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Saturday, September 21, 2024
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PMO के ट्विटर हैंडल से विपक्षी दल पर ‘अमर्यादित टिप्पणी’ को लेकर उठ रहे सवाल

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | अगर हम यह कहें कि यूपी में भाजपा की दोबारा सरकार बनवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं, तो यह गलत नहीं होगी। पीएम मोदी इंदिरा गांधी के नक्शेकदम पर चलते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। यही नहीं पीएमओ के ट्विटर हैंडल पर विपक्षी दल के बारे में गलत ट्वीट करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीती 7 दिसंबर को यूपी के गोरखपुर में खाद कारखाने, एम्स गोरखपुर और आईसीएमआर के रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर का लोकापर्ण करते हुए विपक्षी पार्टी सपा पर तगड़ा हमला बोला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सपा की आलोचना करते हुए उसका (विपक्ष) का संबंध आतंकवादियों से होना बताया और सपा से सतर्क रहने की बात की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, “लाल टोपी वाले यूपी के लिए रेड अलर्ट हैं। यह खतरे की घण्टी हैं। इनसे सावधान रहने की ज़रूरत है। लाल टोपी वालों को लाल बत्ती और सत्ता से मतलब रहता है। इनको अगर सत्ता मिली, तो आतंकवादियों पर मेहरबानी दिखाएंगे। उनको जेल से छुड़ाने चले जाएंगे। लाल टोपी वालों को सत्ता चाहिए। इनको सरकार बनानी है और इनको जनता के दुख-दर्द से कोई मतलब नहीं है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विपक्षी पार्टी सपा के बारे में इस प्रकार की बात कहना सरासर गलत है। गलत इसलिए है कि वह गोरखपुर देश के प्रधानमंत्री की हैसियत से आए थे और वह विकास योजनाओं का लोकार्पण कर रहे थे। लोकार्पण कार्यक्रम सरकारी कार्यक्रम था, न कि भारतीय जनता पार्टी का कोई कार्यक्रम था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए राजनीतिक मूल्यों की धज्जियां उड़ा दी। उन्होंने सरकारी कार्यक्रम के मंच से विपक्षी पार्टी सपा को आतंकवदियों का हमदर्द बताया।

सरकारी कार्यक्रम के मंच से विपक्षी पार्टी को आतंकवदियों का समर्थक बताकर उन्होंने अपने पद और अपनी सत्ता का दुरुपयोग किया। इसे कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहिए था कि वह सरकारी कार्यक्रम के मंच से विकास योजनाओं की अच्छाई बताते और लोगों से इसके बारे में आंकलन करने को तथा लाभ-हानि को देखते हुए समर्थन देने की बात करते। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि सत्ता के अहंकार में चूर होकर विपक्षी पार्टी सपा को आतंकवादियों का समर्थक बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी कार्यक्रम को भाजपा का कार्यक्रम समझ लिया और उन्होंने विपक्षी पार्टी सपा के सम्बंध आतंकवादियों से जोड़ने का काम किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी पार्टी सपा को आतंकवादियों का समर्थक बताकर प्रधानमंत्री के पद की गरिमा को तार-तार कर दिया। उन्होंने एक राज्य की सत्ता हासिल करने के लिए राजनीतिक मूल्यों और नैतिकता की धज्जियां उड़ा दी। उन्होंने सपा को आतंकवादियों का समर्थक बताकर उसे देशद्रोही साबित करने का प्रयास किया। उन्होंने ऐसा करके सपा को देशद्रोही और खुद को राष्ट्रभक्त एवं भाजपा को राष्ट्रवादी बताने का काम किया।

प्रधानमंत्री ने ऐसा करके हिंदू वोटरों को लुभाने एवं हिंदू वोटों का धुर्वीकरण करने का दांव चला। यह दांव भाजपा के लिए कितना लाभदायक सिद्ध होगा, यह तो आने वाले वक्त के गर्भ में है। लेकिन सत्ता के लिए विरोधी पार्टी के आतंकवादियों से संबंध होने की बात कहना निम्न स्तर की राजनीति करना है, यह कार्य प्रधानमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाजपा को सत्ता दिलाने के लिए ही सपा को आतंकवादियों की समर्थक बता रहे हैं। भाजपा के अलावा कोई दूसरी पार्टी सत्ता हासिल करने का काम करे, तो वह मोदी की नज़र में आतंकवादियों की समर्थक हो जाती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह नहीं भूलना चाहिए कि देशभक्ति का ठेका उन्होंने ही ले रखा है। देश के किसी नागरिक को राष्ट्रभक्ति साबित करने के लिए नरेंद्र मोदी, भाजपा और आरएसएस के सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं है। देश के प्रत्येक नागरिक की राष्ट्रभक्ति उसके द्वारा देश के लिए किए जाने वाले कार्यों से जाहिर होती है, न कि किसी के द्वारा दिये जाने वाले सर्टिफिकेट से।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता के दुरुपयोग करने के मामले में स्व. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नक्शेकदम पर चल रहे हैं और चलने का काम कर रहे हैं। वे देश में हर राज्य में भाजपा की सरकार बनाने का प्रयास कर रहे हैं। वे राज्यों में भाजपा की सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री के पद की गरिमा गिरा रहे हैं। वे स्व. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नक्शेकदम पर चलते हुए उनको भी पीछे छोंड़ने का काम कर रहे हैं। लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि इंदिरा गांधी ने जब राजनीतिक लाभ लेने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया था ,तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके चुनाव तक को अवैध ठहरा दिया था।

ज्ञात हो कि 1971 में लोकसभा चुनाव और फिर पाकिस्तान से युद्ध में मिली सफलता से इंदिरा गांधी को इतना अधिक अहंकार हो गया था कि वह किसी को कुछ भी नहीं समझती थीं। लेकिन उनके खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने वाले समाजवादी नेता राजनारायण ने उनके चुनाव को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि, उनको चुनाव में हराने के लिए सरकारी मशीनरी और संसाधनों का इस्तेमाल किया गया है। यही नहीं बल्कि वोट खरीदने के लिए पैसे भी बांटे हैं। ऐसे में उनका (इंदिरा गांधी) का चुनाव निरस्त कर दिया जाए।

इस मामले की सुनवाई 15 जुलाई 1971 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुरू हुई। सुनवाई के दौरान ही राजनारायण और इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट चले गए। मार्च 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनका बयान दर्ज कराने के लिए अदालत में हाजिर होने का आदेश जारी कर दिया। इंदिरा गांधी अदालत में हाजिर हुईं। जस्टिस सिन्हा ने 12 जून 1975 को अपना फैसला सुनाया और इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर दिया। जस्टिस सिन्हा ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की मोहलत दी। सुप्रीम कोर्ट के वेकेशन जज जस्टिस वी आर कृष्ण अय्यर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे दे दिया। जस्टिस अय्यर ने 24 जून 1975 के अपने फैसले में इंदिरा गांधी को बतौर प्रधानमंत्री संसद में आने की इजाज़त दे दी, लेकिन बतौर लोकसभा सदस्य वोट करने पर प्रतिबंध लगा दिया।

इस फैसले को इंदिरा गांधी ने अपना अपमान समझा और अगले दिन ही इंदिरा गांधी ने बिना कैबिनेट की औपचारिक बैठक के आपातकाल लगाने की सिफारिश राष्ट्रपति से कर दी। इस पर राष्ट्रपति ने 25 और 26 जून 1975 की मध्य रात्रि में ही हस्ताक्षर कर दिए और इस प्रकार देश में इमरजेंसी लागू हो गई। इमरजेंसी में देश में जो कुछ भी हुआ, उसकी जानकारी सभी को है। लेकिन इमरजेंसी के बाद देश में हुए आम चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद छोंड़ना पड़ा। इस प्रकार सत्ता के दुरुपयोग यानी सत्ता के बेजा इस्तेमाल करने का मामला सबको मालूम है, इसलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता के दुरुपयोग करने से बचने की जरूरत है।

यही नहीं, पीएमओ के ट्विटर हैंडल पर विपक्षी पार्टी सपा के बारे में जिस प्रकार ट्वीट किया गया है, उससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब हुई है। पीएमओ का ट्विटर हैंडल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के राष्ट्राध्यक्षों से जुड़ा हुआ होता है। इसके साथ ही इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तमाम देशों के राजनयिक भी जुड़े हुए होते हैं। ऐसे में पीएमओ के ट्विटर हैंडल पर भारत की एक विपक्षी पार्टी सपा के बारे में यूपी में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए गलत लिखना, चुनावी लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर में भाजपा को फायदा मिल सकता होगा। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इससे भारत की छवि खराब हुई है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देश की नजर में विपक्षी पार्टी को आतंकवादियों का समर्थक बताया जाना राजनीतिक रूप से सरासर गलत है। लेकिन पीएमओ के ट्विटर हैंडल पर इस प्रकार का ट्वीट करना प्रधानमंत्री के पद की गरिमा को गिराया जाना ठीक नहीं है।

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