अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | यूपी में उन्नाव रेप पीड़िता की मदद करने वाले अफसर मलाई काट रहे हैं, वह दण्डित होने के बजाए अच्छे पदों पर बैठे हुए हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यूपी में कानून का राज कायम है। यूपी में उन्नाव रेप पीड़िता के मामले के आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर की मदद करने वाले अफसर व अधिकारी मलाई काट रहे हैं, अच्छे पदों पर बैठे हुए हैं।
रेप पीड़िता के मामले को लेकर उन्नाव जिले की तत्कालीन एस पी और जिलाधिकारी के ऊपर आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को बचाने के आरोप लगे थे। इस मामले की जब सीबीआई ने जांच की, तो सीबीआई को तत्कालीन जिलाधिकारी अदिति सिंह, एसपी नेहा पांडेय के साथ एक अन्य एस पी पुष्पांजलि सिंह की भूमिका इस मामले में सही नहीं लगी। सीबीआई को जांच के दौरान यह पता चला कि रेप पीड़िता की शिकायत के बावजूद उसका मामला दर्ज नहीं किया गया था। जबकि रेप पीड़िता ने डीएम और एस पी से मिलकर शिकायत की थी।
मामले में अधिकारियों द्वारा पीड़िता की शिकायत दर्ज नहीं की गई बल्कि डीएम और दोनों एसपी ने आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बचाने का काम किया। इसी बीच रेप पीड़िता के पिता की भी हत्या कर दी गई। रेप पीड़िता के मामले की जांच के दौरान सीबीआई को यह पता चला कि तत्कालीन डीएम अदिति सिंह, एस.पी नेहा पांडेय और दूसरी एस पी पुष्पांजलि सिंह ने आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। सीबीआई ने जांच में तत्कालीन डीएम और दोनों एसपी को लापरवाही बरतने का दोषी पाया और इनपर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया।
सीबीआई ने योगी आदित्यनाथ की सरकार से इनकी विभागीय जांच की सिफारिश की और इनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कहा। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इनके खिलाफ कार्यवाही करना तो दूर, इनको मलाईदार पदों पर बैठा दिया। योगी आदित्यनाथ ने डीएम अदिति सिंह को हापुड़ का जिलाधिकारी बनाया। इसके बाद बलिया का जिलाधिकारी बनाया और अब मलाईदार कुर्सी अपर आयुक्त वाणिज्य कर बनाकर बैठाया है।
इसी तरह पुष्पांजलि सिंह को पदोन्नति देकर रेलवे का डीआईजी बनाया गया है। दूसरी आईपीएस अफसर नेहा पांडेय को नई दिल्ली में आईबी में नियुक्त किया गया है। इन अफसरों को दंडित करने के लिए सीबीआई ने कहा था, जबकि सीबीआई की सिफारिश को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है और इन दोषी अफसरों को मलाईदार पदों पर बैठाकर उन्हें मलाई खाने का मौका दिया गया है।
योगी आदित्यनाथ हमेशा यह कहते हुए नहीं अघाते हैं कि यूपी में कानून का राज चल रहा है। जबकि योगी आदित्यनाथ के कानून के राज की यह असलियत है। योगी आदित्यनाथ के ऊपर हमेशा से ठाकुरों को संरक्षण देने का आरोप लगाया जाता रहा है। लेकिन इस पर भाजपा की तरफ से कभी कोई खण्डन नहीं किया गया है। पूरी भाजपा योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से ठाकुरों और पिछड़ों में बंट गई है।
योगी सरकार में ठाकुरों को छोड़कर चाहे वह पिछड़े हों, दलित हों, ब्राह्मण हों और मुस्लिम हों, सबका उत्पीड़न हुआ है। योगी आदित्यनाथ ने इन तीनों अफसरों का बचाव ठाकुर जाति के कारण किया है। अब आप इसमें यह सवाल उठा सकते हैं कि नेहा पांडेय ठाकुर नहीं हैं, तो आपकी जानकारी के लिए यह बताते हैं कि नेहा पांडेय के पति भी आईपीएस अफसर हैं और वह ठाकुर हैं।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के ऊपर ठाकुरों को संरक्षण देने का आरोप लगाया जाता रहा है। अभी तक यह बात दबी हुई थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने अभी हाल ही में एक इंटरव्यू देकर ठाकुर जाति में पैदा होना गर्व बताया है और कहा है कि, “ठाकुर जाति में पैदा होना कोई गलत नहीं है। भगवान राम ने भी क्षत्रिय कुल में जन्म लिया था।” योगी आदित्यनाथ जी ठाकुर जाति में जन्म लेना कोई गलत नहीं है। लेकिन योगी आदित्यनाथ जी संवैधानिक पद पर बैठकर जातिवादी राजनीति करना और अन्य जातियों के साथ अन्याय करना किस कानून और संविधान में नहीं लिखा है।
अभी तक तो उनपर केवल आरोप लगाया जाता रहा है, लेकिन अब उनके इंटरव्यू से यह साबित हो गया है कि योगी, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर कानून सम्मत कार्य नहीं बल्कि जातीय लबादा ओढ़कर एक पक्षीय काम करते रहे हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि उन्होंने कुलदीप सेंगर को बचाने का काम किया है।