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Saturday, May 18, 2024
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चंद्रशेखर आज़ाद को जयपुर पुलिस ने किया गिरफ्तार, पीयूसीएल ने की रिहाई की मांग

स्टाफ रिपोर्टर | इंडिया टुमारो

जयपुर | भीम आर्मी प्रमुख और आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण को 1 और 2 जुलाई 2022 की आधी रात को करीब 12.30 बजे जयपुर कमिश्नरेट के विधायकपुरी थाने की पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है.

चंद्रशेखर आजाद जयपुर में कोविड स्वास्थ्य सहायकों (सीएचए) के आंदोलन का समर्थन करने के लिए जयपुर पहुंचे थे जहां पिछले दो महीने से विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन हो रहा है.

इस मामले में पीयूसीएल राजस्थान की प्रदेश अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि, जयपुर के होटल गणगौर से जयपुर पुलिस द्वारा भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद (रावण) की अवैध गिरफ्तारी की पीयूसीएल राजस्थान निंदा करता है.

प्रदेश अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें चंद्रशेखर रावण को 1 और 2 जुलाई 2022 की आधी रात को करीब 12.30 बजे जयपुर कमिश्नरेट के विधायकपुरी थाने की पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया. चंद्रशेखर के साथ अन्य 21 आरोपी जो कि सभी दलित हैं उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया है. यह सभी होटल में चंद्रशेखर के साथ ही थे, उन सभी को उनके कमरे से बाहर खींच लिया गया और सभी 22 को सीआरपीसी की धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया.

चंद्रशेखर आज़ाद जयपुर में कोविड स्वास्थ्य सहायकों (सीएचए) के आंदोलन का समर्थन करने के लिए आए थे. सीएचए जयपुर के शहीद स्मारक पर पिछले दो महीने से नियमित करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं.

गिरफ्तारी से पहले 1 जुलाई शाम को भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने जयपुर दक्षिण के डीसीपी मृदुल कछावा से मुलाकात की और सहमति व्यक्त की कि वे 2 जुलाई को विरोध प्रदर्शन और रैली नहीं करेंगे. सीएम को ज्ञापन सौंपना चाहते थे जो कि पुलिस मुख्यमंत्री की ओर से प्राप्त कर सकती थी. भीम आर्मी, शहर और राज्य में उदयपुर घटना के बाद से बनी हुई तनावपूर्ण स्थिति से अवगत थी.

भीम आर्मी के धर्मेंद्र कुमार जाटव के अनुसार, उन्होंने सीएचए प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया था कि 3 जुलाई, 2021 की हिंदू संगठनों की रैली के बाद वे अपनी रैली निकाल लेंगे. लेकिन प्रदर्शनकारियों के प्रति पुलिस का रवैया बहुत पक्षपाती रहा और 30 जून को बारिश के बीच 200 सीएचए प्रदर्शनकारियों को जबरदस्ती धरनास्थल से बेदखल कर दिया गया. इस दौरान वहां मौजूद पत्रकार ईशा शर्मा के साथ भी धक्का मुक्की की गई और चार पुलिसकर्मियों ने उनका मोबाइल फोन छीन लिया.

कविता श्रीवास्तव ने बताया कि पीयूसीएल का यह मानना है कि सीआरपीसी की धारा 151 का उपयोग कर चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार करना भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मजाक है. उन्होंने कहा कि धारा 151 के तहत पुलिस के पास ‘किसी भी संज्ञेय अपराध को करने के लिए डिजाइन की जानकारी’ होने पर गिरफ्तार करने की शक्ति है.

उन्होंने कहा कि, पुलिस के पास इस तरह के किसी अपराध के होने की जानकारी का कोई सबूत नहीं था, बल्कि आरोपी पहले से ही पुलिस से बातचीत कर रहे थे. इससे यह स्पष्ट है कि पुलिस अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए चंद्रशेखर आज़ाद को उनके विरोध करने के संवैधानिक अधिकार से वंचित कर रही है.

कविता ने बताया कि, जयपुर में पुलिस की इस कार्यवाही से बचने के लिए कोई न्यायिक सुरक्षा उपाय नहीं है क्योंकि इसमें जमानत पूरी तरह से पुलिस के ही अधिकार क्षेत्र में है. कार्यकारी मजिस्ट्रेट (जो जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के डिप्टी एसपी हैं) ने आरोपी चंद्रशेखर को अपनी बात कहने और जमानत याचिका दायर करने का मौका दिए बिना ही मनमाने ढंग से न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

कैसे चंद्रशेखर और उनके सहयोगियों को सुनवाई से वंचित कर दिया गया

2 जुलाई की शाम को वकील जयपुर कलेक्ट्रेट में थे जहां दक्षिण जिले के मजिस्ट्रेट बैठते हैं, वकील जमानत के साथ आए थे. तभी अचानक शाम करीब पांच बजे एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (EM) परिसर से निकल गए. जब दो वकील मजिस्ट्रेट के कमरे में गए तो वहां उन्होंने फोन पर क्लर्क की बात सुनी कि मजिस्ट्रेट 15 किमी दूर सांगानेर सदर थाने में गए हैं, जहां सभी 22 आरोपियों को ले जाया गया था.

क्लर्क ने यह भी कहा कि ईएम अपने साथ सील और ऑर्डरशीट भी ले गए हैं और ऑर्डर शीट में केवल वारंट के डिस्प्ले नंबर को जोड़ा जाना था. यह सुनकर वकील और ज्यादा चौंक गए कि 22 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा है.

पुलिस ने बिना किसी सुनवाई के 22 लोगों को मनमाने ढंग से जेल भेजने का फैसला कर लिया था, जो कि सही नहीं था इसलिए दो लोग उनमें से एक बहुत वरिष्ठ थे, जमानतदारों के साथ सांगानेर सदर थाने पहुंचे. उन्होंने आरोप लगाया कि वहां थाने में उनके साथ भी गाली-गलौज की गई, उन्हें थाने में देर तक बैठाए रखा और गिरफ्तारी की धमकी भी दी गई. उन्होंने मजिस्ट्रेट द्वारा पारित न्यायिक हिरासत आदेश के कागजात मांगे, लेकिन उन्हें कुछ नहीं दिया गया.

पीयूसीएल राजस्थान का कहना है कि हम अनियंत्रित और मनमानी राज्य शक्ति के दुरुपयोग से बहुत चिंतित हैं, जो सीआरपीसी की धारा 151 में एन्कोडेड निवारक निरोध की शक्ति का उपयोग करके असहमति व्यक्त करने से पहले ही किसी भी असहमति की आवाज़ को दबाना चाहती है और मजिस्ट्रेट के रूप में पुलिस के पास जमानत पड़ी हुई है.

पीयूसीएल राजस्थान के पदाधिकारी कविता श्रीवास्तव (अध्यक्ष), भंवर मेघवंशी, (उपाध्यक्ष), अनंत भटनागर (महासचिव), विजय लक्ष्मी जोशी और सुमन देवथिया (उपाध्यक्ष पीयूसीएल जयपुर), अखिल चौधरी, (महासचिव जयपुर पीयूसीएल), भंवर लाल कुमावत (संयुक्त सचिव, पीयूसीएल जयपुर) और तारा चंद वर्मा एचआर एडवोकेट ने यह मांग की है कि

• चंद्रशेखर आजाद और उनके 21 साथियों की बिना शर्त रिहाई की जाए.

• सीएचए प्रदर्शनकारियों को अपना विरोध जारी रखने दिया जाए.

• जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की पुलिस से जमानत की मजिस्ट्रियल शक्तियों को हटाकर जयपुर पुलिस कमिश्नरेट एक्ट में संशोधन कर एसडीएम को बहाल किया जाए.

चंद्रशेखर आजाद के साथ गिरफ्तार किए गए 21 लोगों में अनिल डेनवाल जयपुर, अमित कुमार, जितेंद्र हटवाल वाल्मीकि जयपुर, विक्रम, सतपाल चौधरी और कई अन्य शामिल हैं.

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