मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर पंजाब व देश के अन्य राज्यों से आए किसान संगठनों का प्रदर्शन सातवें दिन भी जारी रहा. इस बीच किसान नेताओं ने सरकार की मंशा पर संदेह व्यक किया और प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी की.
मंगलवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच लगभग तीन घंटे की बातचीत बेनतीजा रही. सरकार से बातचीत के बाद किसान संगठनों ने आंदोलन जारी रखने की बात कही थी. हालांकि गुरुवार को किसान नेताओं और संगठनों की सरकार से दोबारा वार्ता प्रस्तावित है.
किसान बुधवार को सातवें दिन भी सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
32 से अधिक कृषि यूनियनों से जुड़े हजारों किसान पिछले सात दिनों से सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं. सिंघु बॉर्डर हरियाणा के सोनीपत जिले से दिल्ली को जोड़ता है, जबकि टिकरी बॉर्डर हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ को दिल्ली से जोड़ता है. इसके अलावा सैकड़ों किसानों ने दिल्ली-गाजियाबाद पर गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली-नोएडा पर चीला सीमा बिंदुओं को अवरुद्ध कर दिया है.
इस बीच बुधवार को सरदार जोगिंदर सिंह उग्रहा, प्रदेश अध्यक्ष- भारतीय किसान यूनियन (एकता) उग्रहा ने मीडिया से बात करते हुए सरकार की मंशा पर संदेह जताया है.
जोगिंदर सिंह उग्रहा ने कहा, “कल जो मीटिंग हुयी उसमें केंद्र सरकार की तरफ से कृषि मंत्री, रेलवे मंत्री और एक राज्य मंत्री थे. इन तीनों के साथ सभी किसान संगठनों की मीटिंग हुई. बातचीत तकरीबन 2.5 घण्टे चली. मगर कोई नतीजा नहीं निकला.”
उन्होंने कहा, “कानून वापस क्यूँ नहीं हो रहे हैं या आंशिक तौर पर वापसी हो रही है. कानून में क्या गड़बड़ है, यह सब सरकार बताने को ज़रा भी तैयार नहीं है.”
सरकार की मंशा पर संदेह जताते हुए उन्होंने कहा, “हम समझते हैं कि यह सरकार की बद नियती है. वह टालमटोल करना चाहती है. सरकार चाहती है कि एक कमेटी दोनों तरफ से बन जाए. वह कमेटी इन कानूनों पर चर्चा करने के बाद फैसला कर ले. केंद्र सरकार बातचीत कर के किसानों को वापस भेजने का तरीका ढूंढ रही है जो बहुत ही निंदनीय है.”
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा, “हमारा अनुमान है कि जो मीटिंग 3 दिसंबर को प्रस्तावित है वह भी ऐसे ही बेनतीजा होगी. सिर्फ चर्चा से कोई भी नतीजा नहीं निकलने वाला है. लम्बा समय चर्चा में ही निकल जायेगा और कोई हल नहीं निकलेगा.”
किसान नेता ने वार्ता के बाद कहा कि कृषि मंत्री मीटिंग में हमारी बातों से कन्वेन्स होकर गए हैं. उनकी तरफ से मीटिंग में आखिर तक बस एक ही रट लगायी गई कि एक कमेटी बना लीजिए.
किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्रहा ने कहा, “हमें लगता है की यह सरकार केवल हमें अधर में लटकाना चाहती है. सरकार किसानों को बहला फुसला के वापस भेजना चाहती है मगर यह मुमकिन नहीं है. सभी किसान संगठन एकजुट हैं और इन कानूनों को रद्द करने तक वापस न जाने के अपने फैसले पर अडिग हैं.”