प्रशासन के पास भी गए, लेकिन मुलाक़ात नहीं हुई और कोई सुनवाई नहीं हो सकी. मुझ से कोई अधिकारी मिलना नहीं चाहता और न ही बात करता है.”

जुनैद का परिवार मौलाना उमेर इलियासी से है नाराज़

मृतक हाफ़िज़ जुनैद की माँ ने बताया कि, “घटना के बाद मौलाना उमेर इलियासी ने गाँव आकर यह वादा किया था कि मैं सरकार से कह कर मुआवज़े की रक़म बढ़ाने और 10 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ करने के लिए कहूंगा साथ ही घायलों को 20 लाख रूपय दिए जाएं इसकी कोशिश भी करूँगा.”

ज्ञात हो कि उस समय सरकार ने 10 लाख के मुआवज़े की घोषणा की थी. हालांकि, घटना के पांच साल बाद भी मुआवज़ा नहीं मिला.

जुनैद की माँ ने इंडिया टुमारो को बताया कि, “घटना के 5 साल बीत जाने के बाद भी मौलाना उमेर इलियासी न तो मुआवज़ा दिलवाए और न ही कभी हमारा हाल चाल लिया. जिस उमेर इलियासी ने सरकार से मुआवज़ा दिलवाने की बात कही थी वो इन 5 सालों में कभी हमारे परिवार की तरफ पलट कर भी नहीं देखा.”

मौलाना उमेर इलियासी पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए हाफ़िज़ जुनेद के पिता जलालुद्दीन ने कहा कि, “उन्होंने यहां आकर लोगों को गुमराह करने का काम किया था. इलियासी ने कहा था कि मैं 1 करोड़ रुपय मुआवज़ा दिलवाऊंगा, घायलों को भी मुआवज़ा देने के लिए सरकार से कहूंगा और नौकरी दिलवाऊंगा, लेकिन कोई मदद नहीं की और न ही कभी खैरियत पूछा.”

कुछ दिनों पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दिल्ली के आल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजज़ेशन के अध्यक्ष मौलाना उमेर इलियासी से मिलने दिल्ली के कस्तूरबा गाँधी मार्ग पर स्थित मस्जिद में उनके कार्यालय में गए थे तब से मौलाना उमेर इलियासी चर्चा में हैं. उन्हें संघ और मोदी का क़रीबी माना जाता है.

इंडिया टुमारो ने जब इस मामले में मौलाना उमेर इलियासी से सवाल किया तो उनका कहना था कि, उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि, “मैंने इस तरह का कोई बयान दिया है. इतनी पुरानी बात हो गई मुझे याद नहीं है.”

उन्होंने कहा कि, “उनके लोग मेरे पास आए भी नहीं हैं और मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है. मेरी पांच साल पहले उनसे मुलाक़ात हुई थी.”

मौलाना उमेर इलियासी ने अपने सवालों से बचते हुए दिल्ली वक्फ़ बोर्ड से कई सवाल किया. उन्होंने कहा कि, “दिल्ली वक्फ बोर्ड ने उनके एक भाई को नौकरी दी थी और उनकी आर्थिक सहायता भी की थी. बहुत लोगों ने उनकी मदद की थी.”

हालांकि, जब हमने हाफ़िज़ जुनैद से इस बात को लेकर सवाल किया तो उनका कहना था कि उन्हें वक्फ़ बोर्ड से कोई नौकरी नहीं मिली है.

हाफ़िज़ जुनैद के मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई?

जुनैद लिंचिंग मामले को देख रहे उनके वकील एडवोकेट निब्रास अहमद ने इंडिया टुमारो को बताया कि, “इस मामले में कुल 7 आरोपी थे जिन्हें पुलिस ने कोर्ट में पेश किया था, सभी पर 302 के तहत मामला दर्ज था, हालांकि बाद में 5 आरोपियों पर से धारा 302 हटा ली गई थी.”

परिवार ने कोर्ट में पैरवी कर 2 के खिलाफ 302 की धारा लगवाई. परिवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जाँच की मांग करते हुए अन्य आरोपियों पर भी 302 के तहत कार्रवाई की मांग की थी.

एडवोकेट निब्रास अहमद ने बताया कि, “हाईकोर्ट ने हमारी याचिका यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया था कि यह मामला उसके क्षेत्राधिकार में नहीं आता और हमें सुप्रीम कोर्ट जाने को कहा था जिसके बाद हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.”

उन्होंने बताया कि, “सुप्रीम कोर्ट ने जुनैद की हत्या के मामले में निचली अदालत में चल रहे ट्रायल पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका के निपटारे तक मामले की सुनवाई पर रोक लगाते हुए देश भर के सभी लिंचिंग के मामलों को एक साथ मर्ज कर दिया था.”

एडवोकेट अहमद के मुताबिक, “तब से तारीखें लग रहीं लेकिन मामले की सुनवाई नहीं हो रही, मामला जस का तस बना हुआ है. जब तक हमारी याचिका पर कार्रवाई नहीं होती या निरस्त नहीं होती तब तक इस मामले में यथास्थिति बनी रहेगी.”

उन्होंने बताया कि, “इस मामले में मुख्य आरोपी जिसने हाफ़िज़ जुनैद को चाकू मारा था उसको पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से सशर्त ज़मानत मिली है. उसे फरीदाबाद में एंट्री पर रोक रहेगी और जैसे ही सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका का निपटारा हो जाएगा उसे ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करना होगा.”

सभी आरोपी ज़मानत पर रिहा, परिवार ने लगाई इंसाफ की गुहार

हाफ़िज़ जुनैद लिंचिंग मामले में न मुआज़ा मिला और न ही न्याय, घटना के 5 साल बाद परिवार न्याय का इंतज़ार कर रहा है और सभी आरोपी ज़मानत पर रिहा हैं.

जुनैद के पिता ने हमें बताया कि, “हमारे साथ सभी ने अन्याय किया, न तो सरकार ने मदद की और न ही न्याय मिला. आरोपी ज़मानत पर बाहर घूम रहे हैं लेकिन मैं चाहता हूं कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले, उन्हें फांसी हो, मुझे इंसाफ चाहिए.”

पिता जलालुदीन ने बताया कि, “इस मामले में 7 नामजद थे, 6 लोगों को जेल हुई लेकिन सभी बारी-बारी ज़मानत पर रिहा हो गए. एक आरोपी को गिरफ़्तारी के 28 दिन बाद ही ज़मानत मिल गई, 2 आरोपियों को उसके कुछ दिन बाद ज़मानत मिल गई. दो अन्य आरोपियों ने हाईकोर्ट से ज़मानत ले ली और एक को 6 महीने बाद ज़मानत मिली.

इस मामले में मुख्य आरोपी को डेढ़ साल बाद ज़मानत मिल गई और तब से सभी आरोपी ज़मानत पर बाहर हैं.

जुनैद की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट निचली अदालत में चल रहे ट्रायल पर रोक लगा दी. जुनैद के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा पुलिस की जांच पर सवाल उठाया था.

जुनैद के पिता जलालुद्दीन ने हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें यह कहते हुए सीबीआई जांच की याचिका खारिज कर दिया गया था कि यह दिखाने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि हरियाणा पुलिस की जांच दोषपूर्ण है.  

जुनैद के पिता पेशे से ड्राईवर थे, लेकिन अब अधिक उम्र होने के कारण घर पर ही रहते हैं और उन्हें कई बीमारियों ने जकड़ लिया है. जुनैद की माँ की आँखों की रौशनी कम हो गई है, और उन्हें बस न्याय का इंतज़ार है.

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