इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने सोमवार को एक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आधुनिक शिक्षा चरित्र निर्माण के योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा में नैतिक मूल्यों के विकास सहित व्यक्ति का समग्र विकास भी शामिल होना चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि, “आधुनिक शिक्षा शिक्षा की उपयोगितावादी प्रणाली पर केंद्रित है और यह छात्र के चरित्र का निर्माण करने और छात्रों के नैतिक मूल्य को विकसित करने के लिए उपयुक्त नहीं है.”
उन्होंने कहा कि, “सच्ची शिक्षा से धैर्य, आपसी समझ और आपसी सम्मान का विकास होता है. मानवीय मूल्यों के सच्चे मूल को विकसित करने के लिए शैक्षिक यात्रा को जारी रखें.”
सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि आधुनिक शिक्षा प्रकृति में उपयोगितावादी है और छात्र के चरित्र के निर्माण या नैतिक मूल्यों के पोषण में मदद नहीं कर सकती है.
उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा में नैतिक और नैतिक मूल्यों के विकास सहित व्यक्ति का समग्र विकास शामिल होना चाहिए.
यह बातें मुख्य न्यायाधीश ने श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग के 40वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए साझा की.
मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे COVID-19 महामारी ने गहरी असमानताओं और कमजोरियों को उजागर किया है.