अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | अयोध्या में राम मंदिर बनाने वाले ट्रस्ट श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा ज़मीन खरीदने के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किए जाने का मामला सामने आया है। घोटाले के सामने आने से यूपी की सियासत में तूफान आ गया है। विपक्ष ने घोटाले को लेकर ट्रस्ट, योगी आदित्यनाथ की सरकार और भाजपा पर हमला बोला है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। इस ट्रस्ट द्वारा मंदिर के लिए ज़मीन को भी खरीदने का काम किया जा रहा है। पता चला है कि इस ट्रस्ट ने अयोध्या में जमीन खरीदने के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। इस ट्रस्ट ने अयोध्या में गाटा संख्या 243, 244 और 246 की ज़मीन जिसकी मालियत 5 करोड़ 80 लाख रुपए है, उसे 2 करोड़ रुपए में कुसुम पाठक और हरीश पाठक से सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने खरीदा। इस जमीन के खरीदने में अनिल मिश्र और ऋषिकेश उपाध्याय गवाह बने।
अनिल मिश्र, श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी हैं और ऋषिकेश उपाध्याय अयोध्या के मेयर हैं। इसी ज़मीन को मात्र 5 मिनट के बाद श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ रुपए में खरीद लिया। यही नहीं, ट्रस्ट ने 17 करोड़ रुपए आरटीजीएस करके भुगतान भी कर दिया। अनिल मिश्र और ऋषिकेश उपाध्याय सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी की खरीद में गवाह थे और बाद में यही लोग ट्रस्ट के बैनामे में भी गवाह बन गए। इस प्रकार इन लोगों ने राम मंदिर बनाने के लिए मिले अरबों रुपए के चंदे में से ज़मीन खरीदने के नाम पर करोड़ों रुपए का खुलेआम घोटाला कर दिया। राम मंदिर बनाने के लिए मिले चंदे में घोटाला कर चंदे को लूटने से देश के करोड़ों लोगों की आस्थाओं को चोट पहुंची है।
श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर के बनाने के लिए खरीदी गई जमीन में करोड़ों रुपए का घोटाला तो निश्चित तौर पर किया गया है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि कुसुम पाठक और हरीश पाठक से पहले सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने जमीन खरीदी और इसके ठीक 5 मिनट बाद इसी जमीन को श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने खरीद लिया। जमीन खरीदने के लिए श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की क्या कोई बैठक हुई ? 5 मिनट के अंदर सभी ट्रस्टी क्या बुलाए गए और बैठक हुई ? सभी ट्रस्टियों को 5 मिनट में बुलाया जाना क्या संभव है ? 5 मिनट में ट्रस्ट की बैठक हो गई और जमीन खरीदने का प्रस्ताव पारित हो गया ? यह ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब ट्रस्ट के पास नहीं है और ट्रस्ट न ही इन सवालों का जवाब दे सकता है। यही कारण है कि यह स्पष्ट रूप से सिद्ध होता है कि राम मंदिर बनाने के लिए खरीदी गई जमीन में करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है।
अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर बनाने के लिए खरीदी गई जमीन में करोड़ों रुपए के घोटाले के सामने आने से यूपी की सियासत में तूफान आ गया है। इस घोटाले की गूंज लखनऊ से दिल्ली तक पहुंच गई है।राम मंदिर बनाने के लिए इकट्ठा किए गए चंदे में से जमीन खरीदने के नाम पर किए गए करोड़ों रुपए के घोटाले से राजनीति गर्मा गई है।
घोटाले के सामने आने से हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंची है। इस घोटाले की खबर दिल्ली पहुंचने से आरएसएस, भाजपा और विहिप स्तब्ध रह गए हैं और इनके बड़े नेताओं को अब यह नहीं सूझ रहा है कि वे जनता को इसका क्या जवाब दें। क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए आरएसएस, भाजपा और विहिप ने आन्दोलन चलाया, केस लड़ा है, तब जाकर कहीं मंदिर बनाने का उनका सपना पूरा हुआ है। लेकिन राम मंदिर के चंदे में से जमीन खरीदने के लिए करोड़ों रुपए के घोटाले से आरएसएस, भाजपा और विहिप को तगड़ा झटका लगा है, जिससे उबर पाना इनके लिए कठिन होगा।
इससे देश में केंद्र सरकार और यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार भी सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है और यह अब जनता का सामना कैसे करेंगे और जनता को क्या जवाब देंगे। क्योंकि केंद्र सरकार और यूपी सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। देश की जनता और देश के कई बड़े संस्थानों तथा कई मंदिरों ने राम मंदिर बनाने के लिए खूब चंदा दिया है। अब घोटाले के कारण बड़ी ही खराब स्थिति उत्पन्न हो गई है। केंद्र सरकार और यूपी सरकार को कुछ नहीं सूझ रहा है कि वह इस मामले से कैसे निबटें।
घोटाले को लेकर विपक्ष ने श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, योगी आदित्यनाथ की सरकार, और भाजपा की बोलती बंद कर दी है। राम मंदिर के लिए मिले चंदे में घोटाला किए जाने के मुद्दे पर विपक्ष बहुत ही आक्रामक तेवर अपनाए हुए है। वह घोटाले को जोर शोर से उठा कर मंदिर बनाने वाले ट्रस्ट, योगी आदित्यनाथ की सरकार और भाजपा को कठघरे में खड़ा कर घोटाले के बारे में सवाल उठा रहा है और जवाब मांग रहा है।
ट्रस्ट, योगी आदित्यनाथ की सरकार और भाजपा इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। अभी तक इनकी तरफ से कोई भी बचाव में सामने नहीं आया है। विपक्ष लगातार सवाल पूंछ रहा है। अयोध्या के पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री एवं समाजवादी पार्टी के नेता पवन पांडेय, ट्रस्ट द्वारा करोड़ों रुपए के घोटाले को लेकर ट्रस्ट पर मंदिर बनाने के लिए मिले चंदे की लूटपाट का खुलेआम आरोप लगाते हैं। वे कहते हैं कि, श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने देश के करोड़ों लोगों की आस्थाओं के साथ खिलवाड़ किया है। देश की जनता ने मंदिर बनाने के लिए चंदा दिया था। लेकिन ट्रस्ट ने जनता के साथ धोखा किया है। जनता के साथ छलावा किया गया है, इसका जवाब अब इन्हें ईश्वर ही देगा। मैं केंद्र सरकार से यह मांग करता हूं कि वह इस मामले की सीबीआई जांच करवाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करे।
आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने इस प्रकरण पर अपनी बात रखते हुए कहा है कि, “देश के लोगों ने राम मंदिर के निर्माण के लिए चन्दा दिया है। लेकिन ट्रस्ट के पदाधिकारी भृष्टाचार करके करोड़ों रुपए को लूटने में लगे हैं। यह मनी लांड्रिंग का भी मामला है। आज इस घोटाले का पूरा सच जनता के सामने आ गया है। जनता को यह पता चल गया है कि राम मंदिर के लिए दिए गए चंदे को लूटा जा रहा है।जब यह भगवान के नहीं हो सकते हैं तो यह किसी के नहीं हो सकते हैं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मांग करता हूं कि वह इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी दोनों से ही करवाएं और जो भी दोषी पाया जाए उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाए।
कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य दीपक सिंह ने कहा है कि, “पहले भी विश्व हिंदू परिषद के ऊपर कई सौ करोड़ के घोटाले का आरोप लगा है, जिसका जवाब आज तक नहीं दिया गया है। अब राम मंदिर के लिए मिले चंदे की लूट की गई है। इस प्रकार के कार्य से हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंची है और इन लोगों की जनता को असलियत पता चल गई है। मेरा मानना है कि अगर सरकार में ज़रा सी भी नैतिकता बची हो तो वह इसकी जांच करवा कर कार्यवाही करे।”
अभी तक बसपा ने इस मामले में कुछ नहीं बोला है। बसपा की ओर से चुप्पी साधी गई है जबकि इस मामले को लेकर पूरा विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है और जवाब मांग रहा है। लेकिन ट्रस्ट, योगी आदित्यनाथ सरकार और भाजपा इस मुद्दे पर खामोश है।
हिंदुत्ववादी होने का दावा करने वाली योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भी इस मामले में चुप्पी साध रखी है। राम मंदिर के लिए इकट्ठा हुए चंदे में करोड़ों रुपए के घोटाले की खबर से आरएसएस, मोदी सरकार, और विहिप को सांप सूंघ गया है। इस मामले में सभी ने चुप्पी साध ली है। लेकिन इस मामले के सामने आने से जनता के आगे इनकी खूब किरकिरी हो रही है।