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Wednesday, May 15, 2024
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दिल्ली दंगों का एक साल: मुर्सलीन, जिन्हें ‘जय श्री राम’ नहीं बोलने पर मार दिया गया

नार्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों के एक साल बाद मृतकों के परिवारों का इन्टरव्यू सिरीज़, देखिए इंडिया टुमारो पर. इस कड़ी में तीसरा इंटरव्यू है मृतक मुर्सलीन के परिवार का.

मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो       

नई दिल्ली | एक वर्ष पूर्व नार्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों में मुस्तफाबाद के मुर्सलीन को जय श्रीराम नहीं कहने पर दंगाइयों द्वारा मार दिया गया था. मुर्सलीन को दंगाइयों द्वारा मार कर नाले में फेंक दिया गया था, जिनकी लाश 19 दिन बाद बरामद हुई थी.   

मृतक मुर्सलीन के परिवार ने इंडिया टुमारो को बताया कि उनकी लाश को पहचानना मुश्किल था. उनकी शिनाख्त उनके कपड़ों और जेब में मिली एक पर्ची से की गई.  

मुर्सलीन (35) कबाड़े की फेरी का काम करते थे. वह मुस्तफाबाद के रहने वाले थे और 25 फ़रवरी 2020 को फेरी के लिए निकले थे मगर फिर घर नहीं लौटे.

मुर्सलीन भी उन नौ मृतकों में शामिल हैं जिनके बारे में दिल्ली पुलिस ने अदालत में दाखिल अपने आरोप पत्र में कहा था कि नौ मुसलमानों को ‘जय श्री राम’ नहीं कहने पर दंगाइयों ने उन्हें मार डाला था.

मुर्सलीन और अन्य को मारने की साज़िश दंगाइयों द्वारा बनाए गए एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘कट्टर हिन्दू एकता’ में रची गई थी.

मुर्सलीन के चार बच्चे हैं जिनमें तीन बेटी और एक बेटा है. सबसे बड़ा बेटा है जो 7 साल का है और सबसे छोटी बेटी 6 महीने की है.

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के रहने वाले मुर्सलीन, दिल्ली में मुस्तफाबाद में अपने परिवार के साथ रहते थे.

मृतक मुर्सलीन की विधवा नर्गिस ने इंडिया टुमारो को बताया, “जब तीन दिन तक उनका कुछ पता नहीं लगा तो गोकुलपुरी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. उसके बाद सभी हॉस्पिटल और मुर्दाघर में भी उनको तलाश किया मगर कुछ पता नहीं लगा.”

नर्गिस ने बताया, “हमें 19 दिन बाद गोकुलपुरी थाने से कॉल आई और लाश से मिली पर्ची और आधार कार्ड के आधार पर मुर्सलीन की पहचान करने को कहा गया. हम पुलिस के साथ जीटीबी गए और कपड़ों और पर्ची से मुर्सलीन की पहचान किए. 19 दिन बाद मिले शव की पहचान करना मुश्किल था.”

नर्गिस का ये बताते हुए गला रुंध गया कि, “मुर्सलीन को बुरी तरह मारा गया. उनके कमर में और पैर में गोली मारी गई थी और फिर तलवार से चेहरे पर वार किया गया था.”

उन्होंने बताया कि, “जब वो अपने कबाड़े के काम के लिए 25 फ़रवरी को बाहर निकले थे तभी दंगाइयों ने उन्हें मारकर नाले में फेंक दिया था. ”

इंडिया टुमारो से बात करते हुए मृतक मुर्सलीन की विधवा नर्गिस कहती हैं कि, “गोकुलपुरी थाने में मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में एफआईआर तो हुई है लेकिन अभी तक इसमें क्या प्रगति हुई है इसकी हमें कोई सूचना नहीं है.”  

नर्गिस अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता ज़ाहिर करते हुए भावुक हो जाती हैं. उनके सामने चार बच्चों को पालना, उनकी देखभाल और शिक्षा आदि एक बड़ी चुनौती है.

दिल्ली पुलिस द्वारा दाख़िल चार्जशीट के अनुसार मुर्सलीन उन नौ मृतकों में शामिल है जिन्हें मारने की साज़िश एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘कट्टर हिन्दू एकता’ में रची गई थी जिसकी तस्दीक ग्रुप में हुई बातचीत से होती है.

ग्रुप के अनुसार मुर्सलीन को 25 फरवरी 2020 की शाम 4:00 से 4:30 के बीच हत्या कर दंगाइयों ने लाश को जौहरीपुर पुलिया के पास भागीरथी विहार नाले में फेंक दिया.

इस ग्रुप में मुसलमानों के खिलाफ लगातार ज़हर उगला गया बल्कि उनकी हत्या करने की प्लानिंग और बाद में इसकी सूचना भी ग्रुप में साझा की गई.

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने एक अदालत में दाखिल अपने आरोप पत्र में कहा है कि, “फरवरी में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों के दौरान कुछ दंगाई व्हाट्सएप ग्रुप के द्वारा एक-दुसरे से संपर्क में थे और ‘जय श्री राम’ नहीं कहने पर उन्होंने नौ मुसलमानों को मार डाला.”

नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के विरोध में दिल्ली और देशभर में धरना चल रहा था. सरकार पर देश भर में हो रहे धरने के कारण भारी दबाव था. अचानक कुछ भाजपा समर्थित नेता प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए उग्र बयान देने लगे. धीरे-धीरे बयान व्यवहार में बदलता गया और नार्थ ईस्ट दिल्ली में हिंसा शुरू हो गई जिसमें दोनों पक्षों के 54 लोगों की जानें गईं. 

ज्ञात हो कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) ने फरवरी 2020 में हुए दंगों को लेकर एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की थी जिसमें भाजपा नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनके भाषण के जरिए कथित तौर पर लोगों को ‘उकसाने’ का आरोप भी लगाया गया था.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, “कुछ जगहों पर पुलिस बिल्कुल मूकदर्शक बनी रही, जबकि भीड़ लूटपाट, घर जलाना और हिंसा का कार्य कर रही थी.”

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार मुसलमानों की दुकानों को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दंगे अपने पूरी तरह सुनियोजित और संगठित थे और लोगों को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार 11 मस्जिद, पाँच मदरसे, एक दरगाह और एक क़ब्रिस्तान को नुक़सान पहुँचाया गया. हालांकि, मुस्लिम बहुल इलाक़ों में किसी भी ग़ैर-मुस्लिम धर्म-स्थल को नुक़सान नहीं पहुँचाया गया था.

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