https://www.xxzza1.com
Monday, May 20, 2024
Home देश धर्मांतरण करने वाले आदिवासियों का आरक्षण छीनने की मांग, आदिवासियों को बांटने...

धर्मांतरण करने वाले आदिवासियों का आरक्षण छीनने की मांग, आदिवासियों को बांटने की साज़िश

इंडिया टुमारो

रांची | क्रिसमस से ठीक एक दिन पहले, जनजाति सुरक्षा मंच (ट्राइबल सिक्योरिटी फ्रंट) ने ईसाई और इस्लाम जैसे अन्य धर्मों को अपनाने वाले अनुसूचित जनजाति (एसटी) के हिंदुओ से आरक्षण का अधिकार छीनने (रिजर्वेशन केटेगिरी से डिलिस्टिंग) की मांग को लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान में एक विशाल रैली का आयोजन किया.

कई आदिवासी नेताओं और नागरिक समाज के सदस्यों का कहना है कि ऐसी रैलियों का उद्देश्य राजनीतिक लाभ के लिए आदिवासी समुदाय को विभाजित करना है जिससे उनके बीच विद्वेष बढ़ सकता है.

रैली का आयोजन करने वाले जनजाति सुरक्षा मंच को आरएसएस समर्थित वनवासी कल्याण केंद्र का सहयोगी माना जाता है. वनवासी कल्याण केंद्र झारखंड में आदिवासी जनजातियों का हिंदूकरण करने के लिए आक्रामक रूप से काम करता है. इस रैली को आदिवासियों को ईसाई धर्म अपनाने से रोकने के लिए आरएसएस के अभियान का हिस्सा बताया गया है. आदिवासियों के इस्लाम धर्म अपनाने के मामले तो ना के बराबर हैं, लेकिन ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों की संख्या काफी ज़्यादा है.

डीलिस्टिंग की मांग करने वाली इस रैली में कहा गया कि जो आदिवासी ईसाई या इस्लाम अपना चुके हैं उन्हें आदिवासी समुदाय का हिस्सा नहीं माना जाना चाहिए. रैली में भाग लेने वालों के अनुसार ऐसे परिवर्तित आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. एक तर्क यह भी है कि धर्मांतरित आदिवासी और धार्मिक अल्पसंख्यक दोनों होने का लाभ उठाते हैं.

आर एस एस समर्थक ‘जनजाति सुरक्षा मंच’ मध्य और पूर्वोत्तर भारत के आदिवासी बहुल ज़िलों में काफी सक्रिय है. इसकी गतिविधियाँ छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में काफी हैं.

गणेश राम भगत जनसंख्या सुरक्षा मंच के संयोजक हैं. वह मूल रूप से छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और वहां मंत्री भी रह चुके हैं. उन्होंने दावा किया कि आदिवासी मूल रूप से ‘हिंदू’ ही होते थे. उन्होंने आरोप लगाया कि धर्मांतरित लोगों के कारण आदिवासी खतरे में हैं. उन्होंने केंद्र सरकार से ईसाई या इस्लाम धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को आरक्षण का लाभ देना बंद करने की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे दिल्ली जाकर आंदोलन करेंगे.

राज किशोर हांडसा जनसंख्या सुरक्षा मंच के सह-संयोजक और वनवासी कल्याण आश्रम के पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं. उनका कहना है कि संविधान निर्माताओं ने 700 जनजातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था लेकिन यह सुविधा उन लोगों को भी मिल रही है जो ‘मूल’ मान्यताओं को छोड़कर ईसाई या मुस्लिम बन गए हैं.

भाजपा के पूर्व सांसद और मंत्री करिया मुंडा जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संरक्षक हैं. उन्होंने धर्मांतरित आदिवासियों को ‘दूसरे लोग’ कहा और उन्हें एसटी की सूची से हटाने को कहा.

पूर्व न्यायाधीश प्रकाश सिंह उइके ने आरोप लगाया कि ईसाई या इस्लाम धर्म अपनाने के बाद आदिवासी पहचान खत्म कर दी जाती है. उन्होंने दावा किया कि संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत यह उल्लेख किया गया है कि अनुसूचित जाति के व्यक्ति जो ईसाई या इस्लाम धर्म अपनाते हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए. उनके मुताबिक ये बात एसटी समुदाय पर भी लागू होनी चाहिए.

जहां आरएसएस और उसके सहयोगी संगठन आदिवासियों को धर्म के आधार पर आरक्षण के लाभ से वंचित करने की मांग कर रहे हैं, वहीं नागरिक समाज के सदस्यों का कहना है कि ऐसी मांगें असंवैधानिक हैं. एक नागरिक समाज समूह झारखंड जनाधिकार महासभा का कहना है कि संविधान के तहत स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी आदिवासी समूह को ‘अनुसूचित जनजाति’ माना जाएगा. इसमें कहा गया है कि इन धाराओं में कहीं भी धर्म का उल्लेख नहीं है. महासभा के मुताबिक, आदिवासी समाज में धर्म के आधार पर सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश की जा रही है.

कांग्रेस नेता और तीन बार के सांसद कार्तिक ओरांव की बेटी गीताश्री ओरांव का कहना है कि आदिवासी समुदाय की पहचान सरना धर्म है और अगर कोई आदिवासी हिंदू धर्म या अन्य किसी भी धर्म को अपनाता है, तो वह धर्मांतरित ही कहलाएगा

दिलचस्प बात यह है कि ‘डिलिस्टिंग प्रचारक’ यह नहीं कहते हैं कि यदि किसी आदिवासी को हिंदू बनाया जाता है, तो उसे भी धर्मांतरित ही माना जाना चाहिए, और इस हिसाब से हिंदू धर्म में धर्मांतरित आदिवासियों से भी आरक्षण का लाभ छीन लिया जाना चाहिए.

गीताश्री कहती हैं कि उनके पिता कार्तिक ओरांव ने अपनी किताब ‘बीस साल की काली रात’ में दूसरों का हक छीनने के लिए नहीं कहा था. उनके अनुसार, “उन्होंने धर्मांतरितों पिछड़ों को भी आरक्षण देने का आह्वान किया था” उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस समर्थित संगठन समुदाय का चुनावी फायदा उठाने के लिए ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं.

इस रैली का एक खुला राजनीतिक पहलू भी था क्योंकि वक्ताओं ने राजनीतिक दलों से खुलेआम कहा कि वे एसटी-आरक्षित सीटों से उन लोगों को पार्टी टिकट न दें जिन्होंने धर्म परिवर्तन किया है.

आम चुनाव के अलावा, झारखंड राज्य का चुनाव भी 2024 में होना है. झारखंड के 2019 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 28 एसटी-आरक्षित सीटों में से सिर्फ दो सीटें जीत सकी थी. झारखंड विधानसभा में 81 सीटें हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि आरएसएस अपने सहयोगी के माध्यम से उन एसटी-आरक्षित सीटों के मूड को बदलने की कोशिश कर रहा है और ‘परिवर्तित आदिवासियों’ को सूची से हटाने की मांग के साथ रैलियां करने से कुछ ध्रुवीकरण हो सकता है.

- Advertisement -
- Advertisement -

Stay Connected

16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe

Must Read

यूपी: युवक ने BJP को 8 वोट डाला, अखिलेश- राहुल ने की कार्रवाई की मांग, युवक गिरफ्तार

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | लोकसभा चुनावों के तीसरे चरण के दौरान उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक चुनावी...
- Advertisement -

क्या मुसलमानों की आबादी हिन्दुओं के लिए ख़तरा है?

-राम पुनियानी चुनावी मौसम जैसे-जैसे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे समाज को बांटने वाला प्रचार भी अपने...

ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को मोदी सरकार के इशारे पर काम करने वाली कठपुतली करार दिया

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान एक चुनावी रैली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री...

हलद्वानी हिंसा: आरोपियों पर लगा UAPA, क़ौमी एकता मंच ने की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग

-एस.एम.ए. काज़मी देहरादून | उत्तराखंड पुलिस ने 8 फरवरी, 2024 को हुई हल्द्वानी हिंसा मामले में सात महिलाओं सहित...

Related News

यूपी: युवक ने BJP को 8 वोट डाला, अखिलेश- राहुल ने की कार्रवाई की मांग, युवक गिरफ्तार

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | लोकसभा चुनावों के तीसरे चरण के दौरान उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक चुनावी...

क्या मुसलमानों की आबादी हिन्दुओं के लिए ख़तरा है?

-राम पुनियानी चुनावी मौसम जैसे-जैसे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे समाज को बांटने वाला प्रचार भी अपने...

ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को मोदी सरकार के इशारे पर काम करने वाली कठपुतली करार दिया

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान एक चुनावी रैली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री...

हलद्वानी हिंसा: आरोपियों पर लगा UAPA, क़ौमी एकता मंच ने की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग

-एस.एम.ए. काज़मी देहरादून | उत्तराखंड पुलिस ने 8 फरवरी, 2024 को हुई हल्द्वानी हिंसा मामले में सात महिलाओं सहित...

उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों- सरकारी कर्मचारियों का आरोप, “वोट डालने से किया गया वंचित”

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो लखनऊ | उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में सरकारी कर्मचारियों में से ख़ासकर पुलिस...
- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here