इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | हरियाणा के करनाल में किसानों पर हुई लाठीचार्ज की घटना को लेकर किसान संगठन आज भारी संख्या में करनाल में जमा हुए और सम्बंधित अधिकारी (SDM) पर कार्रवाई की मांग की. हज़ारों की संख्या में जमा हुए किसान कृषि क़ानूनों के विरोध के साथ-साथ लाठीचार्ज के लिए ज़िम्मेदार अधिकारी का भी विरोध कर रहे थे. किसानों ने सरकार व प्रशासन के खिलाफ भी प्रदर्शन किया.
केंद्र सरकार द्वारा लाए गये तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में किसानों द्वारा जगह जगह महापंचायतें की जा रही हैं. पिछले दिनों करनाल में प्रदर्शन के दौरान प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज की गई जिसमें दर्जनों किसान बुरी तरह ज़ख्मी हो गए थे और एक किसान की मौत हो गई थी.
आज हरियाणा के करनाल अनाज मण्डी में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया और लाठीचार्ज में शामिल अधिकारी को निलंबित करने की मांग की गई.
इससे पहले सरकार ने करनाल समेत चारक ज़िलों में धारा 144 लागू करने के साथ साथ इलाक़े में इंटरनेट और एसएमएस सेवाएँ बंद कर दीं.
इससे पहले किसानों ने करनाल में मिनी सचिवालय घेरने का आह्वान किया था. ज़िला प्रशासन ने किसानों से कहा था कि मामले को शांति से सुलझाया जाएगा.
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गुरनाम सिंह चड़ुनी ने कल एक ट्वीट करते हुए प्रशासन से हुई वार्ता को असफ़ल बताया था. उन्होंने कहा कि “आज प्रशासन के साथ जो मीटिंग हुई है वह बेनतीजा निकली है सभी साथी कल सुबह ज्यादा से ज्यादा संख्या में करनाल नई अनाज मंडी में पहुँचें वहाँ से लघु सचिवालय का घेराव किया जाएगा”
योगेंद्र यादव ने कहा है कि प्रशासन के साथ 3 राउंड की बातचीत बेनतीजा रही है. हमने एसडीएम के खिलाफ न्यायोचित कार्रवाई और निलंबन की मांग की है. सरकार उसे मानने के लिए तैयार नहीं है. अब हम महापंचायत में अंतिम निर्णय लेने जा रहे हैं.
योगेन्द्र यादव ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “लगभग 20 हज़ार किसान साथी करनाल में महापंचायत करने के लिए पहुंच गए हैं, किसानो के आने का सिलसिला अभी भी जारी है.
किसान साथियों की यह भीड़ किसानो के मन में सरकार के प्रति नाराज़गी का एक उदाहरण है. आज किसान खट्टर सरकार से अपने ऊपर हुए दमन का ज़वाब मांगने आया है.”
प्रशासन ने अनाज मंडी से मिनी सचिवालय जाने वाले रास्तों में सुरक्षा की पुख़्ता व्यवस्था की है.
दो दिन पहले मुज़फ़्फ़र नगर में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया था जिसमें लाखों किसान शामिल हुए थे. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने दावा किया था कि महापंचायत में देश भर से लगभग 20 लाख किसान शामिल हुए थे.