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Monday, May 20, 2024
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कुछ राज्यों में मदरसों का सर्वेक्षण, मदरसों को बदनाम करने की साज़िश: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कहा है कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा मदरसों का सर्वेक्षण कराने की बात कह कर मदरसों को बदनाम किया जा रहा और हमवतनी भाईयों में इसे लेकर सन्देह पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है जो एक नापाक और घृणित साज़िश प्रतीत होती है.

जारी बयान में उन्होने कहा कि, मदरसों के छात्रों ने और वहां से पढ़ कर निकले विद्वानों ने स्वतंत्रता संग्राम में असाधारण बलिदान दिया है, और स्वतंत्रता के बाद भी ये संस्थान देश के सबसे गरीब वर्गों को शिक्षा प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं, ऐसे में सरकार द्वारा मदरसों को निशाना बनाना निंदनीय है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने मीडिया को जारी एक बयान में कहा है कि, “कुछ राज्य सरकारों द्वारा धार्मिक मदरसों का सर्वेक्षण वास्तव में मदरसों और हमवतनी भाईयों के बीच इन्हें सन्देहास्पद बनाने की एक घिनावनी और नापाक साज़िश है.”

उन्होंने आगे कहा कि, “मदरसों का एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है, इन मदरसों में पढ़ने और पढ़ाने वालों के लिए चरित्र में बेहतर और नैतिक रूप से प्रशिक्षित होते हैं, इन मदरसों में पढ़ने और पढ़ाने वालों ने कभी आतंकवाद और साम्प्रदायिक घृणा पर आधारित कोई कार्य नहीं किया.”

अपने बयान में उन्होने कहा, “हालांकि कई बार सरकार ने मदरसों पर इस प्रकार के आरोप लगाए हैं. मगर चूंकि ये झूठे आरोप थे इसलिए इसका कोई सुबूत नहीं मिला. सत्ताधारी दल के पुराने और प्रभावशाली नेता लालकृष्ण आडवाणी जब देश के गृहमंत्री थे तो उन्होंने भी यह स्वीकार किया था.”

मदरसों को निशाना बनाए जाने को लेकर उन्होने कहा कि, “डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, एपीजे अब्दुल कलाम और मौलाना आज़ाद जैसे देश के कद्दावर नेतृत्व ने मदरसों की सेवाओं को स्वीकार किया है.”

उन्होने कहा कि, “स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मदरसों से निकले विद्वानों ने असाधारण बलिदान दिया है और स्वतंत्रता के बाद भी ये संस्थान देश के सबसे गरीब वर्गों को शिक्षा प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे है.”

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने कहा कि, “बोर्ड, सरकार से अपने इस इरादे से दूर रहने का अनुरोध करता है और यदि किसी भी वैध आवश्यकता के तहत सर्वेक्षण किया जाता है तो इसे केवल मदरसों या मुस्लिम संस्थानों तक सीमित न रखा जाए.”

उन्होने कहा कि इस प्रकार के सर्वे को केवल मदरसों तक सीमित न रखकर देश के सभी धार्मिक और गैर-धार्मिक संस्थानों का एक निश्चित सिद्धांत के तहत सर्वेक्षण किया जाए; बल्कि इसमें सरकारी संस्थानों को भी शामिल किया जाए.

उन्होने सवाल उठाते हुए कहा कि, “सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों के बुनियादी ढांचे के संबंध में जो नियम निर्धारित किए हैं, सरकारी संस्थान स्वयं इसे किस हद तक पूरा कर रहे हैं?”

मौलाना रहमानी ने कहा कि, “केवल धार्मिक मदरसों का सर्वेक्षण मुसलमानों को रुस्वा करने का कुप्रयास है जो बिल्कुल अस्वीकार्य है और मिल्लत-ए-इस्लामिया इसे ख़ारिज करती है.”

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने देश में मुस्लिम और मदर्सों को लगातार निशाना बनाए जाने को लेकर चिंता जताते हुए कहा था कि मुसलमानों के दमन और उन्हें आतंकित करने का खेल दुखद और निंदनीय है.

उन्होंने ट्विट कर कहा था, “मुस्लिम समाज के शोषित, उपेक्षित व दंगा-पीड़ित होने आदि की शिकायत कांग्रेस के ज़माने में आम रही है, फिर भी बीजेपी द्वारा ’तुष्टीकरण’ के नाम पर संकीर्ण राजनीति करके सत्ता में आ जाने के बाद अब इनके दमन व अतंकित करने (Muslim teasing) का खेल अनवरत जारी है, जो अति-दुःखद व निन्दनीय।”

ज्ञात हो कि असम में पिछले एक माह में 4 मदर्सों को ध्वस्त किया गया है जिसमें 3 मदर्सों को सरकार ने गिराया है और एक मदर्से को प्रशासन समर्थित स्थानीय निवासियों ने गिरा दिया. उत्तर प्रदेश में भी योगी सरकार द्वारा कई मदर्सों को ध्वस्त किया गया है और अब सर्वे के नाम पर मदरसा संचालकों को परेशान किया जा रहा.

मायावती ने कहा है कि यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नज़र है और मदरसा सर्वे के नाम पर कौम के चन्दे पर चलने वाले निजी मदरसों में भी हस्तक्षेप का प्रयास अनुचित है.

उन्होंने सरकारी स्कूलों की बदतर हालत इस बात पर चिंता जताते हुए कहा है कि सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों की हालत को सुधारने पर सरकार को ध्यान केन्द्रित करना चाहिए.

मायावती ने अपने ट्विट में आगे कहा कि, “इसी क्रम में अब यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नजर है। मदरसा सर्वे के नाम पर कौम के चन्दे पर चलने वाले निजी मदरसों में भी हस्तक्षेप का प्रयास अनुचित जबकि सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों की बदतर हालत को सुधारने पर सरकार को ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।”

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हाल ही में मदर्सों को निशाना बनाए जाने को लेकर दिल्ली में एक कार्यक्रम किया था. जमीयत के मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि, “आपने देखा कि असम में क्या हुआ. यह तरीका अपनाया जा रहा है जो कि अवैध है. राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने के यूपी सरकार के फैसले पर हम संबंधित अधिकारियों को एक आवेदन भेजकर उनसे मिलने के लिए समय मांगेंगे.”

उन्होंने कहा, “कोई भी काम गलत तरीके से नहीं करना चाहिए, भले ही वह अच्छा काम ही क्यों न हो. हर जगह कुछ सुधार करने के लिए हमेशा जगह होती है. लेकिन जिस तरह से मदरसों को चित्रित किया जा रहा है वह गलत है.”

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