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Saturday, May 18, 2024
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“अबकी बार, 400 पार” का नारा क्या बीजेपी द्वारा भारत का संविधान बदलने का छिपा एजेंडा है?

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | देश का संविधान बदलने का छिपा एजेंडा उजागर होने पर भाजपा बौखलाई हुई है और अब लोगों का ध्यान भटकाने का काम कर रही है। इसके लिए भाजपा अब हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए जुट गई है और अनाप शनाप बातें कह रही है.

भाजपा और उसके नेता कभी देश के मुसलमानों को घुसपैठिया कह रहे हैं तो कभी कांग्रेस पर पिछड़ों का आरक्षण मुसलमानों को देने का आरोप लगा कर जनता को भ्रमित कर रही है।

भाजपा ने इस बार लोकसभा चुनाव में नारा दिया है कि “अबकी बार, 400 पार”। इस नारे के पीछे उसका एक छिपा हुआ एजेंडा देश का संविधान बदलना है। इसका ज़िक्र भाजपा के कई नेता सर्वजनिक सभाओं में कर चुके हैं.

भाजपा यह मानकर चल रही है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में उसको 400 से अधिक लोकसभा सीटें मिलेंगी, जिससे उसको संविधान बदलने में कोई दिक्क़त नहीं होगी और वह आसानी से अपने मनमाफिक संविधान बदलने में सफल हो जाएगी।

देश का संविधान बदलने का भाजपा का छिपा हुआ एजेंडा बहुत पहले से था। लेकिन यूपी के फ़ैजाबाद के भाजपा के लोकसभा सदस्य लल्लू सिंह के एक वीडियो के सामने आने से, जिसमें वह कह रहे हैं कि इस बार 272 सीटों से काम नहीं चलेगा भाजपा को 400 पार सीटें चाहिए, तभी संविधान में संशोधन होगा, ने स्पष्ट कर दिया है।

उनकी यह बात सामने आने से इस बात की पुष्टि हो गई है कि भाजपा संविधान बदलने के लिए तैयारी कर रही है, इसके लिए उसे 400 से अधिक सीटें चाहिए। इसीलिए वह “अबकी बार, 400 पार” का नारा दे रही है।

भाजपा द्वारा देश का संविधान बदलने के छुपे हुए एजेंडा के उजागर होने से देश के विपक्षी दलों ने इसका भारी विरोध किया और देश के लोगों को यह संदेश दिया है कि भाजपा देश का संविधान बदलना चाहती है और भाजपा इसके लिए तैयारी कर रही है।

केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा देश का संविधान बदलने की बात सामने आने के बाद देश के दलितों और पिछड़ों ने ख़ासकर इसका विरोध करना शुरु कर दिया है और इन वर्गों के लोगों/ मतदाताओं ने इसके विरोध में अभी से खड़ा होना शुरु कर दिया है। इसकी झलक लोकसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग से मिली है।

पहले चरण की वोटिंग के बाद जो खबरें सामने आई हैं, उनके मुताबिक पहले चरण में भाजपा पिछड़ रही है। इस तरह की खबरें आने के बाद भाजपा ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है और सोची-समझी रणनीति के तहत मुसलमानों को निशाने पर लेकर उनके बारे में गलत बातें बोलना शुरु कर दिया है।

भारतीय जनता पार्टी अपने इस एजेंडे के द्वारा हर हालत में हिंदू – मुस्लिम के बीच एक लम्बी बड़ी रेखा खींचना चाहती है। जिससे हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो जाये और भाजपा आसानी से अधिक लोकसभा सीटें जीत जाये।

दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली पार्टी भाजपा के पास जनता से जुड़े हुए मुद्दे नहीं हैं। देश में गरीबी, बेरोज़गारी, महंगाई और भ्रष्टाचार चरम पर है, लेकिन भाजपा इनकी कोई बात नहीं कर रही है और इनसे मुंह फेरे हुए है।

भाजपा केवल ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। इसीलिए उसने सोची समझी रणनीति के तहत हिंदू और मुस्लिमों के बीच दूरी बढ़ाने के लिए बड़ी और साम्प्रदायिक रेखा खींचना आरम्भ कर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रणनीति के तहत ही पिछले दिनों राजस्थान में बांसवाड़ा में हुई एक रैली में विवादित बातें कही जिसकी काफी आलोचना हो रही है, एक बड़े वर्ग का कहना है कि प्रधानमंत्री पद पर बैठे किसी ब्यक्ति का ऐसा कहना शोभा नहीं देता।

उन्होंने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि, “कांग्रेस यदि सत्ता में आई तो वह सम्पत्ति को घुसपैठियों में बांट देगी। कांग्रेस की सरकार बनी तो सभी की सम्पति का सर्वें होगा। हमारी बहनों के पास कितना सोना-चांदी है, उसका हिसाब लगाया जायेगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “… कांग्रेस सत्ता में आएगी तो सरकारी मुलाज़िमों की सम्पत्ति का हिसाब होगा और उसे सभी में समान रूप से बाँटा जायेगा। घुसपैठियों में बाँटा जायेगा। ये अर्बन नक्सल की सोच आपका मंगलसूत्र तक नहीं रहने देगी।”

पीएम मोदी ने आगे कहा कि, “मनमोहन सरकार ने कहा था कि, देश की सम्पत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। इसका मतलब है कि किसको बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उनको बांटेंगे? क्या सरकार को ऐसे आपकी सम्पत्ति ऐंठने का अधिकार है?

मोदी द्वारा रैली में इस तरह की बातें कहना केवल हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करना है। इससे पीएम मोदी की हताशा साफ़ दिखती है और उनको भाजपा की हार दिखाई देती है। मोदी द्वारा अपने देश के ही मुसलमानों को घुसपैठियों के रूप में बताया जाना कहीं से भी न्यायायोचित नहीं है।

इसके साथ ही मोदी का यह कहना कि देश में कांग्रेस यदि सत्ता में आती है, तो वह आपकी सम्पत्ति घुसपैठियों यानी मुसलमानों में बांट देगी, यह भी सरासर गलत है। मोदी ने इस तरह की बातें कहकर हिन्दुओं को रिझाने और उनको अपने पाले में लाने के लिए किया है जो कहीं से भी उचित नहीं है।

पीएम मोदी की इन बातों को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की है, जिसकी जाँच के लिए चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है, हालांकि अब तक चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रहे हैं। वह अपनी रैलियों में राम मंदिर बनाने और काँवड़ यात्रा का बखान करते हुए नहीं थकते हैं। लेकिन पहले चरण के लोकसभा चुनाव में हुए मतदान की आंतरिक सूचनाओं से वह भी डरे और सहमे हुए हैं। यही कारण है कि वह भी अब खुलकर हिंदू वोटों के धुर्वीकरण का प्रयास करने में जुट गये हैं।

योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए बाकायदा 24 अप्रैल को कल यूपी के भाजपा मुख्यालय में अपनी एक प्रेस कांफ्रेस कर अपनी बातें कहीं। योगी आदित्यनाथ ने ध्रुवीकरण करने के लिए दलितों और पिछड़ों के आरक्षण पर बात की।

उन्होंने कहा कि, “कांग्रेस अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ों के आरक्षण का बंदरबांट करना चाहती है। कांग्रेस इनसे आरक्षण छीनकर मुसलमानों को देने की साज़िश कर रही है।”

योगी आदित्यनाथ ने सच्चर कमेटी और न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, “यूपीए सरकार इनकी सिफारिशों को लागू करके दलितों और पिछड़ों को मिल रहे 27 प्रतिशत आरक्षण में से 6 प्रतिशत की कटौती करके मुस्लिमों को देने जा रही थी। लेकिन भाजपा के कड़े विरोध के कारण इन सिफारिशों को लागू नहीं किया जा सका।”

अपने व्याख्यान में योगी ने कहा, “कांग्रेस की मंशा एस.सी., एस.टी. के अधिकारों में भी घुसपैठ करने की है। कांग्रेस अपने घोषणापत्र में सम्पत्ति का सर्वें कराने की बात कर रही है। वे लोग उसके बाद सम्पत्ति का अपने अनुसार बंदरबांट कर रही.”

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, “यूपीए सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बात का भी उल्लेख किया था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। जबकि भाजपा गरीब, किसान, युवा और महिलाओं की बात करती है। इसमें किसी जाति, मत – मजहब की बात नहीं की गई है।”

हालांकि हकीकत योगी आदित्यनाथ की बातों के ठीक उलट है। पहली बात तो यह है कि योगी आदित्यनाथ ने इस तरह की बातें कहकर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण करने की चाल चली कि, जिससे भाजपा की डगमगाती नाव नदी में डूबने से बच जाये और भाजपा अधिकाधिक लोकसभा सीटें चुनाव में जीत जाये।

दूसरी बात उन्होंने गरीबों, युवाओं, महिलाओं और किसानों की वकालत की है और यह जताने का काम किया है कि यह सभी उनके सरकार में मौज कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि गरीबी दूर नहीं हुई है और गरीब लोगों द्वारा गरीबी में जीवन जिया जा रहा है।

किसानों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। सांड किसानों की फ़सलें खाये जा रहे हैं। किसान तमाम तरह की दिक्क़तों से जूझ रहे हैं। युवाओं को रोज़गार नहीं मिल रहा है बल्कि उनको अपनी बात कहने पर लाठियां मिल रही हैं। युवाओं और बेरोजगारों द्वारा नौकरी के लिए दी जा रही परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं और इसी बहाने उनको रोज़गार से दूर किया जा रहा है।

महिलाओं की स्थिति भी ठीक नहीं है। महिलाओं के साथ रोज़ अपराध की घटनाएं हो रही हैं। केवल योगी आदित्यनाथ उनको वादे का झुनझुना थमा रहे हैं। यूपी में बेरोजगारों, युवाओं और महिलाओं के वोटों की संख्या काफी है, इसलिए योगी आदियनाथ इनका वोट हासिल करने के लिए उन्हें बरगला रहे हैं, क्योंकि इनकी बेरुखी से भाजपा की नांव डूब सकती है।

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