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Saturday, May 18, 2024
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उत्तर प्रदेश : जनसंख्या नियंत्रण कानून के सहारे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास तो नहीं?

उत्तर प्रदेश में अब विधान सभा चुनाव होने में बहुत ही कम समय बचा है। राज्य सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ हर हाल में उत्तर प्रदेश की सत्ता दोबारा हासिल करना चाहते हैं, इसीलिए उन्होंने उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने का राजनीतिक कार्ड खेल दिया है। योगी आदित्यनाथ जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने का दांव चल कर राज्य में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच ध्रुवीकरण करना चाहते हैं। वे यह मानकर चल रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लागू करके हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच दूरी पैदा होगी और वह हिंदू मतों का ध्रुवीकरण करने में सफल हो जाएंगे।

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लागू करने के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार तेजी के साथ तैयारी कर रही है। जनसंख्या नियंत्रण कानून को जल्द से जल्द लागू करने के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने राज्य विधि आयोग से शीघ्र रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। इस कानून को लागू करने से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों का सामना करने के लिए योगी सरकार साधू-संतों का समर्थन जुटाने में जुट गई है।

उत्तर प्रदेश में अब विधान सभा चुनाव होने में बहुत ही कम समय बचा है। राज्य सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ हर हाल में उत्तर प्रदेश की सत्ता दोबारा हासिल करना चाहते हैं, इसीलिए उन्होंने उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने का राजनीतिक कार्ड खेल दिया है। योगी आदित्यनाथ जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने का दांव चल कर राज्य में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच ध्रुवीकरण करना चाहते हैं। वे यह मानकर चल रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लागू करके हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच दूरी पैदा होगी और वह हिंदू मतों का ध्रुवीकरण करने में सफल हो जाएंगे।

योगी आदित्यनाथ यह मानकर चल रहे हैं कि जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने से मुस्लिम समुदाय इसका विरोध करेगा, जिससे हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच आसानी से दूरी बढ़ेगी। इस दूरी को वे दोनों समुदायों के बीच ध्रुवीकरण के रूप में बदलने में कामयाब हो जाएंगे और फिर इस ध्रुवीकरण को विधान सभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मोड़ने में सफल हो जाएंगे। इससे हिंदू मतों का आसानी से ध्रुवीकरण हो जाएगा और हिंदू वोटरों द्वारा भाजपा के पक्ष में मतदान किया जायेगा। इससे भाजपा को विधानसभा चुनाव में अधिकाधिक सीटें हासिल होंगी और भाजपा दोबारा उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी। इस तरह राज्य में भाजपा पुनः सत्तारूढ़ हो जाएगी। इसी सबको ध्यान में रखकर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार जल्दी से जल्दी जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना चाहती है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार हर हाल में जनसंख्या नियंत्रण कानून को उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव के पहले लागू करना चाहती है। इसके लिए योगी सरकार ने राज्य विधि आयोग को इस संबंध में 2 माह की समय सीमा में तुरंत रिपोर्ट देने के लिए कहा है। राज्य विधि आयोग इस संबंध में मसौदा तैयार करने में जुटा हुआ है। राज्य विधि आयोग जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए जो मसौदा तैयार कर रहा है, उसमें जो बात प्रमुख रूप से शामिल की गई है वह “हम दो, हमारे दो” है। हम दो, हमारे दो फार्मूले को लागू करने का जोर दिया गया है। इसके साथ ही दो बच्चों वाले लोगों को सरकारी सब्सिडी और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।साथ ही दो बच्चों वाले व्यक्ति के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए सरकारी योजना में सुविधा उपलब्ध होगी। दो बच्चों से अधिक वाले लोगों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिलेगा बल्कि उनको मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ तुरंत खत्म कर दिया जायेगा।

इस तरह जनसंख्या नियंत्रण कानून को लागू करके उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार खास तौर पर राज्य में मुसलमानों पर दबाव बनाने का प्रयास कर रही है। योगी आदित्यनाथ की सरकार यह मानती है कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समुदाय के लोगों के दो से अधिक बच्चे हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग भाजपा को वोट नहीं देते हैं, इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोगों को सरकारी योजनाओं से वंचित किया जाए। राज्य सरकार इस प्रकार मुस्लिम समुदाय के ऊपर दबाव बनाने का प्रयास कर रही है।

जबकि भाजपा वास्तविकता से कोसों दूर है। क्योंकि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के 2 से अधिक बच्चे हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि अगर किसी दम्पति के कई लड़कियां पैदा हो जाती हैं, तो वह दम्पति पुत्र की चाहत में बच्चे पैदा करने का प्रयास करते हैं। ऐसी स्थिति में लोगों के कई बच्चे हो जाते हैं। आज भी देश में हर परिवार में पुत्र को प्रमुखता दी जाती है, लड़कियों को बाद में पूछा जाता है। यह प्रथा आज भी कायम है, भारतीय समाज इससे अभी ऊपर नहीं उठा है। पुत्र पैदा करने की चाहत शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र में आज भी प्रत्येक दम्पति की होती है।

राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के भी 2 से अधिक बच्चे हैं, उनको किस कानून के दायरे में लाया जाएगा ? इस सवाल का जवाब क्या योगी आदित्यनाथ की सरकार दे पाएगी, शायद इसका जवाब उनके पास नहीं है। योगी आदित्यनाथ की सरकार अगर जनसंख्या नियंत्रण कानून को लागू करना ही चाहती है तो वह साढ़े चार साल तक क्या कर रही थी। उसने पहले यह कानून क्यों नहीं बनाया। इस कानून से मुस्लिम समुदाय ही नहीं हिंदू समाज भी प्रभावित होगा, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। किंतु योगी आदित्यनाथ की सरकार जिस प्रकार जल्दबाजी में जनसंख्या नियंत्रण कानून को बनाकर लागू करना चाहती है, उससे यह साबित होता है कि योगी सरकार विधान सभा चुनाव को ध्यान में रखकर चुनावी फायदा उठाने के लिए यह सब कर रही है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने राज्य विधि आयोग से जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए 2 माह में मसौदा तैयार कर देने के लिए कहा है। राज्य विधि आयोग इस पर तेजी के साथ काम कर रहा है। राज्य विधि आयोग जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए जो मसौदा तैयार कर रहा है, उसमें नई नीति के मुताबिक दो बच्चों से ज्यादा वाले लोगों की सरकारी योजनाओं में मिलने वाली सुविधाओं में कटौती की योजना बनाई गई है।

विधि आयोग यह प्रयास कर रहा है कि वह 2 माह में योगी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दे। विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्य नाथ मित्तल का कहना है कि, हमारे यहां जनसंख्या बढ़ रही है, इसी वजह से समस्याएं खड़ी हो रही हैं। इसलिए यूपी में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि, बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण ही रोजगार के अवसरों की कमी हो रही है। प्राकृतिक संसाधनों में कमी हो रही है। सरकारी नौकरियों में लोगों को उचित रूप से भागीदारी नहीं मिल पा रही है।

जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने के पीछे राज्य सरकार का तर्क है कि देश में एक राष्ट्रीय जनसंख्या नीति लागू है, इसलिए निश्चित रूप से इसका पालन होना चाहिए। राज्य विधि आयोग ने बढ़ती हुई जनसंख्या पर चिंता व्यक्त की है और कुछ सुझाव भेजे हैं। इसमें किसी की दो राय नहीं होनी चाहिए। इस समय सभी संसाधनों पर बढ़ती हुई जनसंख्या भारी पड़ रही है। लेकिन राज्य सरकार का यह तर्क गले नहीं उतरता है, क्योंकि दो से अधिक बच्चों वाले लोगों की सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ को बंद कर देने से इसका निदान हो जाएगा।

इस कानून के लागू होने से मुस्लिम समुदाय के साथ ही साथ हिंदू समाज के लोगों को भी सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ से वंचित होना पड़ेगा। इससे हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग प्रभावित होंगे। इस कानून को लागू कर मुस्लिम समुदाय के लोगों पर केवल दबाव बनाने का काम योगी आदित्यनाथ की सरकार करने जा रही है। योगी सरकार सिर्फ और सिर्फ विधान सभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस तरह का कार्य करने जा रही है। विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्य नाथ मित्तल का यह कहना कि जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना जरूरी हो गया है, क्योंकि जनसंख्या सब पर भारी पड़ रही है। इसलिए लोगों को पर्याप्त रोजगार नहीं मिल पा रहे हैं। इस कानून के लागू होने से लोगों को सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभों से वंचित होना पड़ेगा, लेकिन लोगों को रोजगार मिलने की गारंटी नहीं मिल जाएगी।

योगी आदित्यनाथ की सरकार की नीयत साफ नहीं है। अगर नीयत साफ होती तो इस कानून के लागू होने के बाद कितने लोगों रोजगार दिया जायेगा और कितने सरकारी पद सृजित किये जायेंगे इसकी भी तैयारी कर घोषणा करनी चाहिए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं होगा, क्योंकि इस कानून के बनाने के पीछे राजनीतिक लाभ लेने का मंसूबा है और कुछ भी नहीं है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार यह मानकर चल रही है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने का विरोध होगा। इस कानून का विरोध मुस्लिम समुदाय की ओर से किया जाएगा। इसीलिए उसने अभी से इस कानून के लिए समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने साधू -संतों का समर्थन हासिल करने के लिए कवायद शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में योगी आदित्यनाथ ने साधू -संतों की बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से संपर्क किया और उसका इस कानून के लिए समर्थन मांगा।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इसके लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार को समर्थन देने के बात भी खुलकर कह दिया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने इस संबंध में कहा है कि, देश में जनसंख्या पर नियंत्रण होना चाहिए।जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। कानून बनाकर जनसंख्या को नियंत्रित करना जरूरी हो गया है।

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