इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित आला अधिकारियों को फंसाने के लिए कथित रूप से दस्तावेजों को गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने ज़मानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
सुप्रीम कोर्ट सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर 22 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने को सहमत हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ ने सीतलवाड़ की वकील की अपील पर संज्ञान लिया है.
सीतलवाड़ की याचिका पर गुजरात हाई कोर्ट ने 3 अगस्त को राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 19 सितंबर को सुनवाई सुनिश्चित की थी. तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को जून में गिरफ्तार किया गया था जो साबरमती सेंट्रल जेल में बंद हैं.
गुजरात हाईकोर्ट ने 2 अगस्त को एसआईटी को नोटिस जारी कर सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरबी श्रीकुमार द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर जवाब देने को कहा था. इस मामले में हाईकोर्ट में 19 सितंबर को सुनवाई होनी है.
अगली सुनवाई की तारीख में यह लंबे समय को लेकर सीतलवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील में आपत्ति जताई है. याचिका में कहा गया है कि सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई केस में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, जमानत मामलों की शीघ्र सुनवाई की जानी चाहिए.
याचिका में यह भी कहा गया है कि, “वर्तमान मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई पहली तारीख डेढ़ महीने बाद है.”
चीफ जस्टिस एनवी रमना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ के समक्ष अपील का उल्लेख किया गया. पीठ ने मामले को 22 अगस्त को न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
2002 के गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ याचिका को इस साल 24 जून को खारिज कर दिया था. याचिका जकिया जाफरी ने दाखिल की थी जिनके पति एहसान जाफरी को दंगों में बेरहमी से मार दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को ख़ारिज कर दिया था कि जकिया जाफरी की याचिका में मेरिट नहीं है.
कोर्ट ने यह भी कहा था कि मामले में को-पेटिशनर सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया. कोर्ट ने तीस्ता की भूमिका की जांच की बात कही थी. इसके अगले दिन तीस्ता को गिरफ्तार कर लिया गया.
तीस्ता सीतलवाड़ एक अनुभवी पत्रकार, शिक्षाविद् और मानवाधिकार रक्षक हैं. तीस्ता, 2002 के गुजरात दंगों में हिंसा के पीड़ितों और उनके के परिवारों को न्याय दिलाने में सरकार के निशाने पर रही हैं.
2002 के गुजरात नरसंहार के पीछे व्यापक साजिश की उचित जांच की मांग करने वाली जकिया जाफरी द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका (पीआईएल) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के ठीक एक दिन बाद, गुजरात आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) की एक टीम ने उनके मुंबई स्थित घर से उऩ्हें हिरासत में लिया गया था.
यह याचिका जकिया जाफरी ने दायर की थी जो दिवंगत कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा हैं जिन्हें गुलबर्ग सोसाइटी में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मार दिया गया था.
सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) की सचिव तीस्ता सीतलवाड़ इस मामले में दूसरी याचिकाकर्ता थीं, जिसका उद्देश्य उस समय गुजरात में सत्ताधारी लोगों पर हिंसा को बेरोकटोक जारी रखने की जिम्मेदारी देना था.
हालांकि, इसे दुर्भावनापूर्ण मानते हुए, अदालत ने अपने फैसले में कहा था, “वास्तव में, प्रक्रिया के इस तरह के दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा होना चाहिए और कानून के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए.”