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Monday, October 28, 2024
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‘बुलडोज़र राज’ लोकतांत्रिक संस्थाओं की विफलता का गवाह है: वजाहत हबीबुल्लाह, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त

–मसीहुज़्ज़मा अंसारी

नई दिल्ली | भारत के पहले मुख्य सूचना आयुक्त और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह ने पिछले सप्ताह दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में ‘बुलडोज़र अन्याय’ पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला.

वजाहत हबीबुल्लाह ने कार्यक्रम में अपनी बात साझा करते हुए कहा कि यह बुलडोज़र राज जो चल रहा है, इसमें प्रशासन के कई अंग फेल हो रहे हैं, बल्कि सभी अंग फेल हो रहे हैं क्योंकि अगर जुर्म हुआ है तब भी बुलडोज़र से सज़ा दिए जाने की कोई कानूनी हैसियत है ही नहीं है.

उन्होंने कहा, “इस रिपोर्ट में तो स्पष्ट किया गया है कि यह सब मुसलमानो से बदला लेने के लिए किया जा रहा है. इसीलिए यह सारी एक्टिविटी गैर कानूनी है. यह एक ऐसा आपराधिक एक्शन है जिसे सरकार, मीडिया और ज्यूडिशरी द्वारा साथ मिल कर हमारे ऊपर लागू किया जा रहा है.”

अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा, “सरकार में मेरा आखिरी पद आरटीआई का नहीं था बल्कि अल्पसंख्यक आयोग का था. अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष रहते हुए मैंने बहुत सारी चीज़ें देखी. अभी नोटिस में आ रही घटनाएं काफी समय से हो रही हैं.”

देश में बढ़ते साम्प्रदायिक माहौल पर उन्होंने कहा, “धार्मिक आधार पर नफरत, साम्प्रदायिक दंगे यह सब काफी समय से चल रहे हैं. लेकिन पहले वर्तमान जैसा माहौल नहीं था. जब ऐसी चीज़े पहले होती थीं तो सरकार या प्रशासन यह समझाने की कोशिश करता था कि हम सब एक हैं और हमें ऐसा नहीं करना चाहिए, यह सिर्फ भाई भाई का झगड़ा है.”

उन्होंने कहा, हालंकि सरकार और प्रशासन से गलतियां उस वक्त भी होती थीं. लेकिन अब बहुत फर्क आ चुका है. बहुत बड़ा फर्क जिसकी मुझे अत्याधिक चिंता है.

प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने अन्य कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अपनी बातें रखीं. उन्होंने कहा, “अब भारतीय लोगों को यह समझाने की कोशिश की जा रही है कि भारत के कुछ लोग तो वाकई भारतीय हैं, लेकिन बीस फीसदी लोग भारतवासी हैं ही नहीं. यही सोच स्थापित करने के लिए यह सारी कार्यवाहियां की जा रही हैं.”

रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि क्यों बुलडोज़र को सिर्फ मुसलमानो के खिलाफ ही इस्तेमाल किया जा रहा है. इस रिपोर्ट में लिखा हुआ है कि दूसरे मामलों में भी उसी तरह के जुर्म हुए हैं, लेकिन वहां बुलडोज़र का प्रयोग नहीं हुआ.”

उन्होंने कहा, “मेरे ख्याल में बुलडोज़र चलवाने की शुरूआत सबसे पहले यूपी में योगी जी ने की. जब सीएए के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहे थे तब योगी जी ने प्रदर्शन में भाग लेने वाले लोग के घरों को बुलडोज़ करना शुरु कर दिया इससे पूरे देश में एक तरीका, एक रास्ता शुरु हो गया और उसका टारगेट सिर्फ मुसलमान है.”

‘बुलडोज़र न्याय’ पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, “एक खाई पैदा करने की कोशिश की जा रही है. यह बात सभी नौजवानों, बुद्धिजीवी और शिक्षित लोगों को समझने की कोशिश करनी चाहिए.”

उन्होंने कहा, आजकल दो शब्दावली इस्तेमाल की जा रही है, नेशनलिज्म और पैट्रियोटिज्म. राष्ट्रवाद और देशभक्ति. नेशनलिज्म को मैं कहूंगा देश की पूजा और पैट्रियोटिज्म देश से प्यार. इन दोनों को आधार बनाकर हिटलर ने अपना राज स्थापित किया था. और अभी भाषा जी ने भी बताया कि भारत में भी फासीवादी राज्य बनाने की कोशिश की जा रही है.

साम्प्रदायिक राजनीति को इसका ज़िम्मेदार बताते हुए उन्होंने कहा, “वर्तमान में यह सब खेल केवल वोट हासिल करने के लिए खेला जा रहा है. एक पार्टी द्वारा कहा जा रहा है कि हम मुसलमानो को दबा रहे हैं जो कि एंटी नेशनल हैं इसलिए अगर आप देशभक्त या नेशनलिस्ट हैं तो हमें वोट दीजिए.”

“देश में यह स्थापित किया जा रहा है कि देखिए यह जो एंटी नेशनल या देश विरोधी मुसलमान हैं बुलडोज़र से इनके घर गिराए जा रहे हैं. ताली बजाओ जश्न सेलिब्रेट करो.”

पूर्व सूचना आयुक्त ने कहा, “सरकार और आरएसएस की तरफ से बार-बार यह कहा जा रहा है चाणक्य कि अर्थशास्त्र हमारा संविधान है. चाणक्य कहते हैं कि अगर एक बहुत शक्तिशाली विरोधी को हराना है तो सबसे आसान तरीका यह है कि जनता को आपस में लड़ा दीजिए. और भारत में सरकार यह काम खुद कर रही है.”

उन्होंने कहा, “अंग्रेज़ों ने भी यह काम किया और देश का बंटवारा भी उन्होंने कर दिया लेकिन आज सरकार खुद हमारे साथ यह खेल, खेल रही है और कुछ लोग सरकार के इस काम की प्रशंसा कर खुद को देशभक्त समझ रहे हैं.”

इस बात पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा, “आप देशभक्त केवल तभी होंगे जब आप यह कोशिश करें कि देश का अंग-अंग एक होकर खड़ा हो.”

वजाहत हबीबुल्लाह ने कहा, “हम (मुसलमान) में और आपमें (बहुसंख्यक हिंदू) फर्क क्या है. कपड़े, भाषा और बातचीत करने का तरीका सब कुछ एक जैसा ही है. कोई फर्क नहीं है, हां लेकिन में मुसलमान हूं और आप हिंदू लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है, क्या हम आपसे कहते हैं कि हमारे साथ मस्जिद नमाज़ पढ़ने चलो? हम अपना काम करते हैं आप अपना.”

उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “मैं लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन का निदेशक रह चुका हूं. सन 2000 से 2003 तक जितने भी अफसर वहां से निकले हैं वो सभी मेरे बच्चे जैसे हैं, मैने तो उन सबको कहा भी है और वो सब भी मुझे पिता की तरह सम्मान देते हैं. अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि कौन हिंदू है कौन सिख है और कौन मुस्लिम है, सब मेरे बच्चे हैं और में उनका पिता. भारत वर्ष भी ऐसा ही है.”

“बुलडोज़र अन्याय” पर जारी रिपोर्ट पर उन्होंने कहा, “मैं आपको बधाई देता हूं कि आपने ऐसी रिपोर्ट जारी की और हर घर में इस रिपोर्ट को पहुंचाए जाने की ज़रूरत है ताकि लोग साज़िश को समझ सकें कि किस तरह से भारतवासियों में से कुछ लोगों को विक्टिमाइज़ किया जा रहा है ताकि एक पार्टी विषेश शक्तिशाली बन जाए.”

देश में बढ़ती साम्प्रदायिक राजनीति पर दुःख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “क्या किसी पार्टी का राज देश की एकजुटता से अधिक महत्व्पूर्ण है? ऐसी सोच रखने वालों को मैं एंटी नेशनल कहूंगा.”

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