इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | दिल्ली की एक अदालत ने ‘सुल्ली डील्स’ ऐप बनाने वाले ओंकारेश्वर ठाकुर और ‘बुल्ली बाई’ मामले के आरोपी नीरज बिश्नोई को जमानत दे दी है. इस ऐप के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें ऑनलाइन नीलामी के लिए साझा की गई थी.
इन दोनों आरोपियों पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगा था.
मुख्य महानगर दंडाधिकारी डॉ पंकज शर्मा ने जमानत देने के पीछे के कारणों में आरोपियों के पहली बार अपराध में शामिल होने की बात कही है.
‘बुल्ली बाई’ और ‘सुल्ली डील्स’ ऐप के द्वारा मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने वाले दो मुख्य आरोपी नीरज बिश्नोई और ओंकारेश्वर ठाकुर को मानवीय आधार पर कोर्ट से ज़मानत मिली है.
कोर्ट का कहना है कि, “आरोपियों ने पहली बार कोई अपराध किया है इसलिए लगातार जेल में रहना उनकी समग्र भलाई के लिए हानिकारक होगा.”
अदालत ने उन आरोपियों को ज़मानत दी है, जिन्होंने सुल्ली डील ऐप बनाया था और उन पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगा था.
ज्ञात हो कि ओंकारेश्वर ठाकुर को सह-आरोपी नीरज बिश्नोई के बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.
दिल्ली पुलिस ने बुल्ली बाई ऐप बनाने वाले नीरज बिश्नोई की गिरफ्तारी की पुष्टि इस साल 6 जनवरी को असम से की थी.
इस ऐप पर सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों का गलत इस्तेमाल किया गया और यह 1 जनवरी को सार्वजनिक किया गया था.
सुल्ली डील्स ऐप बनाने के आरोप में ओंकारेश्वर ठाकुर को 9 जनवरी को इंदौर से गिरफ्तार किया गया था. जुलाई 2021 में इसपर कई मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें “डील ऑफ द डे” टेक्स्ट के साथ ऐप पर अपलोड की गईं.
बार & बेंच के अनुसार, कोर्ट ने कहा, “आरोपी पहली बार अपराधी हैं और किसी युवा को इस तरह लंबे समय तक कैद रखना उसके समग्र कल्याण के लिए हानिकारक होगा. मुकदमे को समाप्त होने में काफी समय लगेगा क्योंकि उसे और अधिक हिरासत में रखने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा.”
ठाकुर को सह-आरोपी नीरज बिश्नोई के खुलासे के बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.
अभियोजन पक्ष ने उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच जारी है और मामले में बिचौलियों के जवाब के अलावा फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है. आशंका थी कि वह गवाहों को धमका सकता है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है.
न्यायालय ने 50,000 के मुचलके पर जमानत की अनुमति दी. ठाकुर को आदेश दिया गया था कि वह जांच अधिकारी को अपना फोन नंबर उपलब्ध कराए और सबूतों से छेड़छाड़ न करें.
इसके अलावा, उन्हें गूगल मैप्स पर एक पिन डालने का भी निर्देश दिया गया ताकि पुलिस के पास उसकी लोकेशन उपलब्ध हो सके.