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Thursday, May 16, 2024
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यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम का दावा- ‘2024 में भारत में ईसाई समुदाय पर हुए 150 से अधिक हमले’

स्टाफ रिपोर्टर

नई दिल्ली | भारत में ईसाई समुदाय के खिलाफ़ होने वाली हिंसक घटनाओं पर नई दिल्ली स्थित नागरिक समाज संगठन यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) ने मीडिया को एक बयान जारी किया है जिसमें पिछले ढाई महीनों में ईसाईयों पर होने वाले कुल 161 हमलों का विस्तार से ज़िक्र किया गया है.

ईसाई संगठन यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) ने भारत में ईसाईयों पर हुए हमलों को लेकर चिंता जताते हुए यह दावा भी किया है कि यह घटनाएं देश में होने वाले आम चुनाव से ठीक पहले और ढाई महीने के अन्दर ही घटित हुई हैं.

नागरिक समाज संगठन यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) ने मीडिया को जारी बयान में कहा है कि, “जनवरी में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की 70 घटनाएं देखी गईं थीं, इसके बाद फरवरी के 29 दिनों में 62 घटनाएं और मार्च के 15 दिनों में 29 घटनाएं हुईं. इस तरह ढाई महीने में ईसाईयों के विरुद्ध देश में कुल 161 घटनाएं दर्ज की गई हैं.”

गौरतलब है कि भारत में हिंदुत्ववादी दक्षिणपंथी संगठनों पर अल्पसंख्यक समुदायों ख़ासतौर से मुसलमान व ईसाइयों के उत्पीड़न के आरोप लगते रहते हैं.

यूसीएफ के अनुसार वर्ष 2024 में भारतीय ईसाइयों के बुनियादी मौलिक अधिकारों और सुरक्षा में बड़े पैमाने पर गिरावट देखी गई है.

ईसाईयों के विरुद्ध होने वाली घटनाओं में कई कारण बताए गए हैं जिनमें मुख्य रूप से धर्मावलंबियों का उत्पीड़न, चर्चों व प्रार्थना सभाओं पर हमले, ईसाईयों का सामाजिक बहिष्कार कर सामुदायिक संसाधनों तक पहुंच को सीमित करना और उन पर झूठे आरोप लगाया जाना, विशेष रूप से ‘जबरन धर्मांतरण’ से संबंधित आरोप, शामिल हैं.

यूसीएफ ने विशेष रुप से छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश राज्यों में ईसाईयों के खिलाफ़ की जा रही हिंसा व उत्पीड़न की घटनाओं का ज़िक्र किया है.

छत्तीसगढ़ में ईसाईयों के उत्पीड़न का ज़िक्र करते हुए यूसीएफ के बयान में कहा गया है कि, “ईसाइयों को गांव के सामुदायिक बोरवेल से पानी तक पहुंच से वंचित किया जा रहा है. इस राज्य में दुख की बात है कि मृत ईसाइयों को भी नहीं बख्शा गया क्योंकि कई लोगों को ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाने से इनकार कर दिया गया.”

बयान में आगे कहा गया है कि, “स्थानीय ग्रामीण घरवापसी के अंतिम कार्य के रूप में शवों का अंतिम संस्कार करने की धमकी दे रहे हैं. 2022 की क्रिसमस अवधि की तरह ईसाइयों को फिर से उनके ही घरों से बाहर निकाला जा रहा है. स्थानीय लोग शारीरिक रूप से हमला कर रहे हैं, उनकी जान को खतरा है और उनके घरों में तोड़फोड़ कर रहे हैं.’

यूसीएफ ने कहा है कि, “भारत में कुल मिलाकर 19 ऐसे राज्य हैं जहां ईसाइयों को उनकी आस्था का पालन करने पर मौत के खतरे का सामना करना पड़ रहा है.”

यूसीएफ के अनुसार, “2024 के शुरुआती 75 दिनों में 122 ईसाईयो धर्मांतरण के झूठे आरोप में या तो हिरासत में लिया गया है या गिरफ्तार किया गया है.”

यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) का कहना है कि, “यूसीएफ के रूप में हम अपने नेतृत्व से ऐसे सभी अपराधों और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके इस हिंसा को समाप्त करने का अनुरोध करते हैं, और हम शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव की आशा और प्रार्थना करते हैं.”

यूसीएफ ने अपनी विज्ञप्ति में छत्तीसगढ़ में ईसाइयों के खिलाफ हो रही हिंसा की घटनाओं का उल्लेख करते हुआ कहा है कि, “छत्तीसगढ़ में अपने धर्म को मानने के लिए ईसाइयों का बहिष्कार जारी है.”

उत्तर प्रदेश में ईसाइयों के खिलाफ हो रही उत्पीड़न की घटनाओं पर बात रखते हुए यूसीएफ ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि, “उत्तर प्रदेश में ईसाइयों के सरकार-प्रायोजित उत्पीड़न के स्पष्ट सबूत’ हैं क्योंकि ‘पुलिस जन्मदिन पार्टियों और अन्य सामाजिक समारोहों में प्रार्थना करने पर भी पादरियों के खिलाफ धर्मांतरण के झूठे आरोप दर्ज कर रही है.”

यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) के पदाधिकारियों के अनुसार, “पुलिस अपराधियों के बजाय ऐसी हिंसा के पीड़ितों (ईसाइयों) के खिलाफ ही मामला दर्ज कर देती है और असली अपराधियों को छूट दे दी जाती है.”

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