इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | भारत में नए आपराधिक क़ानून एक जुलाई 2024 से लागू हो गए हैं. अंग्रेजों के समय से चले आरहे भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम अब समाप्त हो गए हैं. अब इनकी जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले ली है. हालांकि इन क़ानूनों को लेकर काफी विरोध भी देखने को मिल रहा है.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस पर प्रतिक्रिया दी है और संसद में अपनी बात साझा करने के दौरान कहा है कि नए आपराधिक क़ानून देश में पुलिस राज्य की नींव रखेंगे इसलिए इनकी समीक्षा होनी चाहिए.
ज्ञात हो कि इन क़ानूनों से जुड़े विधेयक को बीते साल संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से पास करवाया गया था. इस कानून के लागू होने के बाद से कई धाराएं और सजा के प्रावधान आदि में बदलाव आया है. हालांकि, नए आपराधिक क़ानूनों को लेकर कई राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया कि एक जुलाई से लागू तीन नए अपराध कानून देश में पुलिस राज लाएंगे और इन पर संसद में और संयुक्त संसदीय समिति में फिर से विचार होना चाहिए.
तिवारी ने कहा कि एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता समेत तीन नए अपराध कानून लागू हो गए हैं. उन्होंने कहा, “फौजदारी के क़ानून की इस प्रक्रिया से देश में पुलिस राज आ जाएगा.”
मनीष तिवारी ने कहा, “क़ानून की दो समांतर प्रक्रियाएं बना दी गई हैं. 30 जून से पहले दर्ज मामलों में पुराने कानूनों के तहत फैसला होगा. एक जुलाई से दर्ज मामलों में नए क़ानून के तहत फैसला होगा. भारत की न्यायपालिका में 3.4 करोड़ मामले लंबित हैं और अधिकतर आपराधिक मामले हैं. नयी प्रक्रिया से न्यायपालिका में संशय की स्थिति पैदा होने वाली है.”
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 सोमवार से पूरे देश में प्रभावी हो गए.
कांग्रेस नेता तिवारी ने कहा कि, “ये तीनों क़ानून उस समय पारित किए गए जब संसद के दोनों सदनों से 146 सदस्यों को निलंबित किया गया था.”
उन्होंने कहा, “ये क़ानून इस सदन की, राज्यसभा की सामूहिक सहमति को प्रदर्शित नहीं करते और इनमें कई खामियां हैं. इन तीनों क़ानूनों की फिर से समीक्षा हो, इन्हें संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाए और फिर सदन में लाया जाए.”
उन्होंने दावा किया कि नए कानूनों के माध्यम से नागरिक स्वतंत्रता पर हमला होगा, हथकड़ियां वापस आ जाएंगी और पिछले दरवाजे से राजद्रोह कानून को वापस लाया गया है.
कांग्रेस सांसद ने कहा कि, किसी भी सरकार का मूल्यांकन राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, संस्थाओं की स्वायत्तता, अंतरराष्ट्रीय रिश्ते और सांप्रदायिक सौहार्द के पांच बिंदुओं पर होता है और दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि पांचों बिंदुओं पर भाजपा नीत राजग सरकार विफल रही है.
उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय पर कहा कि उम्मीद है कि सरकार इस चर्चा के जवाब में बताएगी कि “भारत की कितनी ज़मीन चीन के कब्ज़े में है और उसे कब खाली कराया जाएगा.”
तिवारी ने देश में बेरोज़गारी के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि 2014 में सरकार में आने से पहले भाजपा ने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था तो सरकार बताए कि पिछले 10 साल में कौन सी 20 करोड़ नौकरियां दी गईं.
बंगाल की सीएम ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने नए आपराधिक कानून के लागू होने से पूर्व ही केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसे रोकने की मांग की थी. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं.
विपक्षी दलों का कहना है कि इस क़ानून को बिना किसी व्यापक चर्चा के लागू किया गया है. विपक्ष ने मांग की है कि संसद नए आपराधिक क़ानूनों की फिर से जांच करे, उनका दावा है कि ये देश को पुलिस राज्य में बदलने की नींव रखते हैं.
–हुमा मसीह के इनपुट के साथ