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Saturday, May 18, 2024
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उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर हाईकोर्ट की रोक, फैसला मानने से इंकार के बाद सरकार का यू टर्न

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

नैनीताल । नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में होने वाली चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने यह फैसला राज्य में बढ़ते हुए कोरोना को देखते हुए दायर की गई एक जनहित याचिका पर दिया है। नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले से उत्तराखंड की भाजपा सरकार को तगड़ा झटका लगा है। उत्तराखंड सरकार ने पहले तो हाई कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार कर दिया था, लेकिन अचानक तीरथ सिंह रावत की राज्य सरकार ने यूटर्न ले लिया है।

उत्तराखंड में अप्रैल माह में आयोजित किए गए कुंभ मेले में साधु- संतों के कोरोना संक्रमित होने और बाद में कुंभ मेले में/अपने स्थान पर जाकर मर जाने से उत्तराखंड सरकार की काफी फजीहत हुई थी। कुंभ मेले के आयोजन पर भी उंगलियां उठी थीं। राज्य सरकार की खूब आलोचना हुई थी। राज्य सरकार से तुरंत कुंभ मेले के समापन के लिए कहा गया था। लेकिन राज्य सरकार ने अपनी जिद के आगे किसी की नहीं सुनी। मजबूर होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साधु संतों से कुंभ मेले को समापन करने की अपील करनी पड़ी थी, तब कहीं जाकर साधु -संतों ने कुंभ मेले का समापन किया था।

हालांकि, कुछ साधु- संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर भी ध्यान नहीं दिया था। केवल साधु संत ही नहीं बल्कि राज्य की तीरथ सिंह सरकार ने भी अंत तक कुंभ मेले को चलाया था। इस कुंभ मेले के चलते बहुत सी जानें गई थीं और बहुत सारे लोग, पुलिस के सिपाही एवं सरकारी कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो गए थे। यह सब संकट राज्य की तीरथ सिंह सरकार की कोरोना से निबटने के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य व्यवस्था न करने के कारण उत्पन्न हुआ था।

तीरथ सिंह बतौर मुख्यमंत्री केवल हवाई दावे कर रहे। कोरोना की त्रासदी से अभी भी उत्तराखंड उबर नहीं सका है कि राज्य की भाजपा सरकार ने चारधाम यात्रा को चालू करने का फैसला कर लिया। उत्तराखंड सरकार की पूर्व समय में कुंभ मेले के आयोजन में हुई नाकामी को देख कर ही राज्य सरकार के खिलाफ यह जनहित याचिका नैनीताल हाईकोर्ट में तब दायर की गई, जब उत्तराखंड सरकार ने 25 जून को राज्य में चारधाम यात्रा शुरू करने का फैसला लिया। इस याचिका को दुष्यंत मैनाली एडवोकेट ने जनहित याचिका के रूप में नैनीताल हाईकोर्ट में दाखिल किया और चारधाम यात्रा को तत्काल रोंकने की अपील की।

नैनीताल हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में दुष्यंत मैनाली ने कहा कि, उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रहे कोरोना मामले को देखते हुए चारधाम यात्रा पर रोंक लगा दी जाए, क्योंकि राज्य सरकार के पास पर्याप्त स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है। हाई कोर्ट में इस मामले की पैरवी करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव ने खुद मोर्चा संभाला, लेकिन वे हाई कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर सके।

याचिकाकर्ता एडवोकेट दुष्यंत मैनाली की ओर से सचिदानंद डबराल एडवोकेट ने कोर्ट में कहा कि, एडिशनल सेक्रेटरी टूरिज्म ने जो हलफनामा कोर्ट में दिया है उसमें बहुत सी कमियां हैं। हलफनामे में उन्होंने यह नहीं बताया है कि लोगों को कुंड में नहाने की परमीशन है या नहीं। कितनी मेडिकल फैसिलिटी उन्होंने प्रोवाइड की है। उन्होंने यह नहीं बताया कि कितनी मेडिकल एम्बुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि केवल 19 एम्बुलेंस हैं। यह भी नहीं बताया गया है कि कितनी एम्बुलेंस में लाईव एडवांस और बेसिक लाईव सुविधाएं हैं। यह भी नहीं बताया गया है कि कितनी लेडीज सिपाही होंगी और कितनी महिला अधिकारी एवं कर्मचारी होंगी चारधाम यात्रा में।

हाई कोर्ट ने सचिदानंद डबराल एडवोकेट की दलीलें सुनने के बाद चारधाम यात्रा पर तुरंत रोंक लगा दी। हाई कोर्ट ने फैसला देते हुए उड़ीसा की जगन्नाथ यात्रा का हवाला दिया। कोर्ट ने उड़ीसा की जगन्नाथ यात्रा का हवाला देते हुए कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जगन्नाथ यात्रा के लिए पूरे उड़ीसा में कर्फ्यू लगाया जाए और जगन्नाथ यात्रा की लाईव टेलीकास्टिंग की जाए। उसी तरह चारधाम यात्रा को लाईव टेलीकास्ट किया जाए। कोर्ट ने जब लाईव टेलीकास्टिंग का आदेश दिया तो चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि, कई पुरोहित इसके लिए मना करेंगे। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि, राज्य सरकार के पास बहुत पावर है, वह आदेश का पालन कराने के लिए उसका प्रयोग करे।

नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा के बारे में फैसला सुनाते हुए कहा कि, लोगों की धार्मिक भावना का ख्याल है, लेकिन लोगों की जान बचाना भी बहुत जरुरी है। लोगों की भावनाओं का ख्याल रखा जाएगा, इसलिए चारधाम यात्रा की पूजा -अर्चना का लाईव प्रसारण किया जायेगा। इसीके साथ नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर 7 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने सचिव पर्यटन और सचिव स्वास्थ्य को इस संबंध में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। चारधाम यात्रा के इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई नैनीताल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की एक पीठ ने की है।

नैनीताल हाईकोर्ट के चारधाम यात्रा के संबंध में दिए गए महत्वपूर्ण फैसले से उत्तराखंड सरकार को तगड़ा झटका लगा है। उत्तराखंड सरकार के कार्यकाल की यह चारधाम यात्रा आखिरी यात्रा है। इसके बाद उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होंगे और अगली बार चारधाम यात्रा नई सरकार के समय में होगी। उत्तराखंड सरकार लोगों की धार्मिक भावनाओं को भुनाने के लिए यह चारधाम यात्रा हर हाल में करवाने के लिए बेचैन है। उत्तराखंड की “चारधाम यात्रा” हिंदुओं की धार्मिक आस्थाओं और भावनाओं से जुड़ी हुई है। इस यात्रा में उत्तराखंड में पड़ने वाले गंगोत्री धाम, यमुनोत्री धाम, बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम की यात्रा होती है।

यह चारधाम हिंदुओं की आस्था से जुड़े हुए हैं। इस यात्रा को करने के लिए देश के कोने कोने से श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंचते हैं। इस यात्रा में साधु- संत श्रद्धालुओं को धार्मिक उपदेश देते हैं और प्रवचन सुनाते हैं। उत्तराखंड सरकार इसीलिए इस यात्रा को करवाने के लिए बेचैन है। इस यात्रा के जरिए उत्तराखंड सरकार हिंदुओं को अपने साथ लाने और साधु -संतों के जरिए हिंदुओं को भाजपा के पक्ष में मोड़ने का प्रयास करना चाहती है।

चारधाम यात्रा पर नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाने के फैसले से राज्य की भाजपा सरकार बैकफुट पर आ गई है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इस फैसले से काफी परेशान हैं। पहले उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार कर दिया था। राज्य सरकार ने इस संबंध में चारधाम यात्रा के लिए नई गाइडलाइन भी जारी कर दी थी। नई गाइडलाइन के मुताबिक 1 जुलाई से पहले चरण की यात्रा आरम्भ होनी थी और दूसरे चरण के लिए 11 जुलाई से यात्रा का कार्यक्रम निर्धारित किया गया था।

राज्य में भाजपा सरकार के इस कदम से हाई कोर्ट और राज्य सरकार के बीच टकराव की संभावना पैदा हो गई थी। राज्य सरकार किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं हो रही थी। लेकिन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को उनके सलाहकारों ने उन्हें यह सलाह दी कि हाई कोर्ट से टकराव ठीक नहीं होगा। इस पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यूटर्न ले लिया और चारधाम यात्रा अगले आदेश तक के लिए स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया।

राज्य सरकार ने बाकायदा इसके लिए चारधाम यात्रा की नई संशोधित एस ओ पी भी जारी कर दी। अब चारधाम यात्रा अगले आदेश तक स्थगित रहेगी। चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भाजपा हाईकमान की तरफ से भी हाई कोर्ट से टकराव न लेने की सलाह दी गई। इसी के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस मामले पर यूटर्न ले लिया और अपने को बचा लिया।

चारधाम यात्रा को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले दुष्यंत मैनाली एडवोकेट कहते हैं कि, “हमने लोगों का जीवन बचाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि मानव जीवन को बचाया जाना बहुत ही जरूरी है। उत्तराखंड सरकार को लोगों के जीवन की कोई चिंता नहीं है। डेल्टा वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है और उत्तराखंड में कोरोना तेजी के साथ बढ़ रहा है, इसलिए चारधाम यात्रा करने के लिए यह समय सही नहीं है।”

उन्होंने कहा कि, “सरकार के पास लोगों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। हरिद्वार में हुए कुंभ मेले में उत्तराखंड सरकार की नाकामी और कोरोना से लोगों की हुई मौतें अभी हमारे सामने हैं, इसलिए चारधाम यात्रा पर रोक लगाया जाना जरूरी है। माननीय नैनीताल हाईकोर्ट ने मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखकर ही यह फैसला सुनाया है और इसका हम सम्मान करते हैं। सभी को चाहिए और खासतौर पर राज्य सरकार को चाहिए कि वह हाई कोर्ट के इस आदेश का पालन करे, जिससे लोगों का जीवन सुरक्षित हो सके।”

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