इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | लेबनान के विभिन्न इलाकों में मंगलवार को पेजर के नाम से जाने जाने वाले वायरलेस संचार उपकरणों में हुए बड़े विस्फोट में एक बच्चे समेत कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई जबकि 2,750 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
लेबनान के बेरूत के उपनगरीय इलाकों समेत देश के कई अन्य हिस्सों में लोगों के हाथ में पकड़े जाने वाले पेजर में कथित तौर पर विस्फोट से अफरातफरी मच गई.
इस पेजर विस्फोट की घटना में लेबनान में ईरान के राजदूत भी घायल हो गए हैं. देश में अचानक लोगों के पेजर में एक के बाद एक हुए विस्फोट से हर कोई सकते में हैं.
न्यूज़ एजेंसी अनादोलू एजेंसी के अनुसार, “स्वास्थ्य मंत्री फिरास अल-अबियाद ने मंगलवार को बताया कि लेबनान के विभिन्न इलाकों में पेजर के नाम से जाने जाने वाले वायरलेस संचार उपकरणों में हुए बड़े विस्फोट में एक बच्चे समेत कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई.”
उन्होंने बेरूत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि शुरुआती आंकड़ों के अनुसार करीब 2,750 अन्य लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें 200 की हालत गंभीर है.
मंत्री ने मंगलवार की सुबह अनादोलु को बताया कि लेबनान में बड़े पैमाने पर हुए विस्फोटों में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.
लेबनानी मीडिया ने सुझाव दिया कि संचार प्रणाली में इज़रायली घुसपैठ के बाद डिवाइस में विस्फोट हुआ.
हिज़्बुल्लाह ने पुष्टि की कि सामूहिक विस्फोट में कम से कम दो सदस्य मारे गए और कई अन्य घायल हो गए हैं.
समूह ने एक बयान में कहा, “मंगलवार, 17 सितंबर, 2024 को लगभग 3:30 बजे (1:30 बजे GMT), हिज़्बुल्लाह इकाइयों और संस्थानों के विभिन्न सदस्यों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कई पेजर डिवाइस में विस्फोट हुआ।”
समूह ने वायरलेस विस्फोटों के लिए पूरी तरह से इज़रायल को ज़िम्मेदार ठहराया और तेल अवीव को “अप्रत्याशित प्रतिशोध” की कसम खाई.
लेबनान में हुए विस्फोटों पर इज़रायल की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है.
मंगलवार की सुबह, इज़रायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के एक करीबी सलाहकार टोपाज़ लुक ने एक्स पर एक पोस्ट में संकेत दिया कि पूरे लेबनान में वायरलेस रेडियो उपकरणों के विस्फोटों के पीछे इज़रायल का हाथ था. बाद में उन्होंने पोस्ट को हटा दिया.
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले उन सभी नागरिकों से आग्रह किया जिनके पास पेजर संचार उपकरण हैं, वे तुरंत उनका हटा दें.
यह सामूहिक विस्फोट गज़ा पट्टी पर इज़रायल के क्रूर हमले की पृष्ठभूमि में हिज़बुल्लाह और इज़रायल के बीच सीमा पार हमलों के बीच हुआ, जिसमें पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद 41,200 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.