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Saturday, May 18, 2024
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जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पशु वध की धार्मिक प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाने की याचिका खारिज की

इश्फाक़ुल हसन

श्रीनगर | एक ऐतिहासिक फैसले में, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने धार्मिक उद्देश्यों के लिए जानवरों की बलि पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया.

याचिका एक हिंदू ‘पुजारी’ द्वारा दायर की गई थी जिसमें पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 28 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी.

मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति सिंधु शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि निर्दोष जानवरों को मारने की प्रथा को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत पर्याप्त रूप से निपटाया जाता है, और क्या कोई व्यक्तिगत कार्य अपराध होगा, यह सबूत का विषय है.

अदालत ने कहा, “जानवरों को मारने या बलि देने की कौन सी प्रथा कानूनी या अवैध है यह किसी विशेष धर्म की परंपराओं और रीति-रिवाजों और पूजा स्थल पर निर्भर करता है. यह सबूत की बात है जिसकी विवेकाधीन अधिकार क्षेत्र के प्रयोग में सराहना नहीं की जा सकती है.”

धारा 28 में प्रावधान है कि अधिनियम में निहित कुछ भी किसी भी समुदाय के धर्म के लिए आवश्यक तरीके से जानवरों को मारना अपराध नहीं होगा.

याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा था कि, इस्लाम धर्म में किसी भी प्रकार के पशु बलि का प्रावधान नहीं है और यह एक क्रूर सदियों पुरानी प्रथा है जो इस्लामी आस्था के ग्रंथों की गलत व्याख्या से उत्पन्न हुई है.

याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की थी कि न केवल कुर्बानी बल्कि जानवरों के प्रति स्वीकार्य क्रूरता का कोई अन्य रूप एक सभ्य समाज की कल्पना से परे है और यह संवैधानिक रूप से घृणित है और इसे प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है.

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि कठुआ जिले में कई मंदिरों में पशु बलि दी जाती थी.

कोर्ट ने कहा कि, धारा 28 एक प्रावधान है और इसका उद्देश्य धार्मिक उद्देश्यों के लिए जानवरों की बलि को अपराध की श्रेणी से छूट देना है. कोर्ट ने कहा, “यह सांसदों के विवेक के अनुसार एक नीतिगत निर्णय है और न्यायिक समीक्षा से परे है. उक्त प्रावधान किसी भी तरह से संविधान का उल्लंघन नहीं करता है. बल्कि, यह उस उद्देश्य की सहायता में है जिसके लिए उपरोक्त अधिनियम बनाया गया है.”

याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह संबंधित जिला प्रशासन से संपर्क करें जो मामले पर विचार करेगा और यदि कुछ धार्मिक स्थानों में प्रावधानों के अधिनियम का उल्लंघन कर जानवरों की बलि की प्रथा चल रही है तो वह कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करेगा.

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